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पंचांग - 13-04-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 13 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  रविवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    प्रतिपदा    :अहोरात्र तत्पश्चात द्वितीया *
*🎈नक्षत्र -        चित्रा     21:09:53 pm रात्रि तत्पश्चात  स्वाति*
*🎈योग - हर्शण    21:38:14 तक, तत्पश्चात     वज्र*
*🎈करण-         बालव    19:07:53 तत्पश्चात     कौलव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:26 am
से  11:01 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:15:12*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:44
*🎈चन्द्र राशि-     कन्या    till 07:38:01
*🎈चन्द्र राशि-     तुला    from 07:38:01*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:43 ए एम से 05:28 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:10 पी एम से 01:01 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 14 से 12:58 ए एम, अप्रैल 14तक*
*⛅यमगण्ड    - 12:36 पी एम से 02:11 पी एम*
👉*⛅ आप सभी देशवासियों को हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    06:14 - 07:50    अशुभ
चर    07:50 - 09:25    शुभ
लाभ    09:25 - 11:00    शुभ
अमृत    11:00 - 12:36    शुभ
काल    12:36 - 14:11    अशुभ
शुभ    14:11 - 15:46    शुभ
रोग    15:46 - 17:22    अशुभ
उद्वेग    17:22 - 18:57    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    18:57 - 20:22    शुभ
अमृत    20:22 - 21:46    शुभ
चर    21:46 - 23:11    शुभ
रोग    23:11 - 24:35*    अशुभ
काल    24:35* - 25:59*    अशुभ
लाभ    25:59* - 27:24*    शुभ
उद्वेग    27:24* - 28:49*    अशुभ
शुभ    28:49* - 30:13*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगे लगावे
🚩🚩🙏🙏

ॐ श्री गणेशाय नमः ।
60 संवत्सरों में 12-12 संवत्सर के पांच युग होते हैं ।
प्रत्येक युग के प्रथम संवत्सर में देवगुरु बृहस्पति प्रथम राशि मेष में उदय होते हैं ।
लेकिन गणना भेद के कारण प्रथम संवत्सर में देवगुरु बृहस्पति का उदय मकर राशि में माना जाता है ।
यानिकि तीन संवत्सरों का अंतर ।
49 वाँ संवत पांचवें युग का प्रथम संवत होता है ।
और वर्तमान में 54 वें क्रम का रौद्र नामक संवत है ।
तो बृहस्पति छठी राशि कन्या में होने चाहिए ।
यानिकि तीन संवत्सरों के अंतर के कारण बृहस्पति की राशि में भी तीन राशियों का अंतर अभी भी है ।
जिसको समय-समय पर अतिचार करके अथवा वक्री करके हम बराबर कर लेते हैं ।
विचारणीय :- ? ? ?
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis

🎈दिनांक - 12 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शनिवार*
*🎈संवत्सर    -

विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    पूर्णिमा    29:51:14 am तत्पश्चात प्रतिपदा *
*🎈नक्षत्र -                    हस्त    18:06:48 am रात्रि तत्पश्चात  चित्रा*
*🎈योग - व्याघात    20:39:11 तक, तत्पश्चात     हर्षण*
*🎈करण-         विष्टि भद्र    16:35:22 तत्पश्चात     बालव    *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:26 am
से  11:01 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:15:11*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:45
*🎈चन्द्र राशि-      कन्या*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*

*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:44 ए एम से 05:29 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:01 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 13 से 12:58 ए एम, अप्रैल 13तक*
*⛅यमगण्ड    - 02:11 पी एम से 03:47 पी एम*
👉*⛅ आप सभी देशवासियों को हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
काल    06:15 - 07:50    अशुभ
शुभ    07:50 - 09:26    शुभ
रोग    09:26 - 11:01    अशुभ
उद्वेग    11:01 - 12:36    अशुभ
चर    12:36 - 14:11    शुभ
लाभ    14:11 - 15:46    शुभ
अमृत    15:46 - 17:22    शुभ
काल    17:22 - 18:57    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
लाभ    18:57 - 20:21    शुभ
उद्वेग    20:21 - 21:46    अशुभ
शुभ    21:46 - 23:11    शुभ
अमृत    23:11 - 24:35*    शुभ
चर    24:35* - 26:00*    शुभ
रोग    26:00* - 27:25*    अशुभ
काल    27:25* - 28:49*    अशुभ
लाभ    28:49* - 30:14*    शुभ
kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को महावीर हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩🚩🙏🙏

चैत्र पूर्णिमा :: धन,दौलत,सुख,समृद्धि
❤️‍🔥🙏🔥🚩❤️‍🔥🙏🔥🚩❤️‍🔥🙏🔥
🌹चैत्र पूर्णिमा के उपाय 2025:
           🌹चाहिए धन-दौलत, अथाह संपत्ति तो चैत्र पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी के सामने जलाएं ऐसा दीपक🪔
    🌹 जानें सही विधि, समय, दिशा और मंत्र🌹

🪔🪔🪔       इस साल चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल दिन शनिवार को है.
      चैत्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने का विधान है.
🪔      इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से आपके धन और संपत्ति में वृद्धि होती है.
      पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल को 3:21 am से लेकर 13 अप्रैल को 5:51 am तक है.
🪔       चैत्र पूर्णिमा को आप प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनके लिए एक विशेष दीपक जलाएं.
🪔      इस दीपक को जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपके धन, संपत्ति में बढ़ोत्तरी कर देंगी.
🪔     इतना ही नहींं, आपकी कुंडली का शुक्र और चंद्रमा ग्रह भी सही हो जाएगा.
🪔चैत्र पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी के चरणों में कौन सा दीपक जलाएं?
🪔उसमें किस तेल का उपयोग करें?
🪔बत्ती कौन सी होनी चाहिए?

🪔माता लक्ष्मी के लिए जलाएं पीतल का दीपक🪔
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🐦               चैत्र पूर्णिमा के प्रदोष काल में माता लक्ष्मी के लिए पीतल का दीपक जलाना चाहिए.
🐦   पीतल का संबंध देवी लक्ष्मी से जुड़ा है.
     माना जाता है कि पीतल का उपयोग करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
🐦     माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है.
      यदि आप नियम पूर्वक या विधि विधान से दीपक नहीं जलाते हैं, तो उसका उद्देश्य फलीभूत नहीं होगा.

💐माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने की सही विधि💐

1.  🪔   दीपक में कौन सा बत्ती लगाएं:🪔
🍂           माता लक्ष्मी के लिए आप रुई की बत्ती बनाएं. उसे पीतल के दीपक में अच्छे से रखें. बत्ती ऐसी हो, जो लंब से तक चल सके. वो ज्यादा बड़ी या बहुत छोटी न हो.
🍂       यदि रुई नहीं है तो लाल धागे या फिर रक्षासूत्र या कलावा की बत्ती बना सकते हैं.

2.  🪔 तेल या घी का दीपक:
🚩           यदि आपके पास गाय का शुद्ध घी है तो घी का ही दीपक जलाएं. इस समय में शुद्ध घी का मिलना मुश्किल होता है. अगर घी है तो उसे दीपक में डालकर 📍माता लक्ष्मी के दाहिने रखें.
🚩       यदि गाय का शुद्ध घी नहीं है तो आप सफेद तिल के तेल का उपयोग करें. सफेद तिल के तेल को दीपक में डालें और उसमें बत्ती रखकर दीपक जलाएं.
    तेल के दीपक को 📍माता लक्ष्मी के बाएं रखें.

3.  🪔  दीपक जलाने का सही समय:-
🚩        माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने का सही समय प्रदोष काल है.
🚩       जब सूर्यास्त हो जाए और अंधेरा होने लगे, तब आप माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनके लिए यह विशेष दीपक जलाएं.

 4.  🏹   सही दिशा का चयन:
🚩            वैसे तो लोग अपने घर में पूजा स्थान उत्तर या ईशान कोण में रखते हैं.
🚩        यदि आपके घर में पूजा स्थान इस जगह पर नहीं है तो आप अपने घर में उत्तर या ईशान कोण यानि की उत्तर पूर्व के कोण वाली दिशा में यह दीपक जलाएं.

5.  🪔दीपक जलाने के बाद करें यह पाठ:-
🚩         माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने के बाद आप कंबल या फिर कुश के आसन पर बैठकर 🚩श्रीसूक्तम🚩 का पाठ करें.
🚩      श्रीसूक्त के 16 मंत्र पढ़ दें.
    🦩माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होंगी. 🦩आपके यश और सफलता में बढ़ोत्तरी होगी. 🦩धन, 🦩दौलत, 🦩सुख, 🦩समृद्धि से आपका घर भरेगा.
 🌹    इस उपाय को आप हर शुक्रवार को भी कर सकते हैं.

  ❤️     सफेद तिल के तेल का महत्व❤️
🐦‍🔥             यदि आप सफेद तिल के तेल को अपने शरीर पर लगाते हैं तो आपकी कुंडली का चंद्र दोष और शुक्र दोष ठीक होगा. सफेद तिल का संबंध चंद्रमा, शुक्र और बुध से माना जाता है.
🍂        इन तीनों ग्रहों के सही होने से आपका बिजनेस, करियर सही होगा. आमदनी में वृद्धि होगी।
     🚩ऊँ श्रीमहालक्ष्मीनारायणाय नम:🚩

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*👉 *सर्वसिद्धि*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 11 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शुक्रवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    चतुर्दशी     03:21:00am तत्पश्चात पुर्णिमा **🎈नक्षत्र -                उत्तर फाल्गुनी    15:09:17am रात्रि तत्पश्चात  हस्त*
*🎈योग - ध्रुव    19:44:07 तक, तत्पश्चात     व्याघात*
*🎈करण-         गर    14:08:56 तत्पश्चात         विष्टि भद्र*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है- 11:01 am
से  12:36 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:16:13*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:14
*🎈चन्द्र राशि    -  कन्या*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:45 ए एम से 05:31 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:02 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 11 से 12:59 ए एम, अप्रैल 11तक*
*⛅06:16 ए एम से 07:51 ए एम तक*
👉*⛅ आप सभी देशवासियों को हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    06:16 - 07:51    शुभ
लाभ    07:51 - 09:26    शुभ
अमृत    09:26 - 11:01    शुभ
काल    11:01 - 12:36    अशुभ
शुभ    12:36 - 14:11    शुभ
रोग    14:11 - 15:46    अशुभ
उद्वेग    15:46 - 17:21    अशुभ
चर    17:21 - 18:56    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    18:56 - 20:21    अशुभ
काल    20:21 - 21:46    अशुभ
लाभ    21:46 - 23:11    शुभ
उद्वेग    23:11 - 24:36*    अशुभ
शुभ    24:36* - 26:01*    शुभ
अमृत    26:01* - 27:25*    शुभ
चर    27:25* - 28:50*    शुभ
रोग    28:50* - 30:15*    अशुभ
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🙏♥️*आप सभी देशवासियों को महावीर हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩🚩🙏🙏

पंचांग के अनुसार, इस साल 12 अप्रैल 2025, शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मंदिरों में हनुमान जी के जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है। भक्त पूरे विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन त्रैता युग में हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।

हनुमान_जन्मोत्सव_शुभ_मुहूर्त:
चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 12 अप्रैल को प्रातः 03 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसतिथि का समापन 13 अप्रैल को प्रातः 05 बजकर 51 मिनट पर होगा। ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व शनिवार, 12 अप्रैल को मनाया जाएगा

हनुमान जी पूजा-विधि:
सबसे पहले मंदिर में घी की ज्योत प्रज्वलित करें। इसके बाद हनुमान जी का गंगा जल से अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद एक साफ वस्त्र से हनुमान जी की प्रतिमा को पोछें। अब सिंदूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें। इसके बाद हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। चोला चढ़ाने से पहले हनुमान जी को जनेऊ पहनाएं। सबसे पहले हनुमान जी के बाएं पांव में चोला चढ़ाएं। हनुमान जी को चोला चढ़ाने के बाद चांदी या सोने का वर्क भी चढ़ा दें। चोला चढ़ाने के बाद आप हनुमान जी को नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद हनुमान जी की आरती भी अवश्य करें। हनुमान चालीसा का एक से अधिक बार पाठ करें। हनुमान जी को भोग भी लगाएं।

हनुमान जी के मंत्र -
ॐ हं हनुमते नम:
ॐ नोम भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
ओम नमो भगवते हनुमते नम:
ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा
ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा

हनुमान_जन्मोत्सव_पूजा_विधि:
पूजा शुरू करने से पहले घर को साफ करना और नहाना महत्वपूर्ण होता है। पूजा कक्ष को फूलों और अन्य सजावटों से सजाना चाहिए। हनुमान जयंती की पूजा के लिए आवश्यक पूजा सामग्री में भगवान हनुमान की एक तस्वीर या मूर्ति, फूल, धूप, कपूर, नारियल, मिठाई और फल शामिल होते हैं।

धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर पूजा शुरू करें। हनुमान चालीसा या कोई अन्य हनुमान मंत्र का जाप करते हुए भगवान हनुमान को फूलों से अर्पण करें।

भगवान हनुमान के पैर और हाथ धोने के लिए पानी का अर्पण करें। फिर मंत्रों के साथ पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण) से उन्हें नहलाएं।

भगवान हनुमान को नए कपड़े पहनाएं और उनकी भोजनी में सिन्दूर (कुमकुम) लगाएं। तुलसी के पत्तों या गेंदे के फूलों से बनी हार को भी उन्हें अर्पण करें।

