*⛅दिनांक - 09 जनवरी 2025*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी शाम 12:21:5 6तक, तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - भरणी दोपहर 03:06:04 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*⛅योग - साध्य शाम 05:28:09 तक, तत्पश्चात शुभ*
*⛅चन्द्र राशि- मेष till 20:45:26*
*⛅ चन्द्र राशि- वृषभ from 20:45:26*
*⛅ सूर्य राशि - धनु*
*⛅सूर्योदय - 07:27:29*
*⛅सूर्यास्त - 05:57:07*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:01 से दोपहर 03:20 तक*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:32 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:21 से दोपहर 01:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 जनवरी 10 से रात्रि 01:09 जनवरी 10 तक*
💥 *चोघडिया, दिन*💥
शुभ 07:27 - 08:46 शुभ
रोग 08:46 - 10:05 अशुभ
उद्वेग 10:05 - 11:24 अशुभ
चर 11:24 - 12:42 शुभ
लाभ 12:42 - 14:01 शुभ
अमृत 14:01 - 15:20 शुभ
काल 15:20 - 16:38 अशुभ
शुभ 16:38 - 17:57 शुभ
💥 *चोघडिया, रात*💥
अमृत 17:57 - 19:38 शुभ
चर 19:38 - 21:20 शुभ
रोग 21:20 - 23:01 अशुभ
काल 23:01 - 24:42 अशुभ
लाभ 24:42 - 26:24 शुभ
उद्वेग 26:24 - 28:05 अशुभ
शुभ 28:05 - 29:46 शुभ
अमृत 29:46 - 31:28 शुभ
*⛅विशेष - दशमी को कलम्बी के शाक का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा, दशमी से शुरू होने वाले एकादशी व्रत के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌷विशेष पर्व शाकम्भरी नवरात्र*
🌷🌷शाकम्भरी नवरात्र 🌷🌷🌷पौष शुक्ल अष्टमी से पौष शुक्ल पूर्णिमा तक
07 जनवरी 2025 मंगलवार से
13 जनवरी 2025 सोमवार तक ( शाकम्भरी पूर्णिमा)
🌷 माँ भगवती अपनी संतान की दुर्दशा नहीं देख सकीं और पौष शुक्ल अष्टमी से माघ कृष्ण प्रतिपदा तक निरन्तर अश्रुजल प्रवाहित कर सूखी धरा को जीवनदान दिया। अतः पौष शुक्ल अष्टमी से माघ कृष्ण प्रतिपदा तक का समय शाकम्भरी नवरात्र कहलाता है। मान्यता है कि इस समय की गई माँ की आराधना, तंत्र-मंत्रादि की साधनाएं सद्यः फलदायिनी होती हैं।
🌷 श्रीशाकम्भरी साधना।। 🌷
हर श्रद्धालु को माँ दुर्गा जी की मूर्ति चित्र या दुर्गा यन्त्र या श्री यन्त्र के आगे इन पंचक, कवच का शाकंभरी नवरात्रि के नौ दिन(पौष शुक्ल अष्टमी से माघ कृष्ण प्रतिपदा) और विशेष रूप से शाकंभरी जयन्ती (पौष शुक्ल पूर्णिमा) पर सुबह शाम पाठ कर माँ की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
🌷इसमें कवच आदि स्तोत्र पाठ और 108 नाम से पूजन होता है। कवच पाठ से साधक की रक्षा होती है और इसके साथ अन्य स्तोत्र भी पढ़ने से पापमुक्ति, आपत्ति से मुक्ति, यश, आरोग्य, विद्या, धन सम्पदा आदि की प्राप्ति होती है। यदि किसी साधक के पास समय हो और उसे कोई मनोकामना सिद्ध करनी है तो वह नीचे दिए गए शाकम्भरी कवच का कुल 1000 बार पाठ 11/21 दिनों में करें।
