Type Here to Get Search Results !

पंचांग - 07-04-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 07 अप्रैल 2025*
*🎈दिन- सोमवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    दशमी     07:59:32 pm  तत्पश्चात     एकादशी *
*🎈नक्षत्र -        पुष्य    06:23:49 रात्रि तत्पश्चात     आश्लेषा*
*🎈योग -धृति    18:17:36 शाम तक, तत्पश्चात         शूल*
*🎈करण-         तैतुल    07:36:12 pm तत्पश्चात     वणिज*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 07:55 am
से  09:29 am तक*
*🎈सूर्योदय -     06:20:26*
*🎈सूर्यास्त - 06:54:11
*🎈चन्द्र राशि    -   कर्क*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से प्रातः 05:59 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:12 पी एम से 01:03 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:14 ए एम, अप्रैल 08 से 01:00 ए एम, अप्रैल 08 तक*
*⛅रवि योग    -    पूरे दिन*

👉*⛅ विशेष- *
चैत्रीय नवरात्रि,राम नवमी व हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं*।
 
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    06:20 - 07:55    शुभ
काल    07:55 - 09:29    अशुभ
शुभ    09:29 - 11:03    शुभ
रोग    11:03 - 12:37    अशुभ
उद्वेग    12:37 - 14:12    अशुभ
चर    14:12 - 15:46    शुभ
लाभ    15:46 - 17:20    शुभ
अमृत    17:20 - 18:54    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
चर    18:54 - 20:20    शुभ
रोग    20:20 - 21:45    अशुभ
काल    21:45 - 23:11    अशुभ
लाभ    23:11 - 24:37*    शुभ
उद्वेग    24:37* - 26:02*    अशुभ
शुभ    26:02* - 27:28*    शुभ
अमृत    27:28* - 28:54*    शुभ
चर    28:54* - 30:19*    शुभ

kundli




🙏♥️:*चैत्रीय नवरात्रि व राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं*।

-♥️ कामदा एकादशी मंगलवार, 8,अप्रैल  2025 को
9 अप्रैल को, पारण व्रत तोड़ने का समय - 06:00 से 08:30
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 7, अप्रैल  2025 को 20:00 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 8, अप्रैल  2025 को 21:12 बजे
इस वर्ष चैत्र शुक्ल एकादशी का क्षय है अतः स्मार्तो को (कामदा एकादशी व्रत) दशमीविद्धा एकादशी में ही करना होगा क्योंकि ऐसा ना करने पर द्वादशी के दिन वैष्णव के व्रत के साथ ही व्रत करने पर उनको पारणा त्रयोदशी में करनी पड़ेगी जो कि उनके लिए सर्वथा निषेध है। इसलिए इस स्थिति में ऋषि श्रृंग का विशेष वचन है।
"परणाहे न लभ्यते द्वादशी कल्यापि चेत।
तदानीं दशमीविद्ध्या प्युपोष्यैकादशी तिथि:।
कामदा एकादशी जिसे फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसे श्रीहरि विष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है। इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोनुकूल फल देने वाली होने के कारण फलदा और कामन पूर्ण करने वाली होने से कामदा कही जाती है। इस एकादशी की कथा श्री कृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पूर्व राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने सुनायी थी। आइये हम भी इस एकादशी की पुण्य कथा का श्रवण करें।
कामदा एकादशी व्रत विधि
एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के पश्चात संकल्प करके श्री विष्णु के विग्रह की पूजन करें। विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि नाना पदार्थ निवेदित करें। आठों प्रहर निर्जल रहकर विष्णु जी के नाम का स्मरण एवं कीर्तन करें। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है अत: ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजना ग्रहण करें। इस प्रकार जो चैत्र शुक्ल पक्ष में एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामना पूर्ण होती है।
कामदा एकादशी व्रत कथा
पुराणों में प्रत्येक मास की एकादशी का माहात्म्य कथाओं के माध्यम से व्याख्यायित किया गया है। चैत्र शुक्ल एकादशी यानि कामदा एकादशी की कथा कुछ इस प्रकार है।
हुआ यूं कि एक बार धर्मराज युद्धिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के सामने चैत्र शुक्ल एकादशी का महत्व, व्रत कथा व पूजा विधि के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे कुंते बहुत समय पहले वशिष्ठ मुनि ने यह कथा राजा दिलीप को सुनाई थी वही मैं तुम्हें सुनाने जा रहा हूं।
रत्नपुर नाम का एक नगर होता था जिसमें पुण्डरिक नामक राजा राज्य किया करते थे। रत्नपुर का जैसा नाम था वैसा ही उसका वैभव भी था। अनेक अप्सराएं, गंधर्व यहां वास करते थे। यहीं पर ललित और ललिता नामक गंधर्व पति-पत्नी का जोड़ा भी रहता था। ललित और ललिता एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, यहां तक कि दोनों के लिये क्षण भर की जुदाई भी पहाड़ जितनी लंबी हो जाती थी।

एक दिन राजा पुण्डरिक की सभा में नृत्य का आयोजन चल रहा था जिसमें गंधर्व गा रहे थे और अप्सराएं नृत्य कर रही थीं। गंधर्व ललित भी उस दिन सभा में गा रहा था लेकिन गाते-गाते वह अपनी पत्नी ललिता को याद करने लगा और उसका एक पद थोड़ा सुर से बिगड़ गया। कर्कोट नामक नाग ने उसकी इस गलती को भांप लिया और उसके मन में झांक कर इस गलती का कारण जान राजा पुण्डरिक को बता दिया। पुण्डरिक यह जानकर बहुत क्रोधित हुए और ललित को श्राप देकर एक विशालकाय राक्षस बना दिया। अब अपने पति की इस हालत को देखकर ललिता को बहुत भारी दुख हुआ। वह भी राक्षस योनि में विचरण कर रहे ललित के पिछे-पिछे चलती और उसे इस पीड़ा से मुक्ति दिलाने का मार्ग खोजती। एक दिन चलते-चलते वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जा पंहुची और ऋषि को प्रणाम किया अब ऋषि ने ललिता से आने का कारण जानते हुए कहा हे देवी इस बियाबान जंगल में तुम क्या कर रही हो और यहां किसलिये आयी हो। तब ललिता ने सारी व्यथा महर्षि के सामने रखदी। तब ऋषि बोले तुम बहुत ही सही समय पर आई हो देवी। अभी चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि आने वाली है। इस व्रत को कामदा एकादशी कहा जाता है इसका विधिपूर्वक पालन करके अपने पति को उसका पुण्य देना, उसे राक्षसी जीवन से मुक्ति मिल सकती है। ललिता ने वैसा ही किया जैसा ऋषि श्रृंगी ने उसे बताया था। व्रत का पुण्य अपने पति को देते ही वह राक्षस रूप से पुन: अपने सामान्य रूप में लौट आया और कामदा एकादशी के व्रत के प्रताप से ललित और ललिता दोनों विमान में बैठकर स्वर्ग लोक में वास करने लगे।
मान्यता है कि संसार में कामदा एकादशी के समान कोई अन्य व्रत नहीं है। इस व्रत की कथा के श्रवण अथवा पठन मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
कामदा एकादशी के लाभ
कामदा एकादशी का उपवास करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। हिन्दु धर्म में किसी ब्राह्मण की हत्या करना सबसे भयंकर पाप है। यह माना जाता है कि ब्राह्मण की हत्या का पाप भी कामदा एकादशी उपवास करने से मिट जाता है।
ठाकुर जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul





Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad