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पंचांग - 26-12-2024

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -26 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि -  एकादशी रात्रि 12:43:21 दिसम्बर 24 तक, तत्पश्चात द्वादशी *
*⛅नक्षत्र - स्वाति शाम 06:08:38 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - सुकर्मा रात्रि 10:10:32 तक, तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल_हर  जगह का अलग है- दोपहर 01:54 से शाम 03:12 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:24:32*
*⛅सूर्यास्त - 05:48:06*
*⛅ चन्द्र राशि-      तुला*
*⛅सूर्य राशि    -   धनु*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:29 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:15 से दोपहर 12:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 दिसम्बर 27 से रात्रि 01:03 दिसम्बर 27 तक*

   *⛅*चोघडिया, दिन*⛅*
शुभ    07:24 - 08:42    शुभ
रोग    08:42 - 09:59    अशुभ
उद्वेग    09:59 - 11:18    अशुभ
चर    11:18 - 12:36    शुभ
लाभ    12:36 - 13:54    शुभ
अमृत    13:54 - 15:12    शुभ
काल    15:12 - 16:30    अशुभ
शुभ    16:30 - 17:48    शुभ
  *⛅*चोघडिया, रात*⛅*
अमृत    17:48 - 19:30    शुभ
चर    19:30 - 21:12    शुभ
रोग    21:12 - 22:54    अशुभ
काल    22:54 - 24:36    अशुभ
लाभ    24:36 - 26:18    शुभ
उद्वेग    26:18 - 28:00    अशुभ
शुभ    28:00 - 29:42    शुभ
अमृत    29:42 - 31:25    शुभ

kundