*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 02 फरवरी 2025*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी प्रातः 09:13:51 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद रात्रि 12:51:20 फरवरी 03 तक, तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - शिव प्रातः 09:13:10 तक, तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- प्रातः 04:54 से दोपहर 06:16 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:21:42*
*⛅सूर्यास्त - 06:16:06*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:28 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:23 ए एम, फरवरी 03 से 01:15 ए एम, फरवरी 03 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - वसन्त पञ्चमी, रवि योग, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 07:19 से प्रातः 07:19 फरवरी 03 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है व पञ्चमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*⛅रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*⛅ स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
उद्वेग 07:22 - 08:44 अशुभ
चर 08:44 - 10:05 शुभ
लाभ 10:05 - 11:27 शुभ
अमृत 11:27 - 12:49 शुभ
काल 12:49 - 14:11 अशुभ
शुभ 14:11 - 15:33 शुभ
रोग 15:33 - 16:54 अशुभ
उद्वेग 16:54 - 18:16 अशुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
शुभ 18:16 - 19:54 शुभ
अमृत 19:54 - 21:32 शुभ
चर 21:32 - 23:10 शुभ
रोग 23:10 - 24:49* अशुभ
काल 24:49* - 26:27* अशुभ
लाभ 26:27* - 28:05* शुभ
उद्वेग 28:05* - 29:43* अशुभ
शुभ 29:43* - 31:21* शुभ
💞बसंत पंचमी के दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें. काले या लाल वस्त्र ना पहनें. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें. सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे का प्रयोग इस कार्य के लिए करें. मां सरस्वती को श्वेत चंदन, पीले और सफेद पुष्प जरूर अर्पित करें. प्रसाद में मिसरी, दही समर्पित करें. केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम माना जाता है. पूजा के दौरान "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का जाप करें
♣️☂️*बसंत पंचमी 2025*
दिनांक 02 फरवरी 2025 दिन रविवार को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाएगा।
♣️☂️*प्रतिवर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी तिथि क्षय होने के कारण बसंत पंचमी पर्व चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा धार्मिक मान्यतानुसार यदि किसी पर्व की तिथि क्षय हो उस स्थिति में उससे पूर्व तिथि में पर्व मनाना शास्त्र सम्मत कहा गया है।*
♣️☂️* इस वर्ष वसंत पंचमी तिथि रविवार को पढ़ने से राजकीय सेवाओं तथा राजकीय कार्यों से संबंधित जातकों को विशेष लाभ होगा। *साथ ही बसंत पंचमी पर्व पर बुधादित्य योग,शिव योग, सिद्धि योग, मीन राशि में शुक्र तथा चंद्रमा की युति में कलात्मक योग का निर्माण हो रहा है जिससे कि कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे जातकों को विशेष लाभ होगा, इस योग में शिक्षा तथा व्यापार से संबंधित कोई भी कार्य एवं शिशुओं के विद्यारंभ संस्कार हेतु अति शुभ दिन रहेगा।*
♣️☂️* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी इसलिए बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा अर्चना का विधान है। देवी सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है और बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान की वृद्धि होती है। साथ ही बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन होता है।
♣️☂️*बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त*
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी पर्व पर अबूझ मुहूर्त होता है। जिसमें सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
*♣️☂️*मुहूर्त*♣️☂️*
पंचमी तिथि पर अबूझ मुहूर्त 02 फरवरी 2025 अभिजित मुहूर्त अपराह्न 12:27 से 01:12 तक।
पूजा हेतु शुभ मुहूर्त प्रातः 07:22 से 08:16तक रहेगा। वह चौघड़िया मुहूर्त प्रातः लाभ 10:05 - 11:27 शुभ
अमृत 11:27 - 12:49 शुभ रहेगा।
*♣️☂️*पूजा विधि*♣️☂️*
प्रातः काल नित्य कर्म से निवृत्त होकर संपूर्ण मंदिर व घर को स्वच्छ करें। स्नानादि के उपरांत देवी सरस्वती की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर सफेद या पीला आसन प्रदान करें। पीले वस्त्र धारण करवाएं। श्रंगार अर्पित करें। देवी सरस्वती के सम्मुख घी की अखंड अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। पीली वस्तुओं का भोग अर्पित करें। पीले पुष्प अर्पित करें। देवी सरस्वती को ज्ञान की और वाणी की देवी कहा गया है अतः पुस्तकों और वाद्य यंत्रों का भी पूजन अवश्य करें।
*ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः*।
मंत्र का 108 बार जप करें 11 घी के दीपक जला कर देवी सरस्वती की आरती करें। जरूरतमंदों को पुस्तक एवं शिक्षा से संबंधित वस्तुओं का दान करना अति शुभ कारक माना जाता है।
*आइए जानते हैं बसंत पंचमी की कथा*
उपनिषदों की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा जी ने जीवों, मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन अपनी इस रचना से वह संतुष्ट नहीं हुए। ब्रह्मा जी ने विचार किया कि कुछ कमी रह गई है तब ब्रह्माजी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमंडल से जल अपने हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़ककर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरंभ की। ब्रह्मा जी की स्तुति को सुनकर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सम्मुख प्रकट हो गए। उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आवाहन किया। विष्णु जी के द्वारा आवाहन होने के कारण भगवती दुर्गा वहां तुरंत ही प्रकट हो गई। तब ब्रह्मा और विष्णु जी ने देवी दुर्गा से इस संकट को दूर करने का निवेदन किया। ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण दुर्गा माता के शरीर से श्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ। जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में वर मुद्रा थी अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। आदिशक्ति श्री दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज के प्रकट होते ही उन देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उस देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी *"सरस्वती"* कहा। फिर आदि शक्ति दुर्गा ने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई यह देवी सरस्वती आपकी पत्नी बनेगी। जैसे लक्ष्मी श्री विष्णु की शक्ति है। पार्वती महादेव शिव की शक्ति हैं। उसी प्रकार सरस्वती देवी आपकी शक्ति होंगी। ऐसा कहकर आदिशक्ति श्री दुर्गा सभी देवताओं को देखते हुए अंतर्ध्यान हो गई। जब देवताओं को देखते-देखते वही अंतर्ध्यान हो गई। इसके बाद सभी देवता सृष्टि के संचालन में संलग्न हो गए। सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती शारदा, वीणा वादिनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। यह विद्या और बुद्धि प्रदाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण यह संगीत की देवी भी हैं।
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेमजी*
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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