🌷(1) श्री शाकम्भरी-पञ्चकम्
श्रीवल्लभसोदरी श्रितजनश्चिद्दायिनी श्रीमती श्रीकण्ठार्धशरीरगा श्रुतिलसन्माणिक्य-ताटङ्कका ।
श्रीचक्रान्तरवासिनी श्रुतिशिरः सिद्धान्तमार्गप्रिया
श्रीवाणी गिरिजात्मिका भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥ १॥
शान्ता शारदचन्द्र-सुन्दरमुखी शाल्यन्नभोज्यप्रिया
शाकैः पालितविष्टपा शतदृशा शाकोल्लसद्विग्रहा।
श्यामाङ्गी शरणागतार्ति-शमनी शक्रादिभिः शंसिता शङ्कर्यष्ट-फलप्रदा भगवती शाकम्भरी पातु माम्॥२॥
कञ्जाक्षी कलशी भवादिविनुता कात्यायनी कामदा कल्याणी कमलालया करकृतां भोजासिखेटाभया।
कादंवासवमोदिनी कुचलसत्काश्मीरजालेपना कस्तूरीतिलकाञ्चिता भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥ ३॥
भक्तानन्दविधायिनी भवभयप्रध्वंसिनी भैरवी भर्मालङ्कृति-भासुरा भुवनभीकृद् दुर्गदर्पापहा । भूभृन्नायकनन्दिनी भुवनसूर्भास्यत्परः कोटिभा भौमानन्द विहारिणी भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥ ४॥
रीताम्नाय-शिखासु रक्तदशना राजीव पत्रेक्षणा राकाराज-करावदात-हसिता राकेन्दु-बिम्बस्थिता।
रुद्राणी रजनीकरार्भक-लसन्मौली रजोरुपिणी रक्षः शिक्षणदीक्षिता भगवती शाकम्भरी पातु माम्॥५॥
श्लोकानामिह पञ्चकं पठति यः स्तोत्रात्मकं शर्मदं सर्वापत्तिविनाशकं प्रतिदिनं भक्त्या त्रिसन्ध्यं नरः।
आयुःपूर्ण-मपारमर्थ-ममलां कीर्ति प्रजामक्षयां शाकम्भर्यनुकम्पया स लभते विद्यां च विश्वार्थकाम्॥६॥
🌷(जो यह शाकंभरी पंचक स्तोत्र प्रतिदिन तीन संध्याओं में पाठ करता है उसे माँ शाकम्भरी की अनुकम्पा से दीर्घायु, अपार धन, कीर्ति, सन्तान,विद्या की प्राप्ति होती है)
🌷॥श्रीमच्छङ्कराचार्य-विरचितं शाकम्भरी पञ्चकं शुभमस्तु ओऽम् तत्सत्॥
🌷(2) श्रीशाकम्भरी कवचम्।।
शक्र उवाच -
शाकम्भर्यास्तु कवचं सर्वरक्षाकरं नृणाम्।
यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे कथय षण्मुख ॥ १॥
🌷(इन्द्र बोले - हे छः मुख वाले कार्तिकेय जी मुझे सब प्रकार से रक्षा करने वाले शाकंभरी देवी के उस कवच को कहें जो किसी को भी नहीं कहा गया हो)
🌷 स्कन्द उवाच -
शक्र शाकम्भरीदेव्याः कवचं सिद्धि दायकम्।
कथयामि महाभाग श्रुणु सर्वशुभावहम् ॥ २॥
🌷(स्कन्द बोले - हे महाभाग्यवान् इन्द्र! मैं शाकंभरी देवी के उस सिद्धि दायक शुभ कवच को कहता हूं सुनो)
🌷विनियोग - अस्य श्री शाकम्भरी कवचस्य स्कन्द ऋषिः शाकम्भरी देवता अनुष्टुप्छन्दः चतुर्विधपुरुषार्थसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥
🌷।।ध्यानम्।।
शूलं खड्गं च डमरुं दधानामभयप्रदम्। सिंहासनस्थां ध्यायामि देवी शाकम्भरीमहम् ॥ ३॥
(मैं सिंह के आसन पर विराजित शूल,खड्ग,डमरू व अभय मुद्रा धारण करने वाली आठ हाथों वाली शाकंभरी देवी का ध्यान करता हूँ)
सर्वत्र जयमाप्नोति धनलाभं च पुष्कलम्। विद्यां वाक्पटुतां चापि शाकम्भर्याः प्रसादतः॥१६॥
(देवी शाकम्भरी के प्रसाद से पाठकर्ता को सर्वत्र विजय मिलती है धन लाभ होता है, विद्या, बोलने में कुशलता की भी प्राप्ति होती है)
।।भगवती शाकम्भरीकवचम्।।-
शाकम्भरी शिरः पातु नेत्रे मे रक्तदन्तिका।
कर्णो रमे नन्दजः पातु नासिकां पातु पार्वती ॥ ४॥
ओष्ठौ पातु महाकाली महालक्ष्मीश्च मे मुखम् ।
महासरस्वती जिह्वां चामुण्डाऽवतु मे रदाम् ॥ ५॥
कालकण्ठसती कण्ठं भद्रकाली करद्वयम् ।
हृदयं पातु कौमारी कुक्षिं मे पातु वैष्णवी ॥ ६॥
नाभिं मेऽवतु वाराही ब्राह्मी पार्श्वे ममावतु ।
पृष्ठं मे नारसिंही च योगीशा पातु मे कटिम् ॥ ७॥
ऊरु मे पातु वामोरु र्जानुनी जगदम्बिका।
जङ्घे मे चण्डिकांपातु पादौ मे पातु शाम्भवी॥८॥
शिरःप्रभृति पादान्तं पातु मां सर्वमङ्गला।
रात्रौ पातु दिवा पातु त्रिसन्ध्यं पातु मां शिवा॥९॥
गच्छन्तं पातु तिष्ठन्तं शयानं पातु शूलिनी।
राजद्वारे च कान्तारे खड्गिनी पातु मां पथि॥१०॥
सङ्ग्रामे सङ्कटे वादे नद्युत्तारे महावने।
भ्रामणेनात्मशूलस्य पातु मां परमेश्वरी ॥ ११॥
गृहं पातु कुटुम्बं मे पशुक्षेत्रधनादिकम्।
योगक्षैमं च सततं पातु मे बनशङ्करी ॥ १२॥
इतीदं कवचं पुण्यं शाकम्भर्याः प्रकीर्तितम् ।
यस्त्रि-सन्ध्यं पठेच्छक्र सर्वापद्भिः स मुच्यते॥१३॥
(हे इन्द्र इस शाकम्भरी देवी के शुभदायक कवच का जो कोई भी तीन संध्याओं अर्थात् सुबह , दोपहर और शाम को पाठ करता है उसको सभी आपदाओं से मुक्ति मिल जाती हैै)
तुष्टिं पुष्टिं तथारोग्यं सन्ततिं सम्पदं च शम् ।
शत्रुक्षयं समाप्नोति कवचस्यास्य पाठतः ॥ १४॥
(पाठकर्ता को संतोष, शान्ति बल आरोग्यता, सम्पत्ति की प्राप्ति होती है तथा उसके शत्रुओं का नाश होता है)
शाकिनी-डाकिनी-भूत बालग्रह महाग्रहाः ।
नश्यन्ति दर्शनात्त्रस्ताः कवचं पठतस्त्विदम्॥१५॥
(शाकिनी, डाकिनी , भूतप्रेत और बाधाकारक बालग्रह, महाग्रह कवच पाठकर्ता के दर्शन से ही त्रस्त हो जाते हैं)
सर्वत्र जयमाप्नोति धनलाभं च पुष्कलम्।
विद्यां वाक्पटुतां चापि शाकम्भर्याः प्रसादतः॥१६॥
(देवी शाकम्भरी के प्रसाद से पाठकर्ता को सर्वत्र विजय मिलती है धन लाभ होता है, विद्या, बोलने में कुशलता की भी प्राप्ति होती है)
आवर्तनसहस्रेण कवचस्यास्य वासव ।
यद्यत्कामयतेऽभीष्टं तत्सर्वं प्राप्नुयाद् ध्रुवम् ॥ १७॥
(इसका हजार बार पाठ करने से उस समय जैसी अभीष्ट कामना की गई हो वह प्राप्त होता है )
॥ श्री स्कन्दपुराणे स्कन्दप्रोक्तं शाकम्भरी कवचं शुभमस्तु ओऽम् तत्सत् ॥
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*⛅गुरुवार विशेष ⛅*
*⛅गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक केले के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*⛅एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः, ।*
*⛅फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*⛅गुरुवार को दाढ़ी, बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮🪷