Type Here to Get Search Results !

पंचांग - 18-01-2025

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 18 जनवरी 2025*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पञ्चमी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 02:50:28 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग - शोभन रात्रि 01:14:49 जनवरी 19 तक, तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- सुबह 10:06 से सुबह 11:26 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:27:13
*⛅सूर्यास्त - 06:03:27*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:39 से 06:32 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:24 से दोपहर 01:07 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 जनवरी 19 से रात्रि 01:12 जनवरी 19 तक*
*⛅विशेष - पञ्चमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*⛅ शनिवार के दिन विशेष प्रयोग ⛅*

*⛅ शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*⛅ हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
        चोघडिया, दिन
काल    07:27 - 08:47    अशुभ
शुभ    08:47 - 10:06    शुभ
रोग    10:06 - 11:26    अशुभ
उद्वेग    11:26 - 12:46    अशुभ
चर    12:46 - 14:05    शुभ
लाभ    14:05 - 15:25    शुभ
अमृत    15:25 - 16:45    शुभ
काल    16:45 - 18:04    अशुभ
        चोघडिया, रात
लाभ    18:04 - 19:45    शुभ
उद्वेग    19:45 - 21:25    अशुभ
शुभ    21:25 - 23:05    शुभ
अमृत    23:05 - 24:46*    शुभ
चर    24:46* - 26:26*    शुभ
रोग    26:26* - 28:06*    अशुभ
काल    28:06* - 29:47*    अशुभ
लाभ    29:47* - 31:27*    शुभ
kundli

*⛅ कौड़ी का सिद्धिकरण *⛅
*⛅  कपर्दिका या रुहिया कौड़ी का सिद्धिकरण *⛅
हमारा वेद विजयन कहता है कि

     *⛅कौड़ी में दो किस्में होती हैं जो आम आदमी इसका भेद नहीं कर पाटा है. इसमें एक मादा एवं एक नर होता है।
 *⛅  नर का कवच कोमल, बिलकुल सफ़ेद एवं लगभग छोटी आकृतियों वाला होता है.
  *⛅   जब कि मादा कौड़ी का कवच बहुत कठोर, कुछ पीलापन लिये तहा आनुपातिक रूप से बड़ी आकृत्ति का होता है.

*⛅  अथर्ववेद के अनुसार जब अगस्त्य ऋषि ने हथेली पर समुद्र का जल लेकर मन्त्र पढ़ते हुए उसे पीकर सूखा देने को तैयार हुए तो "समुद्र के पुत्र कपिञ्जर और विश्वावसु"  समुद्र की समस्त रत्न, मणि, सम्पदा आदि को कृमिषाद में भरकर नीचे भूमि के अंदर प्रवेश कर गये.

   *⛅ वहाँ उन्हें विविध कीड़े उसे खाने लगे. जिससे ये दोनों कपर्दी मन्त्र से इन्हें कवचित कर दिये। और कीड़ों का खाना बंद हो गया.
     *⛅ तब से कृमिषाद का नाम कपर्दिका पड़ गया. इसमें कपिञ्जर की कपर्दिका नर और विश्वावसु की कपर्दिका मादा रूप में हो गयीं थीं.

   *⛅  कालान्तर में जब अगस्त्य ऋषि ने समुद्र को अपने मूत्र मार्ग से बाहर निकाला तब इसका जल खारा हो गया था. जिससे वस्तिकपर्दि मन्त्र निष्प्रभावी हो गया. और पुनः उनसे हीरे, जवाहरात, मणि, रत्न आदि बाहर नहीं हो सके.

       *⛅ अंत में समुद्र की प्रार्थना से ऋषि अगस्त्य ने बताया कि वृहद् पञ्चिका के द्वारा जब नर और मादा दोनों कपर्दिका एक स्थान पर एकत्र होगीं तो इनसे छिपा धन सम्पदा बाहर होगा।
     
   *⛅  इन कपर्दिकाओं को किसी ताम्बे की थाली में पहले 5, उसके नीचे 4, उसके नीचे 3 उसके नीचे 2 और उसके नीचे 1 रखते हैं.

    *⛅ इनके चारो तरफ 75 गुञ्जा के बीजों से इन्हें घेर देते हैं. जहां पर एक कौड़ी हो उसके पास श्यामबेल के बीज से बनी 11 बीजों की एक माला रख देते हैं.
       और जिधर 5 कौड़ियां होती हैं उधर 3 शालिग्राम पत्थर रख देते हैं.
      एक मिटटी के पात्र में शहद, दूध, घी और गुड़ मिलाकर जल से घोल कर रख लेते हैं.

      और पहले शालिग्राम और उसके बाद कौड़ियों पर बूँद बूँद टपकाते हुए निम्न मन्त्र पढ़ते जाते हैं--
🚩याः कृत्या आङ्गिरसीर्याः कृत्याासुरिर्याः
      कृत्याः स्वयं कृता या उचान्येभिराभृताः।🚩
उभयिस्ताः परा यन्तु परावतो नवातिं नाव्या३ अति.🚩       

       यह मन्त्र संभवतः अथर्ववेद संहिता भाग 1 काण्ड 8 के सूक्त 5 में आया है.

     अथर्ववेद में इसका अर्थ संभवतः निम्न प्रकार किया गया है--

       ऋषि अङ्गिरा के कृत्याभिचार के सिद्धान्त या असुरों द्वारा किया गया घातक मन्त्र प्रयोग, स्वयं के लिये हुए घातक प्रयोग या किसी अन्य द्वारा किया गया कोई अभिचार कृत्य इस घृताग्धि (शहद, दूध, घी, गुड़ और जल का मिश्रण) प्रपात से इन कपर्दिकाओं को छोड़कर नब्बे नदियों से भी दूर भाग जाय.

       उसके बाद गुञ्जा को धरती में नीचे दबा कर उस पर मट्ठा डाल दे.
     तथा कौड़ियों को साफ़ जल से धोकर रख ले.

    इसे ही "सिद्ध कपर्दिका" या "रुहिया कौड़ी" कहते हैं.

      नित्य दीप धुप दिखाने से दरिद्रता एवं व्याधि का नाश होता है. तथा परिवार में खुशहाली बढ़ती है.

     यदि प्रतिदिन  कौड़ियों को हाथ में लेकर उपर्युक्त मन्त्र का एक बार भी पाठ किया जाय तो समस्त विघ्न-बाधा, कष्ट, हानि, भय, दरिद्रता और बंधन से छुटकारा मिलता है।
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉 शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮🪷
vipul

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad