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पंचांग - 08-01-2025

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 08 जनवरी 2025*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी शाम 02:25:15 तक, तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी शाम 04:28:35 तक तत्पश्चात भरणी *
*⛅योग - सिद्ध रात्रि 08:21:59 तक, तत्पश्चात साध्य*
*⛅चन्द्र राशि    -   मेष*
*⛅ सूर्य राशि    -   धनु*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:42 से प्रात:02:01 तक*
*⛅सूर्योदय-    07:27:24*
*⛅    सूर्यास्त-    17:56:22*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:30 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 जनवरी 09 से रात्रि 01:09 जनवरी 09 तक*

💥 *चोघडिया, दिन*💥
लाभ    07:27 - 08:46    शुभ
अमृत    08:46 - 10:05    शुभ
काल    10:05 - 11:23    अशुभ
शुभ    11:23 - 12:42    शुभ
रोग    12:42 - 14:01    अशुभ
उद्वेग    14:01 - 15:19    अशुभ
चर    15:19 - 16:38    शुभ
लाभ    16:38 - 17:56    शुभ
 
💥 *चोघडिया, रात*💥
उद्वेग    17:56 - 19:38    अशुभ
शुभ    19:38 - 21:19    शुभ
अमृत    21:19 - 23:01    शुभ
चर    23:01 - 24:42    शुभ
रोग    24:42 - 26:23    अशुभ
काल    26:23 - 28:05    अशुभ
लाभ    28:05 - 29:46    शुभ
उद्वेग    29:46 - 31:27    अशुभ

kundli



*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*⛅विशेष पर्व शाकम्भरी नवरात्र*
पौष शुक्ल अष्टमी से पौष शुक्ल पूर्णिमा तक
07 जनवरी 2025 मंगलवार से
13 जनवरी 2025 सोमवार तक ( शाकम्भरी पूर्णिमा)

     *शाकम्भरी नवरात्र  माहात्म्*

shakambhri maa

इस साल शाकम्भरी नवरात्रि 7 जनवरी मंगलवार 2025 में से प्रारंभ होकर 13 जनवरी सोमवार को समाप्त होगी। 13 जनवरी को शाकम्भरी जयंती मनाई जाएगी। यह नवरात्रि पौष मास की शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक मनाई जाती है, जिसमें देवी शाकम्भरी की पूजा की जाती है।

शाकम्भरी नवरात्रि का महत्व: देवी शाकम्भरी, मां आदिशक्ति जगदम्बा का एक सौम्य अवतार हैं। इन्हें शाकम्भरी नाम इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने संसार को शाक (सब्जियाँ) प्रदान कर अकाल और भुखमरी से मुक्ति दिलाई थी। मां शाकंभरी की पूजा से जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है। शाकम्भरी नवरात्रि के दौरान भक्तजन विशेष रूप से ताजे फल, सब्जियां और शाक को देवी को अर्पित करते हैं, जो उनकी कृपा प्राप्ति का माध्यम माना जाता है।

 वैसे तो वर्ष भर में चार नवरात्रि मानी गई है, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि, चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली चैत्र नवरात्रि, तृतीय और चतुर्थ नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है। परंतु तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। समापन के दिन मां शाकंभरी जयंती भी मनाई जाएगी। तंत्र-मंत्र के जानकारों की नजर में इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अतिउपयुक्त माना गया है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि की भांति शाकंभरी नवरात्रि का भी बड़ा महत्व है।

इन दिनों साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे। मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता ‘शाकंभरी’ नाम से विख्यात हुईं। ये मां ही माता अन्नपूर्णा, वैष्णो देवी, चामुंडा, कांगड़ा वाली, ज्वाला, चिंतपूर्णी, कामाख्या, चंडी, बाला सुंदरी, मनसा और नैना देवी कहलाती है।

मां शाकंभरी की कथा:
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी ने यह अवतार तब लिया, जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया। तब देवी शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। इस रूप में उनकी 1,000 आंखें थीं। जब उन्होंने अपने भक्तों का बहुत ही दयनीय रूप देखा तो लगातार 9 दिनों तक वे रोती रहीं। रोते समय उनकी आंखों से जो आंसू निकले उससे अकाल दूर हुआ और चारों ओर हरियाली छा गई। हजारों आंख होने के कारण उन्हें मां शताक्षी भी कहते हैं।

 जो भक्त इस दिनों गरीबों को अन्न-शाक यानी कच्ची सब्जी, भाजी, फल व जल का दान करता है उसे माता की कृपा प्राप्त होती है और वह पुण्य लाभ कमाता है।

 मां शाकंभरी देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। दुर्गा के सभी अवतारों में से मां रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शताक्षी तथा शाकंभरी प्रसिद्ध हैं। देश में मां शाकंभरी के तीन शक्तिपीठ हैं। इनमें प्रमुख राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास सकराय माताजी के नाम से स्थित है। दूसरा स्थान शाकंभर के नाम से राजस्थान में ही सांभर जिले के समीप और तीसरा स्थान उप्र में मेरठ के पास सहारनपुर में 40 किलोमीटर दूर है। माताजी का प्रमुख स्थल अरावली पर्वत के मध्य सीकर जिले में सकराय माताजी के नाम से विश्वविख्यात हो चुका है। यह मंदिर एपिग्राफिया इंडिका जैसे प्रसिद्ध संग्रह ग्रंथ में भी दर्ज है। शाकुम्भरी देवी का एक बड़ा मंदिर कर्नाटक के बागलकोट जिले के बादामी में भी स्थित है। समय-समय पर यहां की यात्रा का आयोजन होता है।
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☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
 

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