*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 03 फरवरी 2025*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी प्रातः 06:52:12 तक तत्पश्चात षष्ठी प्रातः 04:36:41 फरवरी 04 तक, तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - रेवती रात्रि 11:15:49 तक, तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - साध्य रात्रि 02:01:03 फरवरी 04 तक, तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- प्रातः 08:42 से प्रातः 10:06 तक*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- प्रातः 08:43 से दोपहर 08:45 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:21:09*
*⛅सूर्यास्त - 06:16:52*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:28 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:23 ए एम, फरवरी 04 से 01:15 ए एम, फरवरी 04 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - *⛅व्रत पर्व विवरण - स्कन्द षष्ठी*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह मे डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
अमृत 07:21 - 08:43 शुभ
काल 08:43 - 10:05 अशुभ
शुभ 10:05 - 11:27 शुभ
रोग 11:27 - 12:49 अशुभ
उद्वेग 12:49 - 14:11 अशुभ
चर 14:11 - 15:33 शुभ
लाभ 15:33 - 16:55 शुभ
अमृत 16:55 - 18:17 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
चर 18:17 - 19:55 शुभ
रोग 19:55 - 21:33 अशुभ
काल 21:33 - 23:11 अशुभ
लाभ 23:11 - 24:49* शुभ
उद्वेग 24:49* - 26:27* अशुभ
शुभ 26:27* - 28:05* शुभ
अमृत 28:05* - 29:43* शुभ
चर 29:43* - 31:21* शुभ
💞सूर्य ग्रह पीड़ा से मुक्ति के उपाय ।
आज हम जन्म पत्रिका अथवा गोचर के सूर्य के अशुभ प्रभाव को समाप्त कर उन को शुभ प्रभाव में बदलने के लिए कुछ विशेष उपाय लिख रहे हैं। इनमें से कोई भी एक अथवा एक से अधिक उपाय आप निश्चिंत हो कर सकते हैं। उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से आरंभ करें।
1 प्रत्येक रविवार को गाय को गुड़ व गेहूं खिलाने से आर्थिक लाभ के साथ मान-सम्मान बढ़ता है।
2 रविवार को किसी भी मंदिर में तांबे का दीप अर्पित करने से कर्म क्षेत्र में बाधा नहीं आती जिसमें यह ध्यान रखें कि तांबे का दीपक मंदिर में ही छोड़ आए।
3 सरकारी नौकरी में यदि स्थानांतरण का भय हो तो सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल मिर्च के 21 दाने डालकर नित्य सूर्य को अर्घ्य देने एवं प्रार्थना करने से स्थानांतरण नहीं होता।
4 प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल के साथ कच्चा दूध लाल पुष्प लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य देने से सूर्य कृत कष्टों में कमी आती है एवं गुप्त शत्रु निष्क्रिय होते हैं।
5 पिता व पुत्र में यदि मानसिक विरोध हो तो पिता या पुत्र रविवार को सवा किलो गुड़ अपने सर से 11 बार उतार कर बहते जल में प्रवाहित करें इससे आपसी संबंध अच्छे होते हैं ऐसा लगातार 3 रविवार करें इसके अतिरिक्त यदि कोई सूर्य कृत रोग मुकदमेबाजी शत्रु समस्या अथवा कर्म क्षेत्र में विघ्न बाधा हो तो 2 किलो गुड़ प्रवाहित करना चाहिए।
6 यदि शत्रु कष्ट अधिक हो तो रविवार को लाल बैल को गुण एवं गेहूं खिलाना चाहिए।
7 सूर्य की प्रतिनिधि वस्तुओं का दान भूलकर भी नहीं लेना चाहिए।
8 घर में विष्णु पूजा अथवा हरिवंश पुराण की कथा करवानी चाहिए प्रतिदिन स्वयं भी इसका श्रवण मनन करना चाहिए।
9 सूर्य कृत कष्टों से मुक्ति के लिए सूर्य कवच स्तोत्र अथवा 108 नामों का उच्चारण करना चाहिए।
10 रविवार से आरंभ कर 40 दिन तक तांबे का सिक्का अथवा सिक्का रूपी तांबा जल में प्रवाहित करना चाहिए।
11 प्रथम भाव में सूर्य बस सप्तम भाव में शनि हो अथवा दोनों की युति हो तो बचपन में ही प्रताप की मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है अधिक काम वेदना जीवन साथी का बीमार रहना अष्टम भाव में सूर्य से भी जीवनसाथी की मृत्यु होती है पंचम भाव में मंगल की राशि हो अथवा मंगल स्वयं हो वह साथ में सूर्य हो तो संतान कष्ट अथवा मृत्यु का भय रहता है ऐसे जातक को अपने पैतृक मकान में हैंड पंप लगवाना चाहिए रविवार के दिन मीठे शीतल जल की प्याऊ लगानी चाहिए।
12 सप्तम भाव में सूर्य व लग्न में शनि होने पर पुत्र नहीं होता होता भी है तो कुछ ना कुछ परेशानी व क्लेश अधिक रहता है रविवार को 4×4 इंच के सात तांबे के टुकड़े लेकर जातक भोजन के समय आचमन कर परोसी थाली में से थोड़ी-थोड़ी सभी सामग्री लेकर सभी सात टुकड़ो पर रखे इसके बाद निकाले हुए भोजन को अग्नि को समर्पित कर तांबे के टुकड़े जमीन में गाड़ दें काली गाय को गेहूं की रोटी पर थोड़ा गेहूं का गुड रखकर खिलाएं।
13 धन भाव में सूर्य समस्या दे रहा हो तो भी बहते जल में गुड़ बहाएं।
14 पंचम भाव में सूर्य यदि कष्ट दे रहा हो तो प्रतिदिन सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य को प्रणाम करें तथा प्रातः एक तांबे के लोटे में जल में गुड शहद व शक्कर मिलाकर दिनभर थोड़ा थोड़ा पिये ऐसा लगातार 43 दिन तक करें।
15 अष्टम भाव के सूर्य के कारण यदि रोग कष्ट हो तो बंदर को गुड़ चने व चीटियों को शक्कर डालें।
16 पिता को यदि आपके अशुभ सूर्य से हानि हो रही हो अथवा कोई रोग हो तो आप किसी लाल बैल अथवा सांड वाले से संपर्क कर रविवार को बैल के गले में लाल धागा बंधवादे अगले रविवार को उस धागे को खुलवाकर दूसरा था का बंधवा दें तथा बैल का उतारा धागा पिता को पहना दे अगले रविवार को फिर यही करें तथा पिता का उतारा धागा विसर्जित कर दे ऐसा सात रविवार करें। अवश्य लाभ होगा।
17 नेत्र रोग अथवा चश्मा उतारने के लिए नित्य सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करते रहें और अर्घ्य के समय यह ध्यान रखें कि जल धरती पर ना गिरे इसके लिए आप थाली अथवा गमले का उपयोग कर सकते हैं अर्घ्य देने के लिए दोनों हाथ इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि सूर्य की किरणें जल में से छनकर आप तक आए मन में यह सोचे कि सूर्य की किरणें आपके भ्रकुटी (दोनों नेत्रों के बीच का स्थान) से आपके अंदर प्रवेश कर रही है। रात में सोते समय सफेद सुरमा प्रयोग करें अगर कम नंबर का चश्मा है तो 6 माह और यदि अधिक नंबर का चश्मा है तो 1 वर्ष के अंदर चश्मा उतर जाएगा अनेक लोगों द्वारा अनुभूत है जिन्हें लाभ मिला है।
18 सूर्य के अधिक कष्ट देने की स्थिति में रविवार से अगले रविवार तक 800+800 ग्राम गुड़ व गेहूं मंदिर में दान करें।
19 किसी भी कार्य के लिए घर से निकलते समय सदैव गुड़ खाकर व पानी पीकर ही निकले।
20 आदित्य स्तोत्र, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य स्तोत्र, सूर्य स्तवन, सूर्याष्टक, सूर्य कवच, सूर्य मंत्र जाप, 108 नाम का पाठ नित्य करें। ॐ भास्कराय नमः
सूर्य देव की पूजा विधि, लाभ, सूर्य मंत्र और सूर्य नमस्कार के फायदे ,रविवार व्रत विधि एवं कथा ।
हिन्दू धर्म में सूर्य देव को जगत की आत्मा माना जाता है। सूर्य देव ही पृथ्वीं पर अंधकार का नाश करते है। सूर्य के बिना पृथ्वीं पर जीवन संभव ही नही है। चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ऐसे देवता है जिन्हें प्रत्यक्ष रुप से देखाजा सकता है।
सूर्य देव को जगत की आत्मा माना जाता है। सूर्य देव ही पृथ्वीं पर अंधकार का नाश करते है। सूर्य के बिना पृथ्वीं पर जीवन संभव ही नही है। चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ऐसे देवता है जिन्हें प्रत्यक्ष रुप से देखा जा सकता है। सूर्य को पद-प्रतिष्ठा , नौकरी , कीर्ति, धन आदि का कारक होता है। ज्योतिष में सूर्य को राजा माना जाता है। सूर्यदेव को आरोग्य का देवता माना जाता है। सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके जीवन में सफलता, मानसिक शांति पायी जा सकती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के अन्दर शक्ति का संचार होता है।सूर्य देव की पूजा विधिभगवान सूर्य की पूजा में अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है।
रविवार के दिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।
सूर्यदेव की पूजा के इन मंत्रों का करें जाप
सूर्य वैदिक मंत्र
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
सूर्य तंत्रोक्त मंत्र
ऊँ घृणि: सूर्यादित्योमऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्रीऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
सूर्य नाम मंत्र
ऊँ घृणि सूर्याय नम:पौराणिक मंत्रजपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।
सूर्य गायत्री मंत्र
ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयातसूर्य देव के अन्य मंत्र1. अगर व्यक्ति असाध्य रोगों से परेशान है तो उसे सूर्यदेव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
2. अगर व्यवसाय में वृद्धि नहीं हो रही है तो सूर्यदेव के इस मंत्र का जाप करना फायदेमंद होता है।ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्य नमस्कार से शरीर, मन और आत्मा सबल होते हैं। पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नही है। सूर्य नमस्कार, सूर्य के प्रति सम्मान व आभार प्रकट करने की एक प्राचीन विधि है, जो कि पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों का स्रोत है।सूर्य नमस्कार करने की विधि ही जानना पर्याप्त नहीं है, इस प्राचीन विधि के पीछे का विज्ञान समझना भी आवश्यक है। इस पवित्र व शक्तिशाली योगिक विधि की अच्छी समझ, इस विधि के प्रति उचितसोच व धारणा प्रदान करती है। ये सूर्य नमस्कार की सलाहें आपके अभ्यास को बेहतर बनाती है और सुखकर परिणाम देती है।
रविवार व्रत विधि*.
रविवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से प्रारंभ किया जा सकता है|
*.रविवार के व्रत के दिन सबसे पहले जातक को पूजा के लिए आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लेनी चाहिए जैसे की लाल चन्दन, लाल वस्त्र, गुड़, गुलाल, कंडेल का फूल इत्यादि|
जातक को सूर्यदेव की पूजा सूर्यास्त से पहले कर लेनी चाहिए और भोजन मात्र एक ही समय करना चाहिए|
रविवार का व्रत कम से कम एक वर्ष या फिर पांच वर्षों तक करना चाहिए |
रविवार के दिन सबसे पहले प्रातःकाल में स्नान इत्यादि से निवृत हो कर लाल वस्त्र पहन लेने चाहिए और अपने मस्तक पर लाल चन्दन से एक तिलक कर लेना चाहिए|
तत्पश्चात, एक ताम्बे का कलश में जल लेकर उसमे अक्षत, लाल रंग के पुष्प और रोली इत्यादि डाल कर सूर्य भगवान को श्रद्धापूर्वक नमन करके अर्ध्य प्रदान करना चाहिए| इसके साथ ही “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए|
रविवार के व्रत वाले दिन भोजन सिर्फ एक समय ही और सूर्यास्त से पहले कर लेना चाहिए| भोजन बिलकुल सामान्य होना चाहिए, जातक को गरिष्ठ, तला हुआ, मिर्च मसालेदार या और कोई पकवान नहीं खाना चाहिये|
बहुत अच्छा रहेगा अगर बिना नमक के गेंहूं की रोटी या गेंहूं के दलिया बने जाये और भोजन करने से पहले कुछ भाग बालिका या बालक को खिला कर या मंदिर में दान करके फिर ही खाना चाहिये|
व्रत के दिन सभी तरह के फल, औषधि, जल, दूध या दूध से बने हुए भोज्य पदार्थों का सेवन करने से रविवार का व्रत नष्ट नहीं होता है|
यदि बिना भोजन किये अगर सूर्य अस्त हो जाता है तो अगले दिन सूर्यास्त के पश्चात सूर्य को अर्ध्य प्रदान करने के बाद ही भोजन करना चाहिए| भोजन में गुड़ का हलवा भी बनाया जा सकता है|
सबसे अंतिम रविवार को जातक को उद्यापन करना चाहिये और एक योग्य ब्राह्मण को बुलाकर हवन करवाना चाहिये|
रविवार व्रत रखने के समय सम्भोग नहीं करना चाहिए और ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए| व्रत के समय पान खाना वर्जित है और दिन में सोना नहीं चाहिए|
इस क्रिया के पश्चात एक अच्छे और योग्य दंपत्ति को भोजन करवाना चाहिये और उनको यथाचित दक्षिणा एवं लाल वस्त्र प्रदान करने चाहिये| इन सब क्रियाओं के बाद रविवार के व्रत को सम्पूर्ण माना जाता है|
रविवार व्रत के लाभ
अगर रविवार व्रत का पालन पूरी निष्ठां से किया जाता है तो जातक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है|
रविवार व्रत रखने से चर्म रोग, नेत्र रोग और कुष्ठ रोग से बचा जा सकता है और इसके साथ ही जातक दीर्घायु, सौभाग्यशाली और आरोग्यवान बनता है| इस व्रत को नियमित रखने से जातक के घर में लक्ष्मी माता निवास करती है और वहां वैभव और सुख शांति बनी रहती है|
यह व्रत सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करता है और उसे शक्तिशाली बनाता है| रविवार का व्रत करने से जातक की आयु में भी वृद्धि होती है|
इसके बाद रविवार व्रत कथा करे
आरती कर भगवान सूर्य नारायण को पुष्पांजलि भोग अर्पित कर अभय विद्या दान मांगे।
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेमजी*
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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