*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक - 13 मार्च 2025*
*🎈दिन - गुरुवार*
*🎈विक्रम संवत् - 2081*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - फाल्गुन*
*🎈पक्ष शुक्ल*
*🎈तिथि - चतुर्दशी 09:11:00 पूर्णिमा *
*🎈नक्षत्र - पूर्व फाल्गुनी 30:18:25 am तक तत्पश्चात उत्तर फाल्गुनी 32:53:09*
*🎈योग - धृति 13:01:28
तक, तत्पश्चात शूल*
*🎈करण- वणिज 10:35:10
तत्पश्चात बव *
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:13 से शाम 03:42 तक*
*🎈सूर्योदय - 06:47:00*
*🎈सूर्यास्त - 06:40:41*
*🎈चन्द्र राशि- सिंह*
*🎈सूर्य राशि - कुम्भ*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10am से 05:58am तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:21 पी एम से 01:08 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:20 ए एम, मार्च 14 से 01:08 ए एम, मार्च 14 तक*
*🎈व्रत पर्व विवरण -
👉*चतुर्दशी तिथि अनुसार आहार-विहार क्या करे।*
*चतुर्दशी तिथि पर क्या नहीं खाना चाहिए. साथ ही, तिथि के मुताबिक आहार-विहार करने से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ होता है. आइए जानते हैं कि चतुर्दशी तिथि पर कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए, जैसे कि मूली, तेल, लाल साग आदि.*
♥️*दूध, दही, लहसुन, मूली, गुड़, तिल, नींबू, सभी प्रकार के फल, आइसक्रीम, तुलसी व अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए*
*इनके अलावा दूध के साथ नमक का सेवन भी वर्जित माना जाता है*
*🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ 06:47 - 08:16 शुभ
रोग 08:16 - 09:45 अशुभ
उद्वेग 09:45 - 11:15 अशुभ
चर 11:15 - 12:44 शुभ
लाभ 12:44 - 14:13 शुभ
अमृत 14:13 - 15:42 शुभ
काल 15:42 - 17:11 अशुभ
शुभ 17:11 - 18:41 शुभ
*🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत 18:41 - 20:11 शुभ
चर 20:11 - 21:42 शुभ
रोग 21:42 - 23:13 अशुभ
काल 23:13 - 24:43* अशुभ
लाभ 24:43* - 26:14* शुभ
उद्वेग 26:14* - 27:45* अशुभ
शुभ 27:45* - 29:15* शुभ
अमृत 29:15* - 30:46* शुभ
♥️#होलिकादहन-13मार्च गुरूवार करें ये विशेष उपाय
होलिका दहन की रात्रि में होली की पूजा पान पर, घी में भीग दो लोंग, बतासा, कपूर रख कर करें
♥️१-*दुर्घटना से बचाव के लिए* :
अगर आप अक्सर दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं तो होलिका दहन से पहले पांच काली गुंजा (चनोटि) रत्ती लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पांचों गुंजाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
♥️२-*धन वृद्धि के लिए उपाय*
आप होली की रात अपने घर में एकांत स्थान पर बैठकर नीचे लिखे मंत्र का जप कमल गट्टे की माला से करें। इस उपाय से आपके धन में वृद्धि होगी।
👉मंत्र- ऊँ नमो धनदाय स्वाहा।।
♥️३-रोगनाश के लिए उपाय—-
अगर आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं तो इसके लिए भी होली की रात को खास उपाय करने से आपकी बीमारी दूर हो सकती है।होली की रात आप नीचे लिखे मंत्र का जप तुलसी की माला से करें।
👉मंत्र- ऊँ नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा।।
♥️४-*होलिका दहन के दिन, सुबह ही थोड़े से काले तिल काले कपड़े में लपेट कर अपने पास में(अपनी जेब में) रखें । दिन भर इसे अपने पास ही रखें रहें । रात को होलिका दहन के समय इस सामग्री को होलिका की अग्नि में डाल दें । मन में भावना रखें की इसके साथ आपकी समस्याएं, दुःख एवं संकट इस होली के अग्नि में जल जाएँ ।*
शुभमस्तु।♥️
🩸धनवान होने का एक शक्तिशाली सिद्ध उपाय 🩸
🪔💐🐦📍🪔💐🍂💎🪔💦🌹धनवान होने का एक शक्तिशाली सिद्ध उपाय :
इक्कीस से इकतालीस दिन करना है , अति साधारण उपाय है , कोई ज्यादा खर्च नही है , साधक के जीवन में नियमितता, समर्पण और अचुकता निर्माण करने का मुख्य उद्देश्य है । किसी भी वस्तु या साधना को करने के लिए नियम पालन और आलस का त्याग आवश्यक है ।
साधक को करना ये है के प्रत्येक दिन 1 अनार का रस निकालना है , ( साधक शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए खुद अनार छीले तो उत्तम ) या आप किसी की सहायता लीजिए , और अनार का रस नीचे दिए गए स्त्रोत को गाते हुए शिवलिंग पे चढ़ाना है । ( ख्याल रहे मध्यान से पहले , नहा धो के शिवलिंग पे अनार का रस बिना नियम तोड़े चढ़ाना है । और फिर अपनी इच्छा ( धन संबंधी इच्छा ) को प्रभु को बताते हुए अपने कार्य पे लग जाए । फिर देखिए क्या होता है !!
ॐ वन्दे देव ऊमा पति सुरगुरु।
वंदे जगत कारणं।
वन्दे पन्नग भूषणं मृगधरमं।
वंदे पशनाम पति।
वन्दे सूर्य शशांक वहिन नयनम।
वन्दे मुकुन्द प्रियम।
वन्दे भक्त जनाश्रयम च वरदम।
वन्दे शिवम शंकरम।
ॐ मृत्युंजयाय रुद्राय।
निलकंठाय शंभवे।
अमृतेशाय शर्वाय।
महादेवाय ते नमः ॐ।
नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय। महादेवाय त्र्यंबकाय।
त्रिपुरांतकाय त्रिकालाग्नी।
कालाय कालाग्नी रुद्राय निलकंठाय। मृत्युजय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन महादेवाय नमः
नियम :
१ - साधक स्नान शुद्धि कर के अनार रस निकाले और दोपहर के पहले शिवलिंग पे चढ़ाएं, ( शिव मंदिर होना चाहिए जहां निरंतर लिंग पे जलाधारी से जलाभिषेक होते रहता है वैसा मंदिर उत्तम )
२- सबसे महत्वपूर्ण बात - आलस और घर बैठे बैठे लक्ष्मी प्राप्त नहीं होती है , साधक अपने कार्य को पूरी लगन और निष्ठा से करें, आपके कार्य में आने वाली सभी दिक्कतों का निराकरण मिलने लगेगा । उर्जावान महसूस होगा और उम्मीद बढ़ेगी जिससे आप प्रयास करेंगे और सफलता प्राप्त करेंगे ।
यह निशुल्क और कम से कम खर्च वाला साधना प्रयोग है । इसको करने से किसी प्रकार का नुकसान तो होगा नही , उल्टे का साधक मंदिर के पवित्र वातावरण में जायेगा उससे पॉजिटिविटी बढ़ेगी , धर्म का प्रसार होगा , साधक नए लोगो से मेलजोल बढ़ाएगा और मन भी शांत रहेगा । कर के देखिए और अपने अनुभव हमें लिख भेजिए ।
इसदौरान किसी भी तरह के प्रश्न हो आपके तो आप हमें पूछ सकते है । सभी परामर्श निशुल्क रहेंगे ।
धर्म सेवा ही ईश्वर सेवा है ।
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हवन आहुति : प्रकार और सामग्री
सनातन और वैदिक धर्म में प्राचीन समय से ही यज्ञ, होम और हवन का महत्व रहा है , यज्ञ के द्वारा दी गई आहुति देवताओं को पहुंचती है वैसा माना जाते आ रहा है, यज्ञ त्याग का ही एक प्रकार है ,
यज्ञ में दी जाने वाली हविश या आहुति किसी वस्तु का त्याग करने के समान है l इन आहुतियां में विविध प्रकार के द्रव्य समिधा , लकड़ी और अन्य कई चीजों जैसे ( अन्न, फल , नारिकेल , वस्त्र और रत्नों) का प्रयोग होता है।
वस्तु और द्रव्यों को समय-समय पर विविध प्रकार के होम हवन आदि के लिए बदला जाता है।
शास्त्रों और यज्ञ विधानों की बहुतायत व्यवस्था के कारण कई बार साधक या व्यक्ति अज्ञानता वश गलत चीजों की आहुति यज्ञ को देते हैं जो की उपयुक्त नहीं है , जिसके कारण हवन कर्म का पूर्ण फल मिलना बाधित हो सकता है।
यह एक ऐसी व्यवस्था है, जैसे कि आप कोई शाकाहारी व्यक्ति को अपने घर बुलाकर आओभगत से मांसाहारी भोजन खिलाने या देने की चेष्टा करें !! तो क्या वह व्यक्ति आपसे या आपकी मेहनत से प्रसन्न हो सकता है ??
बिल्कुल भी नहीं , क्योंकि आप उसको उसके उपयुक्त भोजन नहीं परोस रहे हैं , जो वस्तु उसके लिए उपयुक्त नहीं है वह प्राप्त करके वह देवता या व्यक्ति प्रसन्न नहीं हो सकता ,
उसी प्रकार यज्ञ में जिस कार्य के लिए या जिस देवता को आप आहुति दे रहे हैं वह देवता की प्रिय वस्तु या द्रव्य ही यज्ञ में आहुति देने से यज्ञ का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
अथर्ववेद में यज्ञ कर्म और आहुतियां के लिए एक विस्तृत जानकारी उपलब्ध है , उसके कुछ अंश जो की सामान्य रूप में कोई भी साधक अपने इष्ट मित्रों या गुरु मित्रों के साथ प्रयोग करके अपनी इच्छा के अनुसार फल प्राप्त कर सकता है।
षटकर्म प्रयोग का पूर्ण ज्ञान होने के पश्चात ही !! या फिर गुरु की आज्ञा से और गुरु की देखरेख में ही करने चाहिए ।
हालांकि यहां पर उसकी जानकारी देने का अर्थ ये आपको उसको करने का प्रलोभन नहीं है , लेकिन अगर किसी अनजान स्थल पर आप यज्ञ में दी जाने वाली आहुतियां के दौरान मारण प्रयोग या मोहन या वशीकरण कर्म की द्रव्यों की आहुति देखें , तो आप उसे स्थान से सुरक्षित अंतर बनाए रखें , या उस स्थान का त्याग कर दे , यह भाव को ध्यान में रखते हुए इस माहिती को यहां साझा किया जा रहा है।
( ख्याल रखे तंत्र का उपयोग किसी का बुरा करने के लिए नही है , यह जीवन को और बेहतर बनाने के लिए है , मारणकर्म जैसे कर्म का अंत बेहद बुरा होता है ,और आत्मलिंगम सन्निधि और श्री उच्चिष्ठ गणपति साधना पीठ या उसके कोई भी साधक या आचार्य गण उसका समर्थन या उसका प्रयोग नहीं करते है । )
हवन सामग्री हवन के प्रकार अनुसार :
शांतिकर्म के लिए :
दूध , घी , तिल ( काले तिल ), पीपल , गुलर की लकड़ी।
पुष्टि कर्म के लिए :
घी , बेलपत्र या चमेली की पुष्प
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए :
घी युक्त अन्न, कमलबीज , दही, केसर , जायफल
*समृद्धि प्राप्ति के लिए* :
*घी , बेलपत्र , काले तिल*
*आकर्षण प्रयोग के लिए* :
*चिरोंजी* , *बेलपत्र , चमेली तेल में लिप्त हुई समिधा*
*वशीकरण प्रयोग के लिए* :
*पीली सरसों और नमक ( खड़ा नमक )*
*उच्चाटन प्रयोग के लिए :*
*कोए के पंख ( चुने हुए ,पक्षी को मार कर प्राप्त किए हुए उपयुक्त नहीं )*
*मोहन प्रयोग के लिए* :
*धतूरे के बीज*
*मारण कर्म के लिए :*
*रक्त लिप्त या कोए के पंख।*
*नोट: उपरोक्त लेख ग्रंथों से साभार है।*
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉 * शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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