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पंचांग - 03-01-2025

 


*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -03 जनवरी 2025*
*⛅दिन - शुक्रवार *
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी रात्रि 11:38:58 जनवरी 03 तक, तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 10:20:51 जनवरी 03 तक तत्पश्चात शतभिष*
*⛅योग - वज्र दोपहर 12:36:15 तक, तत्पश्चात सिद्वि*
*⛅राहु काल_हर  जगह का अलग है- दोपहर 11:21 से दोपहर12:40 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:26:38*
*⛅सूर्यास्त - 05:52:43*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:31 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 पी एम से 01:01 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:13 ए एम, जनवरी 04 से 01:07 ए एम, जनवरी 04*
  💥 *चोघडिया, दिन*💥
चर    07:27 - 08:45    शुभ
लाभ    08:45 - 10:03    शुभ
अमृत    10:03 - 11:21    शुभ
काल    11:21 - 12:40    अशुभ
शुभ    12:40 - 13:58    शुभ
रोग    13:58 - 15:16    अशुभ
उद्वेग    15:16 - 16:34    अशुभ
चर    16:34 - 17:53    शुभ

 💥 *चोघडिया, रात*💥
रोग    17:53 - 19:34    अशुभ
काल    19:34 - 21:16    अशुभ
लाभ    21:16 - 22:58    शुभ
उद्वेग    22:58 - 24:40*    अशुभ
शुभ    24:40 - 26:22    शुभ
अमृत    26:22 - 28:03    शुभ
चर    28:03 - 29:45    शुभ
रोग    29:45 - 31:27    अशुभ
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*⛅विशेष - चतुर्थी व्रत शुक्रवार।
*⛅ चतुर्थी के दिन मूली खाना वर्जित है. मान्यता है कि चतुर्थी को मूली खाने से धन हानि होती है.(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*⛅*चतुर्थी  तिथि विशेष*
*➡️ 03 जनवरी 2025 शुक्रवार को विनायक चतुर्थी  है।

चतुर्थी तिथि के स्वामी  भगवान गणेश जी हैं।

हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।

पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।

*🌷🔰 ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह की दृष्टियों का विशेष महत्व है। शनि की दशम दृष्टि (दसवीं दृष्टि) का प्रभाव किसी भी कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम दे सकता है। यह प्रभाव उस ग्रह, भाव, और कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। नीचे सभी भावों पर शनि की दशम दृष्टि के संभावित शुभ और अशुभ फलों का वर्णन किया गया है:  

⭕️ . लग्न भाव (प्रथम भाव)**
 
**शुभ फल:**  
- व्यक्ति गंभीर और अनुशासनप्रिय हो सकता है।  
- जीवन में परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है।  
- व्यक्ति दीर्घायु हो सकता है।  

**अशुभ फल:**  
- आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।  
- शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।  
- व्यक्तित्व में कठोरता और भावनाओं की कमी हो सकती है।  

-⭕️ 2. धन भाव (दूसरा भाव)**
 
**शुभ फल:**  
- आर्थिक मामलों में स्थिरता आ सकती है।  
- परिवार में अनुशासन और परंपराओं का पालन होगा।  

**अशुभ फल:**  
- धन संचय में बाधाएं आ सकती हैं।  
- परिवार में कटुता या वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।  

--⭕️ 3. पराक्रम भाव (तीसरा भाव)**
 
**शुभ फल:**  
- परिश्रम से मान-सम्मान प्राप्त होता है।  
- साहस और धैर्य में वृद्धि होती है।  

**अशुभ फल:**  
- भाई-बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है।  
- योजनाओं को पूरा करने में देरी हो सकती है।  

--⭕️ 4. सुख भाव (चौथा भाव)**  
**शुभ फल:**
 
- व्यक्ति संपत्ति खरीद सकता है।  
- जीवन में मानसिक संतुलन बनाए रख सकता है।  
**अशुभ फल:**  
- माता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।  
- घरेलू सुख में कमी हो सकती है।  

---

⭕️ 5. पुत्र भाव (पांचवां भाव)**  
**शुभ फल:**  

- शिक्षा और बौद्धिक कार्यों में सफलता।  
- संतान से लाभ प्राप्त हो सकता है।  

**अशुभ फल:**  
- संतान से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।  
- प्रेम संबंधों में रुकावटें आ सकती हैं।  

---

⭕️ 6. शत्रु भाव (छठा भाव)**  
**शुभ फल:**
 
- शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो सकती है।  
- रोगों से छुटकारा मिल सकता है।  

**अशुभ फल:**  
- स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।  
- कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अधिक हो सकती है।  

---

⭕️ 7. विवाह भाव (सप्तम भाव)**
 
**शुभ फल:**  
- वैवाहिक जीवन में स्थायित्व।  
- साझेदारी के कार्यों में लाभ।  

**अशुभ फल:**  
- दांपत्य जीवन में तनाव हो सकता है।  
- वैवाहिक संबंधों में दूरी बढ़ सकती है।  

---

⭕️ 8. अष्टम भाव**  
**शुभ फल:**
 
- गूढ़ विद्याओं और रहस्यों में रुचि बढ़ सकती है।  
- अप्रत्याशित लाभ हो सकता है।  

**अशुभ फल:**  
- आयु और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।  
- मानसिक तनाव बढ़ सकता है।  

---

⭕️ 9. भाग्य भाव (नवम भाव)**
 
**शुभ फल:**  
- व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक हो सकता है।  
- भाग्य से लाभ प्राप्त होता है।  

**अशुभ फल:**  
- भाग्य में रुकावटें आ सकती हैं।  
- पिता के साथ संबंधों में मतभेद हो सकते हैं।  

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⭕️ 10. कर्म भाव (दशम भाव)**  

**शुभ फल:**  
- करियर में स्थिरता और सफलता।  
- समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।  

**अशुभ फल:**  
- कार्यक्षेत्र में दबाव या कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।  
- नौकरी में देरी या अस्थिरता हो सकती है।  

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⭕️ 11. लाभ भाव (एकादश भाव)**  

**शुभ फल:**  
- आर्थिक लाभ में वृद्धि।  
- इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है।  

**अशुभ फल:**  
- मित्रों से धोखा मिल सकता है।  
- लाभ में रुकावटें आ सकती हैं।  

---

⭕️ 12. व्यय भाव (द्वादश भाव)**
 
**शुभ फल:**  
- व्यक्ति अध्यात्म में रुचि ले सकता है।  
- विदेश यात्रा के योग बन सकते हैं।  

**अशुभ फल:**  
- खर्चों में वृद्धि हो सकती है।  
- मानसिक शांति भंग हो सकती है।  

✅️ नोट :  
शनि की दशम दृष्टि का प्रभाव का किसी भाव पर सही आकलन के लिए कुंडली की संपूर्ण स्थिति, स्वामित्व, ग्रहों के योग, और अन्य दृष्टियों पर निर्भर करता है।

🔰शनि की दशम दृष्टि का अन्य ग्रहों पर प्रभाव

शनि की दशम दृष्टि (दसवीं दृष्टि) का अन्य ग्रहों पर प्रभाव उनके आपसी संबंध, स्थिति (उच्च, नीच, मित्र या शत्रु ग्रह), और कुंडली में भावों के आधार पर अलग-अलग परिणाम देती है। नीचे सभी ग्रहों पर शनि की दशम दृष्टि के **शुभ** और **अशुभ** फल का विवरण दिया गया है:

---

🟠 1. सूर्य पर शनि की दशम दृष्टि**  

**शुभ फल:**  
- व्यक्ति मेहनती और जिम्मेदार हो सकता है।  
- प्रशासनिक कार्यों में सफलता।  
- परिश्रम से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ सकती है।  

**अशुभ फल:**  
- आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।  
- पिता के साथ मतभेद या उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव।  
- नेतृत्व क्षमता में बाधा या निर्णय लेने में देरी।  

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⚪️ 2. चंद्रमा पर शनि की दशम दृष्टि**
 
**शुभ फल:**  
- मानसिक स्थिरता और धैर्य।  
- गहराई से सोचने और समझने की क्षमता।  
- कठिन परिस्थितियों में भी आत्मसंयम बनाए रखना।  

**अशुभ फल:**  
- मानसिक तनाव, उदासी, या अकेलापन।  
- मां के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव।  
- भावनात्मक संबंधों में दूरी।  

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🔴 3. मंगल पर शनि की दशम दृष्टि**  

**शुभ फल:**  
- साहस और अनुशासन का संतुलन।  
- ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग।  
- परिश्रम से सफलता।  

**अशुभ फल:**  
- गुस्से और धैर्य में असंतुलन।  
- दुर्घटनाओं या चोटों की संभावना।  
- भाइयों या पुरुष मित्रों के साथ मतभेद।  

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🟢 4. बुध पर शनि की दशम दृष्टि**
 
**शुभ फल:**  
- व्यवस्थित सोचने और योजनाबद्ध कार्य करने की क्षमता।  
- व्यापारिक मामलों में सफलता।  
- ज्ञान और तर्कशक्ति में वृद्धि।  

**अशुभ फल:**  
- विचारों में नकारात्मकता या भ्रम।  
- छोटी-छोटी बातों पर चिंता।  
- भाई-बहनों से वैचारिक मतभेद।  

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🟡 5. बृहस्पति पर शनि की दशम दृष्टि**
 
**शुभ फल:**  
- अनुशासन और ज्ञान का समन्वय।  
- शिक्षा और उच्च अध्ययन में सफलता।  
- अध्यात्म और धर्म में रुचि।  

**अशुभ फल:**  
- धार्मिक कार्यों में रुकावट।  
- गुरु या शिक्षकों से मतभेद।  
- धन और संतान के मामलों में बाधा।  

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🟣 6. शुक्र पर शनि की दशम दृष्टि**  

**शुभ फल:**  
- सौंदर्य और विलासिता पर नियंत्रण।  
- संबंधों में स्थायित्व।  
- कला और रचनात्मकता के कार्यों में सफलता।  

**अशुभ फल:**  
- वैवाहिक जीवन में तनाव।  
- भोग-विलास की चीजों में कमी।  
- प्रेम संबंधों में रुकावटें।  

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🔵 7. राहु पर शनि की दशम दृष्टि**  

**शुभ फल:**  
- छुपे हुए शत्रुओं पर विजय।  
- रहस्यमय और गूढ़ विद्याओं में सफलता।  
- योजनाओं को गहराई से समझने की क्षमता।  

**अशुभ फल:**  
- भ्रम और अनिश्चितता।  
- गलत कार्यों में फंसने की संभावना।  
- मानसिक अस्थिरता या तनाव।  

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🟤 8. केतु पर शनि की दशम दृष्टि**  
**शुभ फल:**  
- आध्यात्मिकता और ध्यान में रुचि।  
- कठिन समय में धैर्य और स्थिरता।  
- आत्म-ज्ञान और आंतरिक विकास।  

**अशुभ फल:**  
- कार्यों में निराशा या असंतोष।  
- जीवन में स्थिरता की कमी।  
- गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति।  

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✅️ नोट  :
शनि की दशम दृष्टि का प्रभाव हर ग्रह के साथ अलग-अलग रूप में प्रकट होता है। यह ज्यादातर मेहनत, अनुशासन, और स्थायित्व को बढ़ावा देती है, लेकिन जहां नकारात्मक प्रभाव होता है, वहां देरी, बाधा, और तनाव भी उत्पन्न हो सकता है। कुंडली के समग्र अध्ययन के बिना सटीक फलादेश नहीं किया जा सकता।
☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
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