फल, मिठाई और अन्य प्रसाद को भगवान हनुमान को अर्पित करें मंत्रों के साथ। आप उन्हें पान के पत्ते और मगज भी अर्पित कर सकते हैं।

कपूर जलाकर आरती करें हनुमान चालीसा या किसी अन्य हनुमान मंत्र के साथ। प्रसाद को परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच बाँटें।

#हनुमान_जन्मोत्सव_का_महत्व:
हनुमान जन्मोत्सव का उत्सव भगवान हनुमान को समर्पित होता है, जो शक्ति, भक्ति और निष्ठा के प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान हनुमान ने हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्होंने रावण के विरुद्ध लड़ाई में भगवान राम की मदद की थी। उन्हें भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में भी माना जाता है। हनुमान जयंती के उत्सव से भक्त अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और भगवान हनुमान से आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि भगवान हनुमान की पूजा करने से व्यक्ति अपनी राह में आने वाली बाधाओं को पार कर सकता है और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। इस त्योहार से भी लोगों में एकता और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि भक्त समूह में एक साथ भगवान हनुमान जन्मोत्सव मनाते हैं।

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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
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*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞*🗓*

 

आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

पञ्चाङ्ग

jyotis


*🎈दिनांक - 10 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  गुरुवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    त्रयोदशी    12:59:59 pm  तत्पश्चात चतुर्दशी  *
*🎈नक्षत्र -            पूर्व फाल्गुनी    12:23:32 रात्रि तत्पश्चात     उत्तर फाल्गुनी*
*🎈योग -वृद्वि    18:57:31 शाम तक, तत्पश्चात     ध्रुव*
*🎈करण-         कौलव    11:54:59 pm तत्पश्चात     गर*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 02:11 pm
से  03:46 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:17:16*
*🎈सूर्यास्त - 06:55:43
*🎈चन्द्र राशि-       सिंह    till 19:03:31*
*🎈चन्द्र राशि    -   कन्या    from 19:03:31*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:45 ए एम से 05:31 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:02 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 11 से 12:59 ए एम, अप्रैल 11तक*
*⛅यमगण्ड काल     06:16 ए एम से 07:51 ए एम तक*

👉*⛅ विशेष- * यद्यपि युद्ध नहीं कियो, नाहीं रखे असि-तीर।
परम अहिंसक आचरण, तदपि बने महावीर।।

सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और संयम के कल्याणकारी मार्ग के प्रेरणास्रोत, भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

स्वामी महावीर जी की शिक्षाएं हमें मानवता, सहिष्णुता और आत्मसंयम का मार्ग दिखाती रहें।

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ    06:17 - 07:52    शुभ
रोग    07:52 - 09:27    अशुभ
उद्वेग    09:27 - 11:02    अशुभ
चर    11:02 - 12:36    शुभ
लाभ    12:36 - 14:11    शुभ
अमृत    14:11 - 15:46    शुभ
काल    15:46 - 17:21    अशुभ
शुभ    17:21 - 18:56    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत    18:56 - 20:21    शुभ
चर    20:21 - 21:46    शुभ
रोग    21:46 - 23:11    अशुभ
काल    23:11 - 24:36*    अशुभ
लाभ    24:36* - 26:01*    शुभ
उद्वेग    26:01* - 27:26*    अशुभ
शुभ    27:26* - 28:51*    शुभ
अमृत    28:51* - 30:16*    शुभ
kundli



🙏♥️*जप के प्रकार और कौन से जप से क्या होता है..?

✴️जप के अनेक प्रकार हैं। उन सबको समझ लें तो एक जपयोग में ही सब साधन आ जाते हैं। परमार्थ साधन के कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और राजयोग ये चार बड़े विभाग हैं। जपयोग में इन चारों का अंतर्भाव हो जाता है। जप के कुछ मुख्य प्रकार ये हैं- 1. नित्य जप, 2. नैमित्तिक जप, 3. काम्य जप, 4. निषिद्ध जप, 5. प्रायश्चित जप, 6. अचल जप, 7. चल जप, 8. वाचिक जप, 9. उपांशु जप, 10. भ्रमर जप, 11. मानस जप, 12. अखंड जप, 13. अजपा जप और 14. प्रदक्षिणा जप इत्यादि।

1. नित्य जप
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प्रात:-सायं गुरु मंत्र का जो नित्य-नियमित जप किया जाता है, वह नित्य जप है। यह जप जपयोगी को नित्य ही करना चाहिए। आपातकाल में, यात्रा में अथवा बीमारी की अवस्‍था में, जब स्नान भी नहीं कर सकते, तब भी हाथ, पैर और मुंह धोकर कम से कम कुछ जप तो अवश्य कर ही लेना चाहिए, जैसे झाड़ना, बुहारना, बर्तन मलना और कपड़े धोना रोज का ही काम है, वैसे ही नित्य कर्म भी नित्य ही होना चाहिए। उससे नित्य दोष दूर होते हैं, जप का अभ्यास बढ़ता है, आनंद बढ़ता जाता है और चित्त शुद्ध होता जाता है और धर्म विचार स्फुरने लगते हैं। और जप संख्या ज्यों-ज्यों बढ़ती है, त्यों-त्यों ईश्वरी कृपा अनुभूत होने लगती और अपनी निष्ठा दृढ़ होती जाती है।

2. नैमित्तिक जप
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किसी निमित्त से जो जप होता है, वह नैमित्तिक जप है। देव-पितरों के संबंध में कोई हो, तब यह जप किया जाता है। सप्ताह में अपने इष्ट का एक न एक बार होता ही है। उस दिन तथा एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या आदि पर्व दिनों में और महाएकादशी, महाशिवरात्रि, श्री रामनवमी, श्री कृष्णाष्टमी, श्री दुर्गानवरात्र, श्री गणेश चतुर्थी, श्री रथ सप्तमी आदि शुभ दिनों में तथा ग्रहणादि पर्वों पर एकांत स्थान में बैठकर अधिक अतिरिक्त जप करना चाहिए। इससे पुण्य-संग्रह बढ़ता है और पाप का नाश होकर सत्यगुण की वृद्धि होती है और ज्ञान सुलभ होता है। यह जप रात में एकांत में करने से दृष्टांत भी होते हैं। 'न देवतोषणं व्यर्थम'- देव को प्रसन्न करना कभी व्यर्थ नहीं होता, यही मंत्रशास्त्र का कहना है।
 
इष्टकाल में इसकी सफलता आप ही होती है। पितरों के लिए किया हुआ जप उनके सुख और सद्गति का कारण होता है और उनसे आशीर्वाद मिलते हैं। हमारा उनकी कोख से जन्म लेना भी इस प्रकार चरितार्थ हो जाता है। जिसको उद्देश्य करके संकल्पपूर्वक जो जप किया जाता है, वह उसी को प्राप्त होता है, यह मंत्रशास्त्र का सिद्धांत है। इस प्रकार पुण्य जोड़कर वह पितरों को पहुंचाया जा सकता है। इससे उनके ऋण से मुक्ति मिल सकती है। इसलिए कव्य कर्म के प्रसंग में और पितृपक्ष में भी यह जप अवश्य करना चाहिए। गुरु मंत्र से हव्यकर्म भी होता है।

3. काम्य जप
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किसी कामना की सिद्धि के लिए जो जप किया जाता है, उसे काम्य जप कहते हैं। यह काम्य कर्म जैसा है, मोक्ष चाहने वाले के काम का नहीं है। आर्त, अर्थार्थी, कामकामी लोगों के लिए उपयोगी है। इसके साधन में पवित्रता, नियमों का पूर्ण पालन, सावधानता, जागरूकता, धैर्य, निरलसता, मनोनिग्रह, इन्द्रिय निग्रह, वाक् संयम, मिताहार, मितशयन, ब्रह्मचर्य इन सबका होना अत्यंत ही आवश्यक है। योग्य गुरु से योग्य समय में लिया हुआ योग्य मंत्र हो, विधिपूर्वक जप हो, मन की एकाग्रता हो, दक्षिणा दे, भोजन कराएं, हवन करें, इस सांगता के साथ अनुष्ठान हो तो साधक की कामना अवश्य पूर्ण होती है।

इसमें कोई गड़बड़ हो तो मंत्र सिद्ध नहीं हो सकता। काम्य जप करने के अनेक मंत्र हैं। जप से पुण्य संग्रह तो होता है, पर भोग से उसका क्षय भी होता है। इसलिए प्राज्ञ पुरुष इसे अच्‍छा नहीं समझते। परंतु सभी साधक समान नहीं होते। कुछ ऐसे भी कनिष्ठ साधक होते ही हैं, जो शुद्ध मोक्ष के अतिरिक्त अन्य धर्माविरुद्ध कामनाएं भी पूरी करना चाहते हैं। क्षुद्र देवताओं और क्षुद्र साधनों के पीछे पड़कर अपनी भयंकर हानि कर लेने की अपेक्षा वे अपने इष्ट मंत्र का काम्य जप करके चित्त को शांत करें और परमार्थ प्रवण हों, यह अधिक अच्छा है।

4. निषिद्ध जप
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मनमाने ढंग से अविधिपूर्वक अनियम जप जपने को निषिद्ध जप कहते हैं। निषिद्ध कर्म की तरह यह बहुत बुरा है। मंत्र का शुद्ध न होना, अपवित्र मनुष्य से मंत्र लेना, देवता कोई और मंत्र कोई और ही, अनेक मंत्रों को एकसाथ अविधिपूर्वक जपना, मंत्र का अर्थ और विधि न जानना, श्रद्धा का न होना, देवताराधन के बिना ही जप करना, किसी प्रकार का भी संयम न रखना- ये सब निषिद्ध जप के लक्षण हैं। ऐसा निषिद्ध जप कोई न करे, उससे लाभ होने के बदले प्राय: हानि ही हुआ करती है।

🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
JYOTIS


*🎈दिनांक - 09 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  बुधवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    द्वादशी    10:54:48 pm  तत्पश्चात त्रयोदशी  *
*🎈नक्षत्र -            मघा     09:56:09 रात्रि तत्पश्चात     पूर्व फाल्गुनी*
*🎈योग -गण्ड    18:24:13 शाम तक, तत्पश्चात     वृद्वि*
*🎈करण-         बव    10:00:18 pm तत्पश्चात     कौलव*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 12:47 am
से  02:11 am तक*
*🎈सूर्योदय -     06:18:19*
*🎈सूर्यास्त - 06:55:12
*🎈चन्द्र राशि-       सिंह*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:46 ए एम से 05:32  तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:14 ए एम, अप्रैल 10 से 12:59 ए एम, अप्रैल 10तक*
*⛅यमगण्ड काल     07:52 ए एम से 09:27 ए एम. तक*

👉*⛅ विशेष- * गुरु  प्रदोष पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 अप्रैल को रात 10 बजकर 55 मिनट से शुरु होगी और अगले दिन यानी 11 अप्रैल को रात 01 बजे तिथि का समापन होगा। ऐसे में 10 अप्रैल को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 44 मिनट से 08 बजकर 59 मिनट तक है।  

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    06:18 - 07:53    शुभ
अमृत    07:53 - 09:28    शुभ
काल    09:28 - 11:02    अशुभ
शुभ    11:02 - 12:37    शुभ
रोग    12:37 - 14:11    अशुभ
उद्वेग    14:11 - 15:46    अशुभ
चर    15:46 - 17:21    शुभ
लाभ    17:21 - 18:55    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
उद्वेग    18:55 - 20:20    अशुभ
शुभ    20:20 - 21:46    शुभ
अमृत    21:46 - 23:11    शुभ
चर    23:11 - 24:36*    शुभ
रोग    24:36* - 26:02*    अशुभ
काल    26:02* - 27:27*    अशुभ
लाभ    27:27* - 28:52*    शुभ
उद्वेग    28:52* - 30:17*    अशुभ
jyotis



🙏♥️*भगवान महावीर के 2624वें जन्मकल्याणक वर्ष के अवसर हार्दिक शुभकामनाएं*।
इस पावन अवसर पर भगवान महावीर के उदात्त आदर्शों का अनुसरण करके हम सभी जीवन में धर्म,शांति,और समृद्धि की प्राप्ति के लिए संकल्पित रहें। 🙏

-♥️ श्रीनवसंवत्सर प्रारंभ राजा भी सूर्य और मंत्री भी सूर्य
सिद्धार्थी नाम के इस वर्ष पड़ेगी
नवसंवत्सर प्रारंभ राजा भी सूर्य और मंत्री भी सूर्य
सिद्धार्थी नाम के इस वर्ष पड़ेगी बहुत भीषण गर्मी
194 करोड़ पुरानी हुई हमारी धरती
रविवार से वासंती नवरात्र प्रारंभ रविवार को होगा समापन

विक्रमी संवत 2082 रविवार से प्रारंभ हो रहा है । सिद्धार्थी नामा इस संवत के राजा भी सूर्य होंगे तथा मंत्री पद का दायित्व भी सूर्य के पास रहेगा । एक दिन पूर्व शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव ग्रहों के गुरु बृहस्पति की मीन राशि में प्रविष्ठ हो गए । इस दिन सृष्टि संवत के अनुसार  हमारी धरती 194 करोड़ वर्ष पुरानी हो जाएगी ।

 नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के कलश घर घर स्थापित होंकर संपूर्ण और प्रतिदिन पाठ भी । नौ दिनों की बजाय अबकी बार 8 नवरात्र थे चूंकि एक नवरात्र घट गया है । भगवान राम का जन्मोत्सव रामनवमी के रूप में 6 अप्रैल को मनायी  गई। जगह जगह राम कथाएं और नवान्ह पारायण का प्रारंभ ओर पूर्ण संवत के शुरुआतके साथ ही होगया ।

उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के नाम पर प्रचलित वर्तमान विक्रमी संवत के कुल 60 नाम हैं जो एक एक कर प्रतिवर्ष आते हैं । लेकिन और भी अनेक महापुरुषों के नाम से संवत्सर चल रहे हैं । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सबसे पुराना संवत है सृष्टि संवत । इसका प्रतिपादन आदि ऋषियों ने किया । शास्त्रीय अवधारणाओं के अनुसार सृष्टि संवत प्रारंभ हुए 194 करोड़ वर्ष हो गए हैं । इसका निर्धारण चारों युगों की चतुर्युगी , मन्वंतर और कल्प गणना से होता है ।

ज्योतिषीय कालगणना युगों पर आधारित है । चारों युग बयालीस लाख वर्ष में बीतते हैं । मत्स्य पुराण , स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में ही नहीं कालखंड का विवरण ऋग्वेद में भी उपलब्ध है । भारत में महापुरुषों के नाम से भी कईं संवत आज भी प्रचलित हैं । कलयुग के आगामी अवतार कल्कि के नाम से चला कल्कि संवत 5123 वर्ष पुराना है ।

इसी प्रकार श्रीकृष्ण संवत 5256 वर्ष , सप्तऋषि संवत 5098 , बुद्ध संवत 2645 , महावीर संवत 2548 , शक संवत 1945 , हिजरी संवत 1444 , फसली संवत 1430 , नानकशाही संवत 555 तथा खालसा संवत 324 वर्ष पुराने हैं । ये समस्त संवत आज भी प्रचलित हैं । विक्रमी संवत 2082 अंग्रेजी ईस्वी सन 2025 से पहले शुरू हुआ , यह प्रामाणिक है ।

रविवार से विक्रमी संवत 2082 प्रारंभ हो गया है । यह संवत ही सर्वत्र प्रचलित है । इस वर्ष का राजा सूर्य है तथा मंत्री भी सूर्य । परिणामस्वरूप भीषण गर्मी पड़ेगी । नवरात्र  लगे और रविवार को ही संपन्न हो गए । आइए अपना नववर्ष मनाएं , पंचांग पूजन करें , नवरात्र के पहले दिन से मां का पूरे साल  आराधना करें । साथ ही भगवान राम के अवतरण दिवस  भी हो गया अब आप रोजाना मानस पाठ प्रारंभ करें ।
नववर्ष और नवरात्र सर्वत्र मंगलमय हों , यही कामना भगवती से करते हैं ।

🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
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*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

 
jyotis


*🎈दिनांक - 08 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    एकादशी    21:12:22 pm  तत्पश्चात द्वादशी *
*🎈नक्षत्र -        आश्लेषा    07:54:02 रात्रि तत्पश्चात     मघा*
*🎈योग -शूल    18:09:13 शाम तक, तत्पश्चात         गण्ड*
*🎈करण-         वणिज    08:31:50 pm तत्पश्चात     बव*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 03:46 am
से  05:20 am तक*
*🎈सूर्योदय -     06:19:22*
*🎈सूर्यास्त - 06:54:41
*🎈चन्द्र राशि    -   कर्क*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:47 ए एम से 05:33  तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:12 पी एम से 01:02 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:14 ए एम, अप्रैल 09 से 12:59 ए एम, अप्रैल 09 तक*
*⛅रवि योग    -    06:18 ए एम से 07:55 ए एम तक*
👉*⛅ विशेष- * एकादशी व्रत
सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। इस प्रकार से 08 अप्रैल (Kamada Ekadashi 2025 Kab hai) को कामदा एकादशी व्रत किया जाएगा।

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
रोग    06:19 - 07:54    अशुभ
उद्वेग    07:54 - 09:28    अशुभ
चर    09:28 - 11:03    शुभ
लाभ    11:03 - 12:37    शुभ
अमृत    12:37 - 14:11    शुभ
काल    14:11 - 15:46    अशुभ
शुभ    15:46 - 17:20    शुभ
रोग    17:20 - 18:55    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    18:55 - 20:20    अशुभ
लाभ    20:20 - 21:46    शुभ
उद्वेग    21:46 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:37*    शुभ
अमृत    24:37* - 26:02*    शुभ
चर    26:02* - 27:27*    शुभ
रोग    27:27* - 28:53*    अशुभ
काल    28:53* - 30:18*    अशुभ

kundli




🙏♥️:*चैत्रीय कामदा एकादशी
की हार्दिक शुभकामनाएं*।

-♥️ श्री स्वामीनारायण
चैत्र, शुक्ल नवमी चैत्र शुक्ल  श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के पास गोण्डा जिले के छपिया ग्राम में उनका इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ। रामनवमी होने से सम्पूर्ण क्षेत्र में पर्व का माहौल था। पिता श्री हरिप्रसाद व माता भक्तिदेवी ने उनका नाम घनश्याम रखा। बालक के हाथ में पद्म और पैर से बज्र, ऊर्ध्वरेखा तथा कमल का चिन्ह देखकर ज्योतिषियों ने कह दिया कि यह बालक लाखों लोगों के जीवन को सही दिशा देगा।

पांच वर्ष की अवस्था में बालक को अक्षरज्ञान दिया गया। आठ वर्ष का होने पर उसका जनेऊ संस्कार हुआ। छोटी अवस्था में ही उसने अनेक शास्त्रों का अध्ययन कर लिया। जब वह केवल 11 वर्ष का था, तो माता व पिताजी का देहांत हो गया। कुछ समय बाद लोगो के कल्याण के हेतु उन्होंने घर छोड़ दिया और अगले सात साल तक पूरे देश की परिक्रमा की। अब लोग उन्हें नीलकंठवर्णी कहने लगे। इस दौरान उन्होंने गोपालयोगी से अष्टांग योग सीखा। वे उत्तर में हिमालय, दक्षिण में कांची, श्रीरंगपुर, रामेश्वरम् आदि तक गये। इसके बाद पंढरपुर व नासिक होते हुए वे गुजरात आ गये।

एक दिन नीलकंठवर्णी मांगरोल के पास 'लोज' गांव में पहुंचे। वहां उनका परिचय स्वामी मुक्तानंद में हुआ, जो स्वामी रामानंद के शिष्य थे। नीलकंठवर्णी स्वामी रामानंद के दर्शन को उत्सुक थे। उधर रामांनद जी भी प्रायः भक्तों से कहते थे कि असली नट तो अब आएगा, मैं तो उसके आगमन से पूर्व डुगडुगी बजा रहा हूं। भेंट के बाद रामांनद जी ने उन्हें स्वामी मुक्तानंद के साथ ही रहने को कहा। नीलकंठवर्णी ने उनका आदेश शिरोधार्य किया।

उन दिनों स्वामी मुक्तानंद कथा करते थे। उसमें स्त्री तथा पुरुष दोनों ही आते थे। नीलकंठवर्णी ने देखा और अनेक श्रोताओं और साधुओं का ध्यान कथा की ओर न होकर महिलाओं की ओर होता है। अतः उन्होंने पुरुषों तथा स्त्रियों के लिए अलग कथा की व्यवस्था की तथा प्रयासपूर्वक महिला कथावाचकों को भी तैयार किया। उनका मत था कि संन्यासी को उसके लिए बनाये गये सभी नियमों का कठोरतापूर्वक पालन करना चाहिए।

कुछ समय बाद स्वामी रामानंद ने नीलकंठवर्णी को पीपलाणा गांव में दीक्षा देकर उनका नाम 'सहजानंद' रख दिया। एक साल बाद जेतपुर में उन्होंने सहजानंद को अपने सम्प्रदाय का आचार्य पद भी दे दिया। इसके कुछ समय बाद स्वामी रामानंद जी का शरीरांत हो गया। अब स्वामी सहजानंद ने गांव-गांव घूमकर सबको स्वामिनारायण मंत्र जपने को कहा। उन्होंने निर्धन सेवा को लक्ष्य बनाकर सब वर्गों को अपने साथ जोड़ा। इससे उनकी ख्याति सब ओर फैल गयी। वे अपने शिष्यों को पांच व्रत लेने को कहते थे। इनमें मांस, मदिरा, चोरी, व्यभिचार का त्याग तथा स्वधर्म के पालन की बात होती थी।

भगवान स्वामिनारायण जी ने जो नियम बनाये, वे स्वयं भी उनका कठोरता से पालन करते थे। उन्होंने यज्ञ में हिंसा, बलिप्रथा, सतीप्रथा, कन्या हत्या, भूत बाधा जैसी कुरीतियों को बंद कराया।

🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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🌻श्रीरामजन्ममहोत्सवम्💥 🎈🎈उपलक्ष्य सपरिवारं भूरिशः हार्दिक्यः शुभाशयाः । भगवतः श्रीरामस्य कृपाप्रसादः सर्वदैव भवतु इति मंगलकामनाभिः सह 🙏 🌷🌷🙏🙏💐*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*🎈

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