*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 11 फरवरी 2025*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्दशी शाम 06:54:57 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - पुष्य 06:33:02 शाम तक, तत्पश्चात आश्लेषा*
*⛅योग - आयुष्मान 09:05:41 दोपहर तक, तत्पश्चात आयुष्मान
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*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर03:36 से दोपहर04:59 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:16:03*
*⛅सूर्यास्त - 06:22:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 05:32 ए एम से 06:23 ए एम तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 ए एम, फरवरी 12 से 01:15 ए एम, फरवरी 12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - 11 फरवरी 2025 को मंगल व्रत रखा जाएगा। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मंगल व्रत के दिन हनुमानजी की पूजा करने से दीर्घायु का सौभाग्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मान्यता है कि मंगलवार का व्रत करने से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं।*
*⛅विशेष - मंगलवार को मांस-मदिरा, तामसिक चीज़ें, नमक, घी, और खिचड़ी नहीं खानी चाहिए. मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
रोग 07:16 - 08:39 अशुभ
उद्वेग 08:39 - 10:03 अशुभ
चर 10:03 - 11:26 शुभ
लाभ 11:26 - 12:49 शुभ
अमृत 12:49 - 14:13 शुभ
काल 14:13 - 15:36 अशुभ
शुभ 15:36 - 16:59 शुभ
रोग 16:59 - 18:23 अशुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
काल 18:23 - 19:59 अशुभ
लाभ 19:59 - 21:36 शुभ
उद्वेग 21:36 - 23:13 अशुभ
शुभ 23:13 - 24:49* शुभ
अमृत 24:49* - 26:26* शुभ
चर 26:26* - 28:02* शुभ
रोग 28:02* - 29:39* अशुभ
काल 29:39* - 31:15* अशुभ
*⛅ दैनिक जीवन की समस्या के उपाय -
१.इन दिनों 28 जनवरी से 31 मई
2025 तक
*शुक्र का गोचर भ्रमण मीन राशि में हो रहा है।*
*शुक्र एक शुभ एवं रजोगुणी ग्रह है। विवाह, वैवाहिक जीवन, प्यार, रोमांस, जीवन - साथी तथा यौन संबंधों का नैसर्गिक कारक माना जाता है। इसके अलावा शुक्र सौंदर्य, जीवन के आनंद, वाहन, सुगंध, सौंदर्य प्रसाधन आदि का कारक भी माना जाता है।*
*जन्मकालीन चंद्रमा से षष्ठ, सप्तम और दशम भावों में शुक्र का गोचर भ्रमण शुभ फल नहीं प्रदान करता अन्य भावों में गोचर भ्रमण शुभ फल प्रदान करता है।
आकाशस्थ ग्रह अपने - अपने मार्ग पर अपने निर्धारित गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते रहते है। जन्म समय में ये ग्रह जिस राशि में पाए जाते है वह राशि उनकी जन्मकालीन अवस्था कहलाती है जो कि जन्म कुंडली का आधार है और जन्म समय के अनन्तर अपने गति से जब दूसरे राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देती है वह उनकी गोचर भ्रमण राशि कहलाती है। कोई भी ग्रह अपने महादशा अंतर्दशा के अलावा अन्यान्य राशि में गोचर भ्रमण के अनुसार शुभाशुभ परिणाम देता है।*
वास्तु असल में है क्या ?
वास्तुशास्त्र में दिए नियमों के गहन अध्ययन से यह पता चलता है की हर दिशा का अपना तय प्रभाव और परिणाम है जैसे ही इंसान उस दिशा के सम्पर्क में आता है उसके साथ वहीँ घटनाएं घटित होनी शुरू हो जाती है। जब तक इंसान उस दिशा के सम्पर्क से हट नहीं जाता तबतक उसके साथ वही होता रहता है चाहे वह उस प्रभाव को हटाने के लिए जो मर्जी उपाय करता रहे।
फिर वास्तु दोष होता भी या नहीं या केवल यह हमारा भ्रम है ?
वास्तु की दिशाओं में कभी कोई दोष होता ही नहीं है यह केवल एक मिथ्या है, भ्रम है। वास्तुपुरुष मण्डल में विराजमान देवता वास्तुपुरुष की पोजीशन के अनुसार अपना स्थान बदलते रहते है। जिसके परिणाम स्वरुप वास्तु में बैडरूम, किचन, टॉयलेट, बाथरूम और वस्तुओं इत्यादि की जगह और दिशा अपने आप बदल जाती है। लेकिन हमे लगता है या हमे यह सिखाया गया है की वास्तुपुरुष का सिर हमेशा ईशान दिशा में ही होता है। उस वजह से हमे घर में दिखनेवाली चीजे या क्रियाएँ गलत प्रतीत होती है और हम उसे वास्तु में दोष मानने लगते है। वास्तु सिखने के बाद वास्तुपुरुष का सर ईशान कोण में ही है ऐसा मानकर चीजों को उसके अनुसार उन उन दिशाओं में रखना शुरू करते है जिसका वास्तविकता से दुर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है।
वास्तु उपाय काम नहीं करते ! ऐसा क्यों ?
वास्तुपुरुष के सिर की दिशा बदलने से देवताओं की दिशा भी अपनेआप बदल जाती है। ईशान कोण में दिति और शिखी देवता की जगह कोई और देवता आ जाने की वजह से दिति या शिखी के लिए किया गया उपाय काम नहीं करता।
उपायों का भी कोई साइड इफ़ेक्ट होता है !
जी हां ! ऐसा इसलिए होता है है की जिस देवता को समझकर आप जिस उपाय को कर रहे है वहां वह देवता ना होकर कोई और देवता होती है और वो उपाय उस देवता की कार्यपद्धति से विपरीत होने की सम्भावना बनी रहती है। जिसके चलते उपाय हानिकारक साबित हो जाता है।
उपाय करने चाहिए या नहीं ?
जब किसी भी वास्तु में कोई दोष ही नहीं होता तो उसका उपाय किस लिए करना है?
क्या देवताओं को ढूंढने या उनकी एनर्जी को मापने का कोई साधन है ?
जी बिलकुल नहीं ! देवताओं की जगह और उनकी एनर्जी को पहचानने या नापने का कोई साधन, मशीन अस्तित्व में नहीं है। अगर कोई मशीन के आधार से देवताओं को ढूंढ रहा है तो उसे अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए।
क्या देवताओं को इंट्यूशन या ध्यान के माध्यम से देख सकते है या महसूस कर सकते है ?
बिलकुल नहीं ! वास्तु पुरुष मण्डल देवताओं को इंट्यूशन या ध्यान के माध्यम से नहीं देखा जा सकता ऐसा अगर कोई दावा करे तो वह केवल ठगी कर रहा है यह जान ले। जिन्हे ऐसा लगता है वह देवताओं को ध्यान में देख सकते है या उन्हें इंट्यूशन आता है यह सिर्फ उनके मन का भ्रम है और कुछ नहीं। अन्धविश्वास से दूर रहे।
विश्ववास्तु वास्तु कैसे सिखाता है ?
विश्ववास्तु के माध्यम से सीखनेवाले मेरे विद्यार्थी किस दिशा में क्या परिणाम लिखे है उसे सीखते है। 16 दिशाओं में लगभग 50 से 60 प्रकार के प्रभाव होते है। इन प्रभावों का घर के हर सदस्य पर एक जैसा परिणाम होता है। परिणाम को हटाने के लिए बिना उपाय किये क्लाइंट को कैसे राहत देनी है यह सिखाया जाता है। मेरे विद्यार्थियों ने यही सीखा है और इसके आलावा किसी और वास्तु पद्धति का वे उपयोग नहीं करते I नाही कोई उपाय देते है, चाहे वह पिरामिड हो, हाथी, घोड़े कुत्ते बिल्ली की मुर्तिया हो, रंग पट्टियां या धातु की पत्तियां हो या तोड़फोड़ हो। अगर आपके पास कोई मूर्ति है भी तो उसे सही दिशा में रखने का मार्गदर्शन जरूर किया जाता है। लेकिन वह कोई उपाय नहीं होता।
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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