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पंचांग - 11-03-2025

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक - 11 मार्च 2025*
*🎈दिन -  मंगलवार*
*🎈विक्रम संवत् - 2081*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - फाल्गुन*
*🎈पक्ष शुक्ल*
*🎈तिथि    -    द्वादशी    08:13:22 त्रयोदशी *
*🎈नक्षत्र - आश्लेषा    26:14:19 am  तक तत्पश्चात मघा*
*🎈योग - अतिगंड    13:16:16
तक, तत्पश्चात     सुकर्मा*
*🎈करण- बालव    08:13:21
तत्पश्चात तैतुल    *
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 03:42 से शाम 05:11 तक*
*🎈सूर्योदय - 06:49:07*
*🎈सूर्यास्त - 06:39:38*
*🎈चन्द्र राशि       कर्क    till 26:14:19*
चन्द्र राशि-       सिंह    from 26:14:19*
*🎈सूर्य राशि -     कुम्भ*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12am से 06:00am तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:22 पी एम से 01:09 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:21 ए एम, मार्च 12 से 01:09 ए एम, मार्च 12 तक*

*🎈व्रत पर्व विवरण -
👉*द्वादशी  तिथि अनुसार आहार-विहार क्या करे।*
*एकादशी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और कुछ चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए।
 *शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं।*
*फलों में केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।*
*सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन किया जा सकता है।*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    06:50 - 08:19    शुभ
काल    08:19 - 09:47    अशुभ
शुभ    09:47 - 11:16    शुभ
रोग    11:16 - 12:45    अशुभ
उद्वेग    12:45 - 14:13    अशुभ
चर    14:13 - 15:42    शुभ
लाभ    15:42 - 17:10    शुभ
अमृत    17:10 - 18:39    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    18:40 - 20:11    अशुभ
लाभ    20:11 - 21:42    शुभ
उद्वेग    21:42 - 23:13    अशुभ
शुभ    23:13 - 24:44*    शुभ
अमृत    24:44* - 26:15*    शुभ
चर    26:15* - 27:46*    शुभ
रोग    27:46* - 29:17*    अशुभ
काल    29:17* - 30:48*    अशुभ
kundli



♥️♥️
🩸 त्रिनेत्र जागरण साधना 🩸
🪔💐🐦📍🪔💐🍂💎🪔💦🌹

        💦ग्रंथों से साभार🙏

       परमेश्वर शिव त्रिकाल दृष्टा, त्रिनेत्र, आशुतोष, अवढरदानी, जगतपिता आदि अनेक नामों से जानें जाते हैं। महाप्रलय के समय शिव ही अपने तीसरे नेत्र से सृष्टि का संहार करते हैं परंतु जगतपिता होकर भी शिव परम सरल व शीघ्रता से प्रसन्न होने वाले हैं। संसार की सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाले शिव को स्वयं के लिए न ऐश्वर्य की आवश्यकता है न अन्य पदार्थों की। वे तो प्रकृति के मध्य ही निवासते हैं। कन्दमूल ही जिन्हें प्रिय हैं व जो मात्र जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
💎
      भगवान शिव सृष्टि के संहारकर्ता हैं। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा पालनकर्ता, श्री हरि विष्णु कल्याण करने वाले देवता हैं। ऐसी वेद, पुराण एवं विद्वानों की मान्यता है एवं सृष्टि का संचालन होता है।
       मनुष्य प्रभु की आराधना किसी भी रूप में करता चला आ रहा है। भारतीय मनुष्य शिव को कई रूपों में भजता है, पूजता है और मनाता है।
💎
        भगवान रुद्र साक्षात महाकाल हैं। सृष्टि के अंत का कार्य इन्हीं के हाथों है। सारे देव, दानव, मानव, किन्नर शिव की आराधना करते हैं।
     मानव के जीवन में जो कष्ट आते हैं, किसी न किसी पाप ग्रह के कारण होते हैं। भगवान शिव को सरल तरीके से मनाया जा सकता है। शिव को मोहने वाली अर्थात शिव को प्रसन्न करने वाली शक्ति है जो महाकाली भी कहलाती हैं।
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       भ्रूमध्य भाग में अवस्थित आज्ञा चक्र को तृतीय नेत्र कहा जाता है। शिव और पार्वती के चित्रों में उनका एक पौराणिक तीसरा नेत्र भी दिखाया जाता है। कथा के अनुसार शंकर भगवान ने इसी नेत्र को खोलकर उसमें से निकलने वाली अग्नि से कामदेव को भस्म किया था।
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       दिव्य दृष्टि का केन्द्र भी यही है। इससे टेलीविजन जैसा कार्य लिया जा सकता है। दूरदर्शन का दिव्य यन्त्र यही लगा हुआ है। महाभारत के सारे दृश्य संजय ने इसी माध्यम से देखे और धृतराष्ट्र को सुनाए थे। चित्र लेखा द्वारा प्रद्युम्न प्रणय इसी दिव्य दृष्टि का ही परिणाम था।
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       आज्ञा- चक्र के स्थान पर ध्यान करने का यही उद्देश्य है कि अपने भीतर की प्रकाश सत्ता को विकसित किया जा सके।
       यदि उसे विकसित किया जा सके तो कई दिव्य क्षमताएँ अपने भीतर जागृत हो सकती हैं। बल्ब अपने आप में प्रकाशित होता है, तो उसके प्रकाश में अन्य वस्तुएँ भी दिखाई पड़ती हैं।
💎
        आकाश में जगमगाते तारे भी रात्रि के सघन अन्धकार को कम कर देते हैं कि आस- पास की चीजों को किसी सीमा तक देखा जा सके। हमारे आंतरिक प्रकाश कण यदि कुछ अधिक जगमगाने लगें तो संसार में अन्यत्र घटित हो रही घटनाओं को देखा- समझा जा सकता है।
💎
        इसके अतिरिक्त भी आज्ञा- चक्र के जाग्रत हो जाने पर अनेकों दिव्य लाभ हैं। इसके द्वारा कई शक्तियाँ और दैवी विभूतियाँ अर्जित की जा सकती हैं। यह साधना अपने साधक को उन सभी दिव्य लाभों के साथ आत्म- कल्याण के पथ पर अग्रसर करता हैं जिनसे वह अग्यात है।

         मंत्रो का वास्तविक उद्देश्य दिव्य दृष्टि को ज्योतिर्मय बनाता है। उसके आधार पर सूक्ष्म जगत की झाँकी की जा सकती है। अन्तः क्षेत्र में दबी हुई रत्न राशि को खोजा और पाया जा सकता है।
        देश, काल, पात्र की स्थूल सीमाओं को लाँघ कर अविज्ञात और अदृश्य का परिचय प्राप्त किया जा सकता है।
       आँखों के इशारे से तो मोटी जानकारी भर दी जा सकती है, पर दिव्य दृष्टि से तो किसी के अन्तः क्षेत्र को गहराई में प्रवेश करके वहाँ ऐसा परिवर्तन किया जा सकता है जिससे जीवन का स्तर एवं स्वरूप ही बदल जाय।
     इस प्रकार मंत्र साधना यदि सही रीति से सही उद्देश्य के लिए की जा सके तो उससे साधक को अंतःचेतना के विकसित होने का असाधारण लाभ मिलता है साथ ही जिस प्राणी या पदार्थ पर इस दिव्य दृष्टि का प्रभाव डाला जाय उसे भी विकासोन्मुख करके लाभान्वित किया जा सकता है।
🐦🙏
        भौहों के बीच आज्ञा चक्र में ध्यान लगने पर पहले काला और फिर नीला रंग दिखाई देता है. फिर पीले रंग की परिधि वाले नीला रंग भरे हुए गोले एक के अन्दर एक विलीन होते हुए दिखाई देते हैं. एक पीली परिधि वाला नीला गोला घूमता हुआ धीरे-धीरे छोटा होता हुआ अदृश्य हो जाता है औरउसकी जगह वैसा ही दूसरा बड़ा गोला दिखाई देने लगता है.
     इस प्रकार यह क्रम बहुत देर तक चलता रहता है.

  🌿💦    इस प्रकार दिखने वाला नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं जीवात्मा का रंग है. नीले रंग के रूप में जीवात्मा ही दिखाई पड़ती है.
     पीला रंग आत्मा का प्रकाश है जो जीवात्मा के आत्मा के भीतर होने का संकेत है.
इस प्रकार के गोले दिखना आज्ञा चक्र के जाग्रत होने का लक्षण है.

❤️‍🔥       इससे भूत-भविष्य-वर्तमान तीनों प्रत्यक्ष दिखने लगते है और भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के पूर्वाभास भी होने लगते हैं.
❤️‍🔥       साथ ही हमारे मन में पूर्ण आत्मविश्वास जाग्रत होता है जिससे हम असाधारण कार्य भी शीघ्रता से संपन्न कर लेते हैं.

🪷       जो व्यक्ति ज्योतिष के क्षेत्र मे कार्यरत है उनके लिये यह साधना सर्वप्रथम आवश्यक मंत्र साधना है।
🪷      इस साधना को सम्पन्न करने से साधक का त्रिनेत्र जागृत होता है और सभी प्रकार के घटनाओं को अच्छे से देख समझ पाने मे सक्षम होता है।

🔻   साधना विधी:-🔻

     साधना किसी भी अमावस्या या पुर्णिमा के दिन से संकल्प लेकर शुरु करें।
    सफेद आसन और वस्त्र का व्यवस्था पहीले से ही करना है ताकी इनका साधना काल मे उपयोग हो सके।
  दिशा-  पूर्व हो और साधना का समय ब्रम्हमुहुर्त है। ब्रम्हमुहुर्त का समय नित्य सवेरे 4:24 से 6 बजे तक होता है।
     माला रुद्राक्ष की होना चाहिये और माला को 🚩"प्राण-प्रतिष्ठा विधी-विधान" से सिद्ध करे।
       अब प्रातः स्नानादि क्रिया के बाद साधना कक्ष मे बैठकर साधक अपने सामने लकडे के बाजोट (चौकी) पर सफेद वस्त्र बिछाये और उस पर शिव जी का चित्र स्थापित करें।
     जैसा भी शिवपुजन करने मे आप सक्षम हो उस प्रकार से शिवपुजन के साथ गणेश-गुरु पुजन भी अवश्य करें।
       घी का दीपक और सुगंधित आशापुरी धुप भी प्रज्ज्वलित करे।
      शिव जी को पुष्प भी अर्पित करे और उनसे दिव्य दृष्टि प्राप्त करने हेतु प्रार्थना करें।
       यह सब कुछ करने के बाद त्रिनेत्र जागरण मंत्र का 21 माला जाप 21 दिनो तक करने से आपको सफलता प्राप्त हो सकती है।
     विषेश सफलता प्राप्त करने हेतु अपने गुरु से आशिर्वाद प्राप्त करे और रोज मंत्र जाप के बाद 15-20 मिनिट तक आज्ञा-चक्र पर ध्यान लगाने का अभ्यास करे।

💥    त्रिनेत्र जागरण मंत्र-

🚩ॐ सदाशिवाय त्रिनेत्र जाग्रताय पुर्णत्वं दृश्यम रुद्राय नमः🚩

         मंत्र दिखने मे छोटा लगता है परन्‍तु तिव्र है और इसका प्रभाव आप स्वयं अनुभुतित करें।
  इस मंत्र के माध्यम से आप त्रिकाल को अनुभव कर सकते है।आप सभी को सिद्धि प्राप्त हो यही  कामना है ।

      एक विषेश रुद्राक्ष माला का प्रयोग है जिससे साधना मे आपको शिघ्र और पुर्ण सफलता प्राप्त हो सके। इस माला के निर्माण के समय इस पर 🌹 "पंच रुद्र" मंत्रो से अभिषेक करके "शिव-शक्ति" मंत्रो से माला को प्राण-प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए
नोट: उपरोक्त लेख ग्रंथों से साभार है।
🪷🌿❤️‍🔥💦🪷🌿❤️‍🔥💦🪷🌿💦

*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
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