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पंचांग - 05-03-2025

jyotish

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 5 मार्च 2025*
*⛅दिन -  बुधवार *
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष शुक्ल*
*⛅तिथि    -    षष्ठी    12:50:49    
pm तक पश्चात     सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - कृत्तिका    25:07:22 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग -     वैधृति    11:06:02pm तक, तत्पश्चात     विश्कुम्भ*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 12:47 से शाम 02:14 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:36:57*
*⛅ चन्द्र राशि-       मेष*
*⛅सूर्य राशि -     कुम्भ*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:06 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं है*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:22 ए एम, मार्च 06 से 01:11 ए एम, मार्च 06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -
👉*तिथि अनुसार आहार-विहार
*षष्ठी तिथि के दिन, कुछ खास जैसे नीम का पत्ती का प्रयोग नहीं करे आदि चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड (२७.२९-३४) में आता है।)*

 
   *⛅चोघडिया, दिन⛅*
लाभ    06:56 - 08:24    शुभ
अमृत    08:24 - 09:52    शुभ
काल    09:52 - 11:19    अशुभ
शुभ    11:19 - 12:47    शुभ
रोग    12:47 - 14:14    अशुभ
उद्वेग    14:14 - 15:42    अशुभ
चर    15:42 - 17:09    शुभ
लाभ    17:09 - 18:37    शुभ
  *⛅चोघडिया, रात⛅
उद्वेग    18:37 - 20:09    अशुभ
शुभ    20:09 - 21:42    शुभ
अमृत    21:42 - 23:14    शुभ
चर    23:14 - 24:46*    शुभ
रोग    24:46* - 26:18*    अशुभ
काल    26:18* - 27:51*    अशुभ
लाभ    27:51* - 29:23*    शुभ
उद्वेग    29:23* - 30:55*    अशुभ
kundli


*⛅ #हनुमान जी की अतुलित शक्तियों
रामभक्त हनुमान रामभक्त हनुमान को हम नाजाने कितने ही नामों से पूजते हैं। कोई उन्हें पवनपुत्र कहता है तो कोई महावीर, कोई अंजनीपुत्र बुलाता है तो कोई कपीश नाम से उनकी अराधना करता है। भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए, जिनमें से सर्वश्रेष्ठ हैं महावीर हनुमान। शिवपुराण के अनुसार त्रेतायुग में दुष्टों का संहार करने के लिए हनुमान ने शिव के वीर्य से जन्म लिया था।
शिवपुराण में हुए उल्लेख के अनुसार समुद्रमंथन के बाद देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत का बंटवारा करने के लिए विष्णु जी ने मोहिनी का आकर्षक रूप धारण किया था। मोहिनी को देखकर कामातुर शिव ने अपनी लीला रचते हुए वीर्यपात किया जिसे सप्तऋषियों ने सही समय का इंतजार करते हुए संग्रहिहित कर लिया था।
शिव का वीर्य जब वक्त आया तब सप्तऋषियों ने शिव के वीर्य को वानराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ तक पहुंचाया। शिव के इसी वीर्य से अत्यंत पराक्रमी और तेजस्वी बालक हनुमान का जन्म हुआ था।
बाल्यकाल में हनुमान वाल्मिकी रामायण के अनुसार हनुमान अपने बाल्यकाल में बेहद शरारती थी। एक बार सूर्य को फल समझकर उसे खाने दौड़े तो घबराकर देवराज इन्द्र ने उनपर वार किया। इन्द्र के वार से हनुमान बेहोश हो गए, जिसे देखकर वायु देव अत्याधिक क्रोधित हो उठे। उन्होंने समस्त संसार को वायु विहीन कर दिया। चरों ओर त्राहिमाम मच गया। तब स्वयं ब्रह्मा ने आकर हनुमान को स्पर्श किया और हनुमान जीवित हो उठे। उस समय स भी देवतागण हनुमान के पास आए और उन्हें भिन्न-भिन्न वरदान दिए।
सूर्यदेव का वरदान- सूर्यदेव द्वारा दिए गए वरदान की वजह से ही हनुमान सर्वशक्तिमान बने। सूर्यदेव ने उन्हें अपने तेज का सौवा भाग प्रदान किया और साथ ही यह भी कहा कि जब यह बालक बड़ा हो जाएगा तब स्वयं उन्हीं के द्वारा ही शास्त्रों का ज्ञान भी दिया जाएगा। सूर्य देव ने उन्हें एक अच्छा वक्ता और अद्भुत व्यक्तित्व का स्वामी भी बनाया। सूर्यदेव ने पवनपुत्र को नौ विद्याओं का ज्ञान भी दिया था।
यमराज का वरदान- यमराज ने हनुमान को यह वरदान दिया था कि वह उनके दंड से मुक्त रहेंगे और साथ ही वह कभी यम के प्रकोप के भागी भी नहीं बनेंगे।
कुबेर का वरदान- कुबेर ने हनुमान जी को यह वरदान दिया था कि युद्ध में कुबेर की गदा भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। कुबेर ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों के प्रभाव से हनुमान को मुक्त कर दिया।
भोलेनाथ का वरदान- महावीर का जन्म शिव के ही वीर्य से हुआ था। महादेव ने कपीश को यह वरदान दिया कि किसी भी अस्त्र से उनकी मृत्यु नहीं हो सकती।
विश्वकर्मा का वरदान- देवशिल्पी विश्वकर्मा ने हनुमान को ऐसी शक्ति प्रदान की जिसकी वजह से विश्वकर्मा द्वारा निर्मित किसी भी अस्त्र से उनकी मृत्यु नहीं हो पाएगी, साथ ही हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान भी प्रदान किया।
देवराज इन्द्र का वरदान- इन्द्र देव ने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि उनका वज्र भी महावीर को चोट नहीं पहुंचा पाएगा। इन्द्र देव द्वारा ही हनुमान की हनु खंडित हुई थी, इसलिए इन्द्र ने ही उन्हें हनुमान नाम प्रदान किया।
वरुण देव का वरदान- वरुण देव ने हनुमान को दस लाख वर्ष तक जीवित रहने का वरदान दिया। वरुण देव ने कहा कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने के बाद भी जल की वजह से उनकी मृत्यु नहीं होगी।
ब्रह्मा का वरदान- हनुमान को अचेत अवस्था से मुक्त करने वाले परमपिता ब्रह्मा ने भी हनुमान को धर्मात्मा,परमज्ञानी होने का वरदान दिया। साथ ही ब्रह्मा जी ने उन्हें यह भी वरदान दिया कि वह हर प्रकार के ब्रह्मदंडों से मुक्त होंगे और अपनी इच्छानुसार गति और वेश धारण कर पाएंगे।
तपस्या में लीन मुनी- पौराणिक कथाओं के अनुसार सभी देवी-देवताओं ने हनुमान जी को अपनी शक्तियां और वरदान प्रदान किए थे, जिसके परिणामस्वरूप पवनपुत्र बेरोकटोक घूमने लगे थे। उनकी शैतानियों के कारण सभी ऋषि-मुनी परेशान हो गए थे। वे तपस्या में लीन मुनियों को भी तंग किया करते थे।
शक्तियों की याद- जिसकी वजह से एक बार अंगिरा और भृगुवंश के मुनियों ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया कि वे अपनी सभी शक्तियां और बल भूल जाएं और इसका आभास उन्हें तभी हो, जब कोई उन्हें याद दिलाए।
समुद्र लांघना- इस घटना के बाद हनुमान बिल्कुल सामान्य जीवन जीने लगे। उन्हें अपनी कोई भी शक्ति स्मरण नहीं थी। भगवान राम से मुलाकात के बाद जब सीता को खोजने के लिए लंका जाना था, तब समुद्र लांघने के समय स्वयं प्रभु राम ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करवाया था।
सीता का वरदान- जब सीता की खोज करते हुए हनुमान जी लंका पहुंचे तब बड़ी मशक्कत करने के बाद आखिरकार उन्हें मां सीता दिखाई दीं। जब हनुमान जी ने सीता मां को अपना परिचय दिया तब सीता मां उनसे अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्हंं अमरता के साथ यह भी वरदान दिया कि वे हर युग में राम के साथ रहकर उनके भक्तों की रक्षा करेंगे।
कलयुग में हनुमान की अराधना- हनुमान चालीसा की पंक्तियां “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता” का अर्थ है कि मां देवी सीता ने महावीर को ऐसा वरदान प्राप्त हुआ जिसके अनुसार कलयुग में भी वह किसी को भी आठ सिद्धियां और नौ निधियां प्रदान कर सकते हैं। आज भी यह माना जाता है कि जहां भी रामायण का गान होता है, हनुमान जी वहां अदृश्य रूप में उपस्थित होते हैं।
भगवान राम का वरदान -रावण की मृत्यु और लंका विजय करने के बाद भगवान राम ने हनुमान को यह वरदान दिया था “जब तक इस संसार में मेरी कथा प्रचलित रहेगी, तब तक आपके शरीर में भी प्राण रहेंगे और आपकी कीर्ति भी अमिट रहेगी।
 *☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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vipul

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