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पंचांग - 04-02-2025

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 04 फरवरी 2025*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 02:30:15 फरवरी 05 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 09:48:40 तक, तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - शुभ रात्रि 12:05:09 फरवरी 05 तक, तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 03:33 से शाम 04:56 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:20:35*
*⛅सूर्यास्त - 06:17:38*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:35 से 06:27 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि12:23 ए एम, फरवरी 05 से 01:15 ए एम, फरवरी 05 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - रथ सप्तमी, नर्मदा जयंती, विश्व कैंसर दिवस, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग (प्रातः 07:18 से रात्रि 09:49 तक)*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
    *⛅ चोघडिया, दिन⛅*
रोग    07:21 - 08:43    अशुभ
उद्वेग    08:43 - 10:05    अशुभ
चर    10:05 - 11:27    शुभ
लाभ    11:27 - 12:49    शुभ
अमृत    12:49 - 14:11    शुभ
काल    14:11 - 15:33    अशुभ
शुभ    15:33 - 16:56    शुभ
रोग    16:56 - 18:18    अशुभ
    *⛅चोघडिया, रात⛅*
काल    18:18 - 19:55    अशुभ
लाभ    19:55 - 21:33    शुभ
उद्वेग    21:33 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:49*    शुभ
अमृत    24:49* - 26:27*    शुभ
चर    26:27* - 28:04*    शुभ
रोग    28:04* - 29:42*    अशुभ
काल    29:42* - 31:20*    अशुभ
kundli



 *⛅आज के पंचांग में सूर्य सप्तमी विशेष कुछ जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं।*
*⛅ सूर्य सप्तमी - सूर्य अर्घ्य का,    धार्मिक महत्व।*
*⛅सूर्य सप्तमी को रथ सप्तमी कहा जाता है. मकर संक्रांति के बाद इस दिन सूर्य पूजा का विशेष महत्व पुराणों में बताया गया है. जानें इसका लाभ लेने के लिए रथ सप्तमी पर क्या करें.

*⛅माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन रथ सप्तमी मनाई जाती है. इस दिन सूर्य देव और उनके रथ  में लगे 7 अश्वों की भी पूजा का विधान है. इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं.

*⛅इसे आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है, क्योंकि सूर्य देव की पूजा से रोगों से मुक्ति पाने में मदद मिलती है. सूर्य देव का आत्मा का कारक माना गया है, मकर संक्रांति के बाद ये वो दिन है जब सूर्य देव की पूजा अधिक फलित होती है. आइए जानते हैं इस साल रथ सप्तमी 2025 की डेट, स्नान-दान का मुहूर्त, सूर्य पूजा और अर्घ्य का महत्व.
*⛅रथ सप्तमी 4 फरवरी 2025 मंगलवार को है. पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन महर्षि कश्यप और देवी अदिति के गर्भ से सूर्य देव का जन्म हुआ था.

*⛅स्नान-दान - सुबह 5.42 - सुबह 6.20
सूर्य अर्घ्य मुहूर्त -  सुबह 7.20:35 पर होगा सूर्योदय
*⛅ रथ सप्तमी पर स्नान कब करना चाहिए
*⛅रथ सप्तमी पर अरुणोदय काल में स्नान करना चाहिए. सूर्योदय से पूर्व अरुणोदय काल (ब्रह्म मुहूर्त) में स्नान करने से मनुष्य स्वस्थ एवं सभी प्रकार के रोगों से मुक्त रहने का आशीर्वाद मिलता है.
*⛅सूर्य सप्तमी क्यों मनाई जाती है ?
यस्यां तिथौ रथं पूर्वं प्राप देवो दिवाकरः॥सा तिथिः कथिता विप्रैर्माघे या रथसप्तमी॥ 5.129 ॥

तस्यां दत्तं हुतं चेष्टं सर्वमेवाक्षयं मतम्॥ सर्वदारिद्र्यशमनं भास्करप्रीतये मतम्॥ 5.130 ॥

*⛅स्कंद पुराण में वर्णित इस श्लोक के अनुसार भगवान सूर्य जिस तिथि को पहले-पहल रथ पर आरूढ़ हुए, उस दिन माघ मास की सप्तमी तिथि थी, इसलिए इसे रथ सप्तमी कहा जाता है. सूर्य सप्तमी पर दिया हुआ दान और यज्ञ आदि अनुष्ठान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है. ये सब प्रकार की दरिद्रता को दूर करने वाला और भगवान सूर्य की प्रसन्नता का साधक बताया गया है.
*⛅सूर्य सप्तमी पर सूरज की पूजा का लाभ केसे प्राप्त करे।
शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना करता है. उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है.

*⛅रथ सप्तमी पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के पश्चात सूर्योदय के समय भगवान सूर्य की ओर मुख करके, नमस्कार मुद्रा में हाथ जोड़कर एक छोटे कलश से धीरे-धीरे भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुये अर्घ्यदान किया जाता है.  अर्घ्यदान के पश्चात्, शुद्ध घी का दीप प्रज्वलित करना चाहिए तथा कपूर, धूप एवं लाल पुष्पों से सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए.

*⛅सूर्य सप्तमी इस ख़ास दिन सूर्य देव बन जाते हैं जगत के आराध्य लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य देव किसकी करते हैं आराधना?
*⛅सूर्य देव को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है क्योंकि इनके बिना इस संसार पर जीवन संभव ही नहीं है. सूर्य की इतनी महत्ता के कारण ही सूर्य की आराधना पूरा संसार करता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि भगवान् सूर्यदेव आखिर किसकी आराधना करते हैं?

*⛅जहां सूर्य देव ऊर्जा का एक परम स्रोत हैं वहीं उनके सात घोड़े सप्ताह के सात दिन और उनके रथ का पहिया समय रथ सप्तमी का महत्व समझे चूंकि सूर्य देव प्रत्यक्ष देव हैं, तो लोग न केवल उन्हें जल अर्पित करते हैं बल्कि ...
*⛅सूर्यदेव स्वयं किसकी करते हैं अराधना*
*⛅सूर्य देव की उपासना के लिए कई महापर्व हिन्दू धर्म में मनाए जाते हैं लेकिन इन सबमें रथ सप्तमी का विशेष स्थान है। इस साल रथ सप्तमी 4 फरवरी 2025, मंगलवार को है। इस दिन सूर्योपासना करने से सूर्यदेव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को समृद्धि, ऐश्वर्य और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं। सूर्य देव से जुड़ी सभी चीजें एक प्रतीक के रूप में हैं, चाहे वो उनका रथ हो या उनके घोड़े। जहां सूर्य देव ऊर्जा का एक परम स्रोत हैं वहीं उनके सात घोड़े सप्ताह के सात दिन और उनके रथ का पहिया समय। रथ के पहिये में लगी 12 तीलियाँ 12 महीने दर्शाती हैं। सूर्य देव के रथ सहित उनकी उपस्थिति मनुष्य के जीवन से लेकर उनके जीवनकाल तक से जुड़ी हुई हैं।*

*⛅पौराणिक कथा के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव अपने रथ पर सवार होकर पूरे संसार में प्रकाश आलोकित करना शुरू किया था।* *इसलिए यह दिन रथ सप्तमी या सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य देव के जन्म का उत्सव भी मनाया जाता है। अगर भविष्य पुराण की मानें, तो सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य का आविर्भाव हुआ। उन्हें अपनी भार्या संज्ञा एवं संतानें भी सप्तमी तिथि के दिन ही प्राप्त हुईं थीं। इसलिए सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को भी अतिप्रिय है।*
*⛅सूर्यदेव ऊर्जा के देवता हैं और प्रत्यक्ष रूप से न केवल नजर आते हैं बल्कि एक जीवनदायिनी स्रोत में कार्य भी करते हैं। इनकी उपासना से चर्म रोग, आँखों के रोग इत्यादि ठीक हो जाते हैं। चूंकि सूर्य देव प्रत्यक्ष देव हैं, तो लोग न केवल उन्हें जल अर्पित करते हैं बल्कि उनके दर्शन कर उनसे कई लाभ लेते हैं। रथ सप्तमी को 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र के साथ सूर्य की उपासना की जा सकती है।*

*⛅भगवान सूर्य के रथ के हर घोड़े के नाम से जुड़ी हैं कुछ शक्तियां, जानिए क्या है इन सात घोड़ों का महत्व*

*⛅सूर्यदेव किसकी करते हैं अराधना*
*अब तक आपने यह जाना कि पूरा संसार किसी न किसी स्वरुप में सूर्य देव की उपासना करना है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सूर्य देव किसकी उपासना करते हैं। सूर्य के आराध्य सभी देवों के देव भगवान शिव हैं। शनि देव के गुरू भी भगवान् शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान् शिव की महिमा इतनी अपरम्पार है कि सभी देवगण उनकी आराधना करते हैं और उनमें से एक सूर्य देव भी हैं।*
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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vipul

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