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पंचांग - 21-01-2025

jyotish

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 21 जनवरी 2025
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - सप्तमी दोपहर 12:39:13 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा रात्रि 11:35:40 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - धृति प्रातः 03:48:13 जनवरी 22 तक, तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 03:27 से शाम 04:47 तक*
🌤️ *सूर्योदय 07:26:26*
🌤️ *सूर्यास्त -  06:06:39*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:39 से 06:32 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:08 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 जनवरी 22 से रात्रि 01:13 जनवरी 22 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - द्विपुष्कर योग (प्रातः 07:25 से दोपहर 12:39तक), कालाष्टमी*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

  *⛅चोघडिया, दिन⛅*
    07:27 - 08:47    शुभ
काल    08:47 - 10:06    अशुभ
शुभ    10:06 - 11:26    शुभ
रोग    11:26 - 12:46    अशुभ
उद्वेग    12:46 - 14:06    अशुभ
चर    14:06 - 15:26    शुभ
लाभ    15:26 - 16:46    शुभ
अमृत    16:46 - 18:06    शुभ
   *⛅ चोघडिया, रात⛅*
चर    18:06 - 19:46    शुभ
रोग    19:46 - 21:26    अशुभ
काल    21:26 - 23:06    अशुभ
लाभ    23:06 - 24:46*    शुभ
उद्वेग    24:46* - 26:26*    अशुभ
शुभ    26:26* - 28:06*    शुभ
अमृत    28:06* - 29:46*    शुभ
चर    29:46* - 31:26*    शुभ
kundli

*⛅ सोमवार विशेष ⛅ *
*⛅कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*
*⛅जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*⛅सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*

*⛅🔔 अष्टम भाव ज्योतिष में सबसे विलक्षण भाव है। 🔔

*यह रस और बिष दोनों देता है।
योग और भोग दोनों देता है।
मूलाधार चक्र का भी प्रतिनिधित्व करता है।*
*और यौन अंगों का भी प्रतिनिधित्व करता है
इसका प्रभाव तो राक्षसों और देवताओं द्वारा किए गए समुद्र मंथन से जोड़कर देखें तो आपको ज्यादा अच्छा समझ में आएगा
जिस तरह से समुद्र मंथन में सबसे पहले विष निकला इसी तरह से अष्टम भाव से परेशानियां निकलती हैं।*
*और जिस तरह से बाद में अमृत के साथ कई रत्न प्राप्त हुए इस तरह से अष्टम भाव से तमाम प्रकार की विधाओं की उत्पत्ति होती है जो निम्नलिखित हैं।
  अष्टम भाव तो सभी प्रकार की गुप्त विधाओं का रिसर्च का एकमात्र भाव है।
यहां से तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष,योग और भोग रिसर्च और इन्वेस्टिगेशन अधिकारी
अष्टम भाव के योग योग के बिना संभव नहीं है।
आईबी सीआईडी और जितने भी कर विभाग से संबंधित नौकरियां हैं उन सब में अष्टम भाव का किसी न किसी प्रकार योगदान अति आवश्यक है।
अष्टम भाव पीड़ित होने पर जातक का कॉमन सेंस खराब होता है ।अष्टम भाव बलवान होने पर अष्टम भाव का स्वामी बलवान होने पर जातक का कॉमन सेंस उत्कृष्ट होता है और उसकी छठी इंद्रिय बहुत सक्रिय होती है और वह तेजी से पूर्व आभास करवाती है
अष्टम भाव को लोग जितना बुरा बताते हैं उतना बुरा नहीं है।
अष्टम भाव समुद्र का भाव भी है  समुद्र की यात्रा का भाव भी है
समुद्र जिस तरह से खारा होता है उस तरह से जीवन में खारापन भी पैदा करता है।
और जिस तरह से समुद्र रतन की खान होता है इस तरह से अष्टम भाव में जीवन की विशेष विलक्षणताएं मौजूद होती हैं जो मंथन के द्वारा बाहर आती है।
संघर्ष के द्वारा शिक्षा देने का कार्य अषटम भाव करता है ।

किसे माने कुलदेवता कुलदेवी
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कुलदेवता या कुलदेवी पूरे कुल के देवता होते हैं, न कि व्यक्तिगत देवता (इष्टदेवता) या ग्रामदेवता।
वैदिक ज्योतिष के हिसाब से 12 राशियाँ होती हैं पंचम भाव के विषम रूप में जो भेद होते हैं उनकी विपरीत परिस्थियों से निपटने के लिए कुलदेवी की उपासना की जाती है अब यह कुलदेवी कौन है:-
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केन्द्रस्थ राशियाँ मेष,कर्क, तुला,मकर,
1:-मेष राशि सिंह राशि धनु राशि के आराध्य भगवान विष्णु हैंl जिस भी देव रूप को पूजा जाता है वह भगवान विष्णु को ही समर्पित होता हैl
2:-कर्क राशि, वृश्चिक राशि, मीन राशि, के आराध्य भगवान शिव हैं और लोग जिस भी देव रूप की पूजा करते हैं उसकी पूजा भगवान शिव को समर्पित होती हैl
3:-तुला राशि कुंभ राशि मिथुन राशि की आराध्या माता लक्ष्मी हैं लोग जिस भी देवी रूप की पूजा करते हैं वह पूजा माता लक्ष्मी को समर्पित होती हैl
4:-वृषभ राशि, मकर राशि, कन्या राशि,आराध्या देवी माता पार्वती है जिसकी भी देवी रूप की लोग पूजा करते हैं वह पूजा माता पार्वती को समर्पित होती हैl
इस प्रकार ज्योतिष के अनुसार कुलदेवी और कुल देवता दो ही माने जाते हैंl
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1:- अग्नि और वायु तत्व की अधिष्ठाता विष्णु और देवी लक्ष्मी हैं
अग्नि और वायु के संगम से होकर सभी तत्व का आकाश तत्व में मिलना हो जाता हैंl
2:-जल तत्व और पृथ्वी तत्व के अधिष्ठाता शिव और देवी पार्वती हैंl
जल और पृथ्वी तत्व के द्वार ही सृष्टि के विभिन्न क्रमों का पुनर्चक्रण होता है l
क्योंकि जन्म और मृत्यु में सृष्टि है भगवान शिव शक्ति सृष्टि के पुनर्चक्रण का कारण हैंl वहि भगवान विष्णु और लक्ष्मी संसार का भरण, पालन पोषण हैl
जिनको कुलदेवी कुलदेवता का ध्यान न हो
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इस प्रकार सारे संसार में अग्नि और वायु तत्व प्रधान लोगों को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासनाl
उसी प्रकार जल तत्व प्रदान और पृथ्वी तत्व प्रधान लोगों को भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिएl
इस प्रकार जिन किन्ही को अपने कुल देवता की कुलदेवी की जानकारी है ना हो उन्हें अपनी राशि तत्व के अनुरूप ही देवता की उपासना अर्थ है कुलदेवता कुलदेवी की उपासना के रूप में भगवान लक्ष्मी नारायण या शिव पार्वती का ही ध्यान करना चाहिएl

दिनेश प्रेमजी एस्ट्रो रिसर्च सेंटर
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮🪷
vipul

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