*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 25 जनवरी 2025*
*⛅दिन- शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी शाम सांय 08:31:28 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा दिनांक 26 जनवरी सुबह08:25:09 तक, ज्येष्ठा*
*⛅योग - ध्रुव प्रातः 03:36:46am तक, तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- 10:06 से दोपहर 11:27 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:25:16*
*⛅सूर्यास्त - 06:09:52*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:31 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:26 पी एम से 01:09 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:21 ए एम, जनवरी 26 से 01:14 ए एम, जनवरी 26 तक*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
काल 07:25 - 08:46 अशुभ
शुभ 08:46 - 10:06 शुभ
रोग 10:06 - 11:27 अशुभ
उद्वेग 11:27 - 12:48 अशुभ
चर 12:48 - 14:08 शुभ
लाभ 14:08 - 15:29 शुभ
अमृत 15:29 - 16:49 शुभ
काल 16:49 - 18:10 अशुभ
*⛅ चोघडिया, रात⛅*
लाभ 18:10 - 19:49 शुभ
उद्वेग 19:49 - 21:29 अशुभ
शुभ 21:29 - 23:08 शुभ
अमृत 23:08 - 24:47* शुभ
चर 24:47* - 26:27* शुभ
रोग 26:27* - 28:06* अशुभ
काल 28:06* - 29:46* अशुभ
लाभ 29:46* - 31:25* शुभ
*⛅व्रत पर्व विवरण माघ एकादशी व्रत (सूर्योदय से 19:24:35 pmतक)*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी(सेम), द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड 27.29-34)*
*⛅षटतिला एकादशी का व्रत षटतिला एकादशी शनिवार 25, जनवरी 2025 को
26,जनवरी को, व्रत तोड़ने का समय - 06:52 से 09:06
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय रात्रि८:४१
:54
एकादशी तिथि प्रारम्भ -24, जनवरी 2025 को 19:24:35 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 25, जनवरी 2025 को 08:31:28 बजे
इस व्रत में तिल का बेहद ख़ास महत्व होता है। उससे बनी चीजें खाने, उसके तेल से मालिश करने, नहाने के पानी में उसका इस्तेमाल करने और दान करने का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु के अनुयायी भी इस दिन उपवास रखते है।
एक बार दालभ्य ऋषि ने पुलस्त्य ऋषि से पूछा कि मनुष्य कौन सा दान अथवा पुण्य कर्म करे जिससे इनके सभी पापों का नाश हो. तब पुलस्त्य ऋषि ने षट्तिला एकादशी व्रत का विधि विधान बताते हुए उन्हें इस एकादशी का महत्व बताया और कहा.
एक समय नारदजी ने भगवान श्रीविष्णु से यही प्रश्न किया था और भगवान ने जो षटतिला एकादशी का माहात्म्य नारदजी से कहा- सो मैं तुमसे कहता हूँ। भगवान ने नारदजी से कहा कि हे नारद! मैं तुमसे सत्य घटना कहता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।
प्राचीनकाल में मृत्युलोक में एक ब्राह्मणी रहती थी। वह सदैव व्रत किया करती थी। एक समय वह एक मास तक व्रत करती रही। इससे उसका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया। यद्यपि वह अत्यंत बुद्धिमान थी तथापि उसने कभी देवताओं या ब्राह्मणों को अन्न या धन का दान नहीं किया था। इससे मैंने सोचा कि ब्राह्मणी ने व्रत आदि से अपना शरीर शुद्ध कर लिया है, अब इसे विष्णुलोक तो मिल ही जाएगा परंतु इसने कभी अन्न का दान नहीं किया, इससे इसकी तृप्ति होना कठिन है।
भगवान ने आगे कहा- ऐसा सोचकर मैं भिखारी के वेश में मृत्युलोक में उस ब्राह्मणी के पास गया और उससे भिक्षा माँगी। वह ब्राह्मणी बोली- महाराज किसलिए आए हो? मैंने कहा- मुझे भिक्षा चाहिए। इस पर उसने एक मिट्टी का ढेला मेरे भिक्षापात्र में डाल दिया। मैं उसे लेकर स्वर्ग में लौट आया। कुछ समय बाद ब्राह्मणी भी शरीर त्याग कर स्वर्ग में आ गई। उस ब्राह्मणी को मिट्टी का दान करने से स्वर्ग में सुंदर महल मिला, परंतु उसने अपने घर को अन्नादि सब सामग्रियों से शून्य पाया।
घबराकर वह मेरे पास आई और कहने लगी कि भगवन् मैंने अनेक व्रत आदि से आपकी पूजा की परंतु फिर भी मेरा घर अन्नादि सब वस्तुओं से शून्य है। इसका क्या कारण है? इस पर मैंने कहा- पहले तुम अपने घर जाओ। देवस्त्रियाँ आएँगी तुम्हें देखने के लिए। पहले उनसे षटतिला एकादशी का पुण्य और विधि सुन लो, तब द्वार खोलना। मेरे ऐसे वचन सुनकर वह अपने घर गई। जब देवस्त्रियाँ आईं और द्वार खोलने को कहा तो ब्राह्मणी बोली- आप मुझे देखने आई हैं तो षटतिला एकादशी का माहात्म्य मुझसे कहो।
उनमें से एक देवस्त्री कहने लगी कि मैं कहती हूँ। जब ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी का माहात्म्य सुना तब द्वार खोल दिया। देवांगनाओं ने उसको देखा कि न तो वह गांधर्वी है और न आसुरी है वरन पहले जैसी मानुषी है। उस ब्राह्मणी ने उनके कथनानुसार षटतिला एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से वह सुंदर और रूपवती हो गई तथा उसका घर अन्नादि समस्त सामग्रियों से युक्त हो गया।
अत: मनुष्यों को मूर्खता त्यागकर षटतिला एकादशी का व्रत और लोभ न करके तिलादि का दान करना चाहिए। इससे दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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