*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 24 फरवरी 2025*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी दोपहर 01:44:20 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा शाम 06:58:00 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - सिद्धि सुबह 10:04:00 तक, तत्पश्चात व्यतीपात*
*⛅राहु काल - सुबह 08:31:00 से सुबह 09:57:00 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05:11*
*⛅सूर्यास्त - 06:31:31*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:24 से 06:14तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 फरवरी 25 से रात्रि 01:13 फरवरी 25 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - विजया एकादशी, व्यतीपात योग (प्रातः 10:06 से प्रातः 8:13:45 फरवरी 25 तक)*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) व द्वादशी को पूतिका (पोइ) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
अमृत 07:05 - 08:31 शुभ
काल 08:31 - 09:57 अशुभ
शुभ 09:57 - 11:23 शुभ
रोग 11:23 - 12:48 अशुभ
उद्वेग 12:48 - 14:14 अशुभ
चर 14:14 - 15:40 शुभ
लाभ 15:40 - 17:06 शुभ
अमृत 17:06 - 18:32 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
चर 18:32 - 20:06 शुभ
रोग 20:06 - 21:40 अशुभ
काल 21:40 - 23:14 अशुभ
लाभ 23:14 - 24:48* शुभ
उद्वेग 24:48* - 26:22* अशुभ
शुभ 26:22* - 27:56* शुभ
अमृत 27:56* - 29:30* शुभ
चर 29:30* - 31:04* शुभ
*⛅विजया एकादशी - 24 फरवरी 25*
*⛅एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?*
*⛅1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*
*हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*
*7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*भारतीय ज्योतिषिय मत :-*
क्रमशः कल से आगे.....
भाग३.....
उपर जिन व्यक्तीयों अंगो, पदार्थ तथा विषयों का उल्लेख किया गया है, उनके संबध मे 'चंद्र' के व्दारा विशेष विचार किया जाता है
अब हम वेध-विचार करेंगे :-
*वेध विचार :-*
जन्मकुंडली मे निम्नलिखित भाव चंद्रमा के विध्द तथा शुभस्थान होते है.
विध्द -स्थान - ५ ,८ ,१२ १ ,४ ,तथा ९
शुभ-स्थान - १,३,६ ,७ ,१० तथा ११
विध्द -स्थनों पर बुध- रहित कोई ग्रह नही होना चाहिए अन्यथा विध्द -चंद्र शुभस्थान पर रहते हुए भी अशुभ फल देता है.
*अन्य विचार :-*
चंद्रमा की स्वराशी 'कर्क' है, यह वृषभ राशि मे उच्चस्थ एवं मुल त्रिकोणस्थ तथा वृश्चिक राशि मे नीचस्थ होता है, (वृषभ राशि के ३ अंश तक परमोच्च वृश्चिक राशि के ३ अंश तक परम नीच तथा वृषभ राशी के ४.३० अंशतक इसकी मुल त्रिकोणस्थ संज्ञा है.)
यह कर्क तथा वृषभ राशि में सोमवार, द्रेष्काण, होरा, नवांश तथा राश्यांत मे शुभ ग्रहों से दुष्ट होने पर चतुर्थ भाव मे तथा दक्षिणायन मे बली होता है ! कक्षा -संधि के अतिरिक्त सर्वत्र पुर्ण बिम्ब तथा बली चंद्रमा राजयोग -कारक कहा गया है, मकर से ६ राशियों तक इसे चेष्टा - बली माना गया है.
सुर्य तथा बुध ये दोनो ग्रह चंद्रमा के नैसर्गिक -मित्र है, राहु तथा केतु शत्रु है, मंगल, शुक्र तथा शनि से सम-भाव रखता है ! चंद्रमा जन्म -कुंडली के जिस भाव मे बैठा होता है, वहॉं से तृतीय तथा दशम भाव को एकपाद -दुष्टी से, पंचम तथा नवम भाव को व्दिपाद-दृष्टी तथा सप्तमस्थान पर पुर्ण दृष्टी से देखता है.
मेष, तुला, वृश्चिक और मीन लग्न मे चंद्रमा योगकारक होता है, रोहिणी, पुनर्वसु, विशाखा तथा पुर्वभाद्रपदा नक्षत्र मे श्रेष्ठ फल प्रदान करता है, कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, आश्लेषा, जेष्ठा, उत्तराषाढा तथा रेवती नक्षत्रों पर अशुभ फल देता है, नीचस्थ तथा असंगत चंद्रमा अशुभ फलकारक होता है ! यदी चंद्रमा के साथ बैठा हुआ 'राहु' ग्रहण- योग तथा शापीत योग बना रहा हो तो भी चंद्रमा अशुभ फल देता है, रोहीणी, हस्त तथा श्रवण इसके नक्षत्र है.
चंद्रमा जातक के जीवन पर प्राय: २४ से २६ वर्ष की आयु मे आपना शुभ अथवा अशुभ फल प्रदर्शित करता है, गोचर मे यह प्रत्येक राशी - संक्रमण की अंतिम घटी (अर्थात् १ घंटा १२ मिनिट पहिले) मे अपना विशिष्ट फल देने लगता है, चंद्रकुत पीडा तथा दोष निवारणार्थ 'श्वेत मोती' धारण किया जाता है.
इसकी के साथ हम चंद्र ग्रह के बारे मे समाप्ती करते है आगे हम मंगल ग्रह मे विचार करते है.
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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