*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 23 जनवरी 2025*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि -नवमी शाम सांय 05:37:07 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा सुबह 05:07:17am जनवरी 24 तक, तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - शूल प्रातः 05:07:17 जनवरी 23 तक, तत्पश्चात वृद्वि*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:07 से दोपहर 03:28 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:25:54*
*⛅सूर्यास्त - 06:08:16*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:39 से 06:32 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:26 पी एम से 01:09 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:20 ए एम, जनवरी 24 से 01:13 ए एम, जनवरी 24 तक*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
शुभ 07:26 - 08:46 शुभ
रोग 08:46 - 10:06 अशुभ
उद्वेग 10:06 - 11:27 अशुभ
चर 11:27 - 12:47 शुभ
लाभ 12:47 - 14:07 शुभ
अमृत 14:07 - 15:28 शुभ
काल 15:28 - 16:48 अशुभ
शुभ 16:48 - 18:08 शुभ
*⛅ चोघडिया, रात⛅*
अमृत 18:08 - 19:48 शुभ
चर 19:48 - 21:28 शुभ
रोग 21:28 - 23:07 अशुभ
काल 23:07 - 24:47* अशुभ
लाभ 24:47* - 26:27* शुभ
उद्वेग 26:27* - 28:06* अशुभ
शुभ 28:06* - 29:46* शुभ
अमृत 29:46* - 31:26* शुभ
*⛅व्रत पर्व विवरण माघ नवमी व्रत (सूर्योदय से दोपहर 07:25 pmतक)*
*⛅विशेष - गुरुवार के दिन केले और खिचड़ी खाने से बचना चाहिए. इसके अलावा, मूंग की दाल भी नहीं खानी चाहिए. वहीं, चने की दाल का सेवन करना फलदायी माना जाता है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
उपासना में उप+आसना दो पद हैं । उप माने समीप आसना माने बैठना । अपने इष्टदेव का सान्निध्य प्राप्त करना उपासना है ।
यह उपासना चार प्रकार की है ~
१. सम्पदा == थोड़े गुणों का अधिक रूप में चिन्तन करना सम्पदा है । जैसे एक मन होने पर भी वृत्ति-भेद से अनेक है , अतः "अनन्तम् वै मन:" कहा गया है । अनन्त रूप में मन का चिन्तन सम्पदा है ।
२. आरोप == यही सम्पदा मूर्ति-पूजा के रूप में , धातु-पत्थर आदि की मूर्ति में इष्टदेव की भावना करने से प्रतीकोपासना कहलाती है , वह भी दो प्रकार की है--
आरोप प्रधान सम्पत्ति ---- जैसे सगुण-मूर्ति का चिन्तन ।
अधिष्ठान प्रधान अभ्यास ---- अर्थात् अधिष्ठान को उद्द्येश्य करके आरोपित का ध्यान करना । जैसे सगुण ब्रह्म के चिन्तन करते हुए निर्गुण ब्रह्म का अनुसन्धान करना आरोप है । इसमें विधि-विधान से इष्ट की पूजा , मन्त्रों का शुद्ध उच्चारण तथा मूर्ति में ब्रह्म-बुद्धि आरोप कहा गया है ।
जैसे प्रणवाक्षर उद्गीथ है । अर्थात् प्राणों की उपासना उद्गीथ उपासना है । प्रणवाक्षर का उच्चारण करते हुए की गई उपासना उद्गीथ है तथा प्रधान रूप से जिसका विधान किया जाए उसे विधि कहते हैं ।
देवताओं के अङ्गों में उनकी शक्ति का आरोप = जैसे जब भगवती सती ने दक्ष के यज्ञ में योगाग्नि से अपना शरीर जला दिया , भगवान् शंकर उनके शरीर को उठाकर रोते घूमने लगे । विष्णु भगवान् ने उनका मोह भङ्ग करने के लिए सुदर्शन से काटकर भगवती के शरीर के अङ्ग-प्रत्यंगों को यत्र-तत्र डाल दिया । वे ५२ स्थानों पर गिरे और ५२ शक्तिपीठों के रूप में प्रसिद्ध है । किसी-किसी ग्रन्थों में १०८ शक्तिपीठ बताये गये हैं । उनके अङ्गों में शक्ति-बुद्धि उपासना है ।
३. अध्यास == बुद्धिपूर्वक जो आरोप किया जाता है , उसकी विधि अध्यास विधि है । जैसे वेद आज्ञा देता है -- 'आदित्यो वै यूप:' अर्थात् खैर की लकड़ी के बने हुए खूंटे में जिसको छीलकर , मनुष्य जैसा आकार बनाकर यज्ञशाला में पशु बाँधने के लिए गाड़ा जाता है , उसे यूप कहते हैं । वेद आज्ञा देता है कि उस यूप की सूर्यबुद्धि से उपासना करें । यह अध्यास उपासना है । वह लकड़ी होने पर भी उसमें सूर्य की भावना का आरोप किया जाता है ।
४. सम्वर्ग उपासना == क्रिया-योग द्वारा अर्थात् पूर्ण सामग्री से की गई इष्ट-पूजा सम्वर्ग उपासना है । जैसे प्रलयकालीन प्रचण्ड वायु सभी प्राणियों को अपने वश में करती है , वैसे ही समस्त प्राणियों को वश में करने के लिए अनेकों उपचारों से की जाने वाली इष्ट की उपासना सम्वर्गोपासना कहलाती है । सद्गुरुओं द्वारा प्राप्त ज्ञान से इष्ट में अभेद-बुद्धि से इष्ट की पूजा विशेष उपासना है । वह मूर्ति आदि में होने के कारण बहिरङ्ग उपासना कही जाती है ।
मल-विक्षेप-आवरण ---- इन तीन दोषों से रहित बुद्धि द्वारा श्रवण आदि से देवत्त्व के समीप पहुँचकर "मैं ब्रह्म हूँ" इस प्रकार की ब्रह्म-विषयिणी बुद्धि द्वारा उपासना करना अन्तरङ्ग उपासना है । आत्मज्ञान से विजातीय विषयाकार वृत्ति को हटाकर सजातीय ब्रह्माकार वृत्ति से जीव-ब्रह्म की एकता का नाम अन्तरङ्ग उपासना है । इस अन्तरङ्ग उपासना में सफलता सम्पदादि उपासना के सिद्ध होने पर ही प्राप्त होती है ।
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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