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पंचांग - 22-02-2025

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 22 फरवरी 2025*
*⛅दिन - शनिवार  *
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - नवमी    13:18:48 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र -     ज्येष्ठा    17:39:22     दोपहर  तक तत्पश्चात     मूल*
*⛅योग - हर्शण    11:54:50 अपराह्न तक, तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है-सुबह 09:18 से सुबह 11:23 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:07:04*
*⛅सूर्यास्त - 06:30:18*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:16 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:26 से दोपहर 01:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:23 ए एम, फरवरी 23 से 01:13 ए एम, फरवरी 23 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - आम तौर पर, नवमी के दिन ये बातें ध्यान में रखनी चाहिए:
 नवमी व्रत में क्या खाएं आलू कॉटेज चीज़ लौकी कद्दू साबूदाना कूटू सिंघाड़ा मखाना पका हुआ चावल फल सूखे मेवे (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
  *⛅चोघडिया, दिन⛅*
काल    07:07 - 08:32    अशुभ
शुभ    08:32 - 09:58    शुभ
रोग    09:58 - 11:23    अशुभ
उद्वेग    11:23 - 12:49    अशुभ
चर    12:49 - 14:14    शुभ
लाभ    14:14 - 15:39    शुभ
अमृत    15:39 - 17:05    शुभ
काल    17:05 - 18:30    अशुभ
   *⛅चोघडिया, रात⛅*
लाभ    18:30 - 20:05    शुभ
उद्वेग    20:05 - 21:39    अशुभ
शुभ    21:39 - 23:14    शुभ
अमृत    23:14 - 24:48*    शुभ
चर    24:48* - 26:23*    शुभ
रोग    26:23* - 27:57*    अशुभ
काल    27:57* - 29:32*    अशुभ
लाभ    29:32* - 31:06*    शुभ
kundli



  *👉💐 भारतीय ज्योतिषिय मत :-*
*'चंद्रमा' पुथ्वी का सबसे निकट पडोसी -ग्रह💐*
       
*भारतीय ज्योतिषिय मत :-*
'चंद्रमा' पुथ्वी का सबसे निकट पडोसी -ग्रह  है, पुथ्वी से  इसकी  दुरी २,३९००० मील है, यह पुथ्वी से छोटा है इसका व्यास २,१६३ मील है, यह सर्वाधिक  तीव्र गती से चलनेवाला  ग्रह है, यह पुथ्वी के चारों और पश्चिम से पुर्व की  और  घुमता है, तथा २१९० मील घंटे की गती से चलता हुआ २७ दिन ७ घंटे ४३ मिनिट तथा ११ सेंकड अर्थात २७-१/३ दिन मे पुथ्वी की एक परिक्रमा पुरी कर लेता है, जितने समय मे पुथ्वी में पुथ्वी आपनी धुरी पर एक समय मे पुरी करती है, चंद्रमा १/२७  घुमता है, इसी कारण चंद्रमा का उदय १/२७×२४ अर्थात ५४ मिनट प्रतिदिन देर से होता है ! चंद्र-दिन अर्थात चंद्रोदय से चंद्रोदय तक - २४ घंटा ५४ मिनिट का होता है,  हमारी पुथ्वी से सुर्य तथा चंद्रमा  के बिम्ब समान आकार के दिखाई देते है, इसका कारण यह है कि सुर्य पुथ्वी से सुर्य बहुत दुर है तथा चंद्रमा समीप है, यथार्थ में चंद्रमा सुर्य से बहुत ही छोटा है, दुर के पदार्थ चुँकी छोटे दिखाई देते है, उसी सुर्य का बिम्ब भी चंद्रमा के बराबर  आकार का दिखाई पडता है, यह एक राशि पर लगबग २-१/४  अर्थात स्वादो दिन संचारण करता है

*ज्योतिषी मत :-*
चंद्रमा गेंद के समान गोल है, उसमे स्वयं प्रकाश नही है, सुर्य का प्रकाश पडने पर वह दर्पण की भॉंति चमकता है, अत: चंद्रमा के जितने आधे भाग पर सुर्य की किरणें पडती है, अत: वह चमकता है तथा शेषभाग अंधेरा रहता है ! पौर्णिमा के दिन उस पर पुरी किरणे पडती है  अत: पुरा दिखाई देता है, अष्टमी के दिन समकोण होने से यह आधा दिखाई देता है, आमवस्या के दिन सुर्य और पुथ्वी के बीच मे आ जाने से वह सुर्य की ओर चमकता है, परंतु पुथ्वी की ओर बिलकुल अंधेरा रहता है,  अत: वह हमे आकाश मे दिखायी नही देता, इसी प्रकार शेष दिनों मे भी घटता - बढता रहता है, चंद्रमा के घटने - बढने की स्थिती को  'कला'  कहा जाता है.

कभी- कभी आमवस्या के दिन चंद्रमा  पुथ्वी और सुर्य के बिचमे आ जाता है, तो उस दिन ''सुर्य - ग्रहण" होता है और जब कभी पुर्णिमा के दिन पुथ्वी चंद्रमा और सुर्य के बिच आ जाती है, उस रात को हम "चंद्र - ग्रहण" बोलते है.

सुर्य की भॉंती चंद्रमा भी सदैव मार्गी तथा उदित रहने वाले ग्रह  है , क्षितिज के कारण अथवा पुथ्वी के धुरी पर घुमते रहने के कारण ही यह कही उदित और कहीं अस्त  हुआ लगता है, परंतु यथार्थ मे यह मात्र भ्रम मात्र ही है, कहीं चंद्रोदय तथा चंद्रास्त का होना - इसके दृश्य तथा अदृश्य हो जाने के ही नामकरण है, सुर्य के भॉंति यह कभी भी अस्त नही होता ! सुर्य तथा चंद्रमा जब परस्पर ६ राशी के अंतर पर आते है, तब पौर्णिमा  होती हे तथा उसी के प्रभाव से समुद्रों मे ज्वार -भाटे आते है,

*चंद्र नाम संस्कुत :-*
चंद्र, सोम, उड्डुपति, तारापति, तारेश, ग्लों, हिमकर, निशाकर, शीतांशुमाली, इंद्र, मूगांक, शीतधुति, शीतांशु, कलाधर, कलानिधि, व्दिजराज, मयंक, राकेश, रजनीश, शशि, शशांक, कलेश, शशधर, सुधाकर, अब्ज, हिमांशु, आत्रेय आदि नाम हो सकते जितने याद आये वह लिखे है.
अंग्रेजी - Moon
फारसी -माह
उर्दु -  कमर
तथा
अरबी -फार !

*पौराणिक परिचय :-*
'पद्म पुराण' के अनुसार - ब्रह्मा के पुत्र महर्षि  'अत्री' ने अपने पिता के आदेश-पालनार्थ  'अनुत्तर' नामक  तप किया था, तप की समाप्ति  पर, महर्षी के नेत्र से जल की बुँदे गिरी, उन महाप्रकाशवान् अश्रु - कणों की प्रभा से संपुर्ण जगत प्रकाशित हो उठा, उस समय दिक्षों ने स्त्री - रूप मे उपस्थित होकर, उस जल को पुत्र  प्राप्ती के उध्देश से ग्रहण कर लिया परंतु वे उस जलरूप गर्भ को धारण किये रहने में समर्थ नही हो सकीं तब उन्होनें उसे त्याग दिया, दिक्षाओं व्दारा परित्यक्त  उस गर्भ को ब्रह्मा ने एक युवा - पुरूष के रूप मे परिवर्तित कर दिया, तत्पश्चात पितामह उस तरुण को अपने साथ ब्रह्मलोक मे ले गये, तथा उसका नाम 'चंद्र - चंद्रमा' रखा! ब्रह्मलोक में देवता, गंधर्व, ॠषी-मुनी  तथा अप्सराओं व्दारा स्तुती किये जाने पर चंद्रमा के तेज मे अत्याधिक वुध्दी हो गई, जिसके  प्रसारित होने से पुथ्वी पर अनेक औषधियो की उत्पती हुई ! तद् परंतु प्रचेताओं के पुत्र प्रजापती दक्ष ने अपनी २७ कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ कर दिया, तदनंतर चंद्रमा ने राजसुय - यइा करके महान् ऐश्वर्य तथा यश की उपलब्धि की ! चंद्रमा की २७ पत्नीयॉं ही २७ नक्षत्र है

एक अन्य पौराणिक गाथा के अनुसार - पितामह  ब्रह्मा व्दारा उत्पन्न गये आदिम- मनुष्य 'मनु' की तीन पुत्रियॉं थी उनमों से  'देवहुती' नामक, दुसरी कन्या का विवाह ब्रह्मा के पुत्र महर्षि 'कर्दम' के साथ हुआ था,  महर्षी कर्दम तथा देवहुति ९ कन्याओं का जन्म हुआ जिनमें 'अनुसया' नामक  दुसरी कन्या का  विवाह महर्षी 'अत्री' के साथ हुआ, कालातंर मे अनुसया ने तीन पुत्र को जन्म दिया जिसमें एक का नाम दत्तात्रेय दुसरे का दुर्वास तथा तिसरे का नाम सोम अथवा चंद्रमा रखा गया, इस प्रकार महर्षी अत्रि के पुत्र होने के कारण चंद्रमा को 'आत्रेय' भी कहा जाता है,  पौराणिक - मत से सुर्य - राशीयों से १ लाख योजन की उँचाई पर चंद्रमा की  स्थिती है, यह अत्यंत तीव्र चलने वाला ग्रह  है, अत: सुर्य के एक वर्ष के मार्ग अर्थात एक राशि को एक मास तथा एक नक्षत्र स्वादो दिन मे पार कर लेता है, आगे हम  पाशचात्त्य-मत क्या होता है यह देखते है।
बाकी कल.........
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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vipul

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