*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 20 फरवरी 2025*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - सप्तमी सुबह 09:57:44 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा दोपहर 01:29:14 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - ध्रुव 11:32:38 प्रातः तक, तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:14 से शाम 03:39 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:08:48*
*⛅सूर्यास्त - 06:28:57*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:27 से 06:17 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:26 से दोपहर 01:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:23 ए एम, फरवरी 21 से 01:14 ए एम, फरवरी 21तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - आम तौर पर, सप्तमी के दिन ये बातें ध्यान में रखनी चाहिए:
ताड़ का सेवन वर्जित है.
मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
शुभ 07:09 - 08:34 शुभ
रोग 08:34 - 09:59 अशुभ
उद्वेग 09:59 - 11:24 अशुभ
चर 11:24 - 12:49 शुभ
लाभ 12:49 - 14:14 शुभ
अमृत 14:14 - 15:39 शुभ
काल 15:39 - 17:04 अशुभ
शुभ 17:04 - 18:29 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
अमृत 18:29 - 20:04 शुभ
चर 20:04 - 21:39 शुभ
रोग 21:39 - 23:14 अशुभ
काल 23:14 - 24:48* अशुभ
लाभ 24:48* - 26:23* शुभ
उद्वेग 26:23* - 27:58* अशुभ
शुभ 27:58* - 29:33* शुभ
अमृत 29:33* - 31:08* शुभ
🚩 *व्रत पर्व विवरण -
💥 *विशेष- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सप्तमी का व्रत, माताएं अपने संतान के लिए रखती हैं. इस व्रत को संतान सप्तमी के नाम से जाना जाता है.
, संतान सप्तमी के व्रत में लहसुन-प्याज़, मांस-मछली, चावल-गेहूं, तेल-घी, चीनी वगैरह नहीं खाने चाहिए.
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌷 *👉💐💐सप्तम भाव मे सूर्य के साथ अन्य ग्रहो की युक्ति फल !
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💐जन्म कुंडली मे सप्तम भाव मेशुभ ग्रहों की युति शुभ फल देती है वहीं अशुभ ग्रह या अशुभ स्थानों के स्वामियों की युति अशुभ फल प्रदान करने वाली होती है।
💐सूर्य ग्रह के साथ अन्य ग्रहों की युति होने पर दाम्पत्य जीवन अथवा जीवन साथी ( Life Partner ) कैसा होगा तथा इसका क्या प्रभाव होगा group में आज इस विषय पर चर्चा करते है
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💐सूर्य ग्रह का मानव जीवन से सीधा सम्बन्ध है सूर्य सिंह राशि का स्वामी है तथा यह मेष राशि में उच्च का एवं तुला राशि में नीच का होता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का स्वभाव तामसिक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को आत्मा कहा गया है।
💐 सूर्य ग्रह पिता, मान सम्मान, आदर, यश, सरकार, सरकारी नौकरी, मंत्रीपद इत्यादि का कारक ग्रह है। अतः किसी भी जातक के व्यक्तिगत जीवन में उपर्युक्त विषय का विचार सूर्य ग्रह से किया जाता है।
💐💐सप्तम वा विवाह भाव में सूर्यादि ग्रहों की युति फल |
👌👌सप्तम भाव में *सूर्य-चन्द्र *युति फल |
यदि आपकी जन्मकुण्डली के सप्तम भाव में सूर्य -चन्द्र की युति है तो जातक को अपने जीवनसाथी से अपमानित हो सकता है।
***दाम्पत्य जीवन के सुख में किंचित कमी होती है खासकर मकर तथा कुम्भ लग्न के जातक को। इस योग के कारण दाम्पत्य जीवन को लेकर मानसिक चिन्ता बनी रहती है।
*** यदि अशुभ ग्रह की दृष्टि होती है तो शादी में देरी तथा अकारण क्लेश की स्थिति बनी रहती है।
***सूर्य क्रोधी तथा अहंकारी स्वभाव का ग्रह है वही चन्द्रमा शीतल तथा भावना प्रधान ग्रह है दोनों के साथ होने से पति-पत्नी में अहम् को लेकर टकराव बनी रहती है।
👌👌 सप्तम विवाह भाव में सूर्य-मंगल की युति फल |
👍सप्तम भाव मे जब सूर्य व मंगल दोनों ग्रह एक साथ स्थित हों, तो दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ नहीं होता है। मंगल मांगलिक योग देता है तो सूर्य दाम्पत्य जीवन से पृथकता प्रदान करता है इसी कारण यह योग होने पर जातक को शादी के उपरान्त कुछ समय अपने जीवनसाथी से अलग रहने की स्थिति से गुजरन पड़ सकता है।
**इस योग में तो दोनों में वाक्युद्ध के साथ साथ मारपीट की भी नौबत आ जाती है। इस योग के कारण विवाह में देरी होती है। तलाक से भी इंकार नही किया जा सकता।
💐💐सप्तम भाव में सूर्य-बुध की युति फल
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**सूर्य-बुध की युति बुधादित्य योग का निर्माण करता है यदि जन्म कुण्डली के विवाह सप्तम भाव में यह योग बन रहा है तो दाम्पत्य जीवन में खटास और मिठास दोनों का संगम पूर्ण जीवन व्यतीत होता है।
** पति पत्नी के मध्य मधुर सम्बन्ध होता है हां यदि बुध अस्त है तो अशुभ प्रभाव में देता है। दोनों एक दूसरे को समझने की कोशिश करते है। पति पत्नी दोनों हमेशा यंग दिखते है। दोनों मिलकर धनार्जन करने का प्रयास करेंगे और यदि नहीं करते है तो उन्हें करना चाहिए इससे धन-धान्य की वृद्धि होती है।
यदि सूर्य और बुध दोनों शुभ भाव का स्वामी होकर या इनमे से कोई एक उच्च होकर स्थित है तो इसका प्रभाव शुभ होता है।
ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, बुद्धि चातुर्य में निपुण तथा अग्रसोची होता है। वह अपने बुद्धि बल से जीवन पथ पर आनेवाली परेशानियों का समाधान ढूंढ़ निकालता है।
👍सप्तम भाव में सूर्य-गुरु की युति फल |
यदि आपकी जन्मकुण्डली में सूर्य तथा गुरु दोनों की युति सप्तम भाव में हो रही हो तो जातक का जीवन साथी व्यावहारिक होता है आपसी झगड़ो का निपटारा स्वयं ही कर लेते है। जातक की पत्नी या पति में अहंकार भी बहुत होता है परन्तु मानवीय सोच के कारण एक दूसरे के विचारो को समझने की कोशिश करते है।
जातक के जीवन में जीवनसाथी का प्रभाव अधिक रहता है। जीवनसाथी का संबन्ध अपने सगे संबंधियों तथा अपने माता-पिता से अच्छा रहता है।
आपका जीवनसाथी एक सच्चा मार्गदर्शक हो सकता है परन्तु इसके लिए आपको अपने अहम का त्याग करना पडेगा। ये दोनों ग्रह अपने से नौ पंचम होने के कारण धन-धान्य की वृद्धि करता है
शादी के बाद जातक के भाग्य में वृद्धि होती है। आपका जीवन साथी धार्मिक तथा सयंमित विचारो का पोषक होगा।
👍👍सप्तम भाव में सूर्य-शुक्र की युति फल
यदि सूर्य शुक्र की युति आपके सप्तम भाव वा विवाह भाव में स्थित है तो जातक की शादी देर से होती है। पति-पत्नी के मध्य रिश्ता कर्म से जुड़ा होता है भावनात्मक लगाव होता है परन्तु कुछ कमी के साथ। ऎसे जातक का वैवाहिक जीवन स्नेह, सौहार्द व आत्मिक सुख से युक्त होता है
इनका जीवन साथी इनके लिए भाग्यशाली होता है। यदि अशुभ ग्रहो की दृष्टि सम्बन्ध बन रहा है तो भाग्य में कमी भी होती है। यदि शुक्र ग्रह अस्त है तो वैवाहिक जीवन उतना सुखमय नही होता है।
👍👍सप्तम भाव मे शनि सूर्य युक्ति
सूर्य को सात्विकता और शुभता फ़ैलाने वाला ग्रह माना जाता है. यह व्यक्ति के जीवन में प्रकाश फैलाता है. शनि को तामसिक और कठोर ग्रह माना जाता है. यह व्यक्ति के जीवन में संघर्ष और अंधकार पैदा करता है. प्रकाश और अन्धकार का मिलन होने के परिणाम बड़े विचित्र होते हैं. इससे सूर्य भी दूषित होता है और शनि भी.दूषित होता है
जन्म कुंडली में *सूर्य पिता और*! शनि पुत्र होता है अगर कुंडली में इनकी इन दोनों की स्थिति ठीक है तो पति पत्नी दोनों के रिश्ते अच्छे होंगे और अगर ठीक नहीं है तो स्वाभाविक ही दोनों की बीच कभी नहीं बनेगी !
जन्म तालिका में जब ये दोनों ग्रह नीच राशि में, पापी ग्रह के साथ या भाव सनिध में फसे हो तो निश्चय रूप से दाम्पत्य लाइफ में विरोध होना तय है
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉 * शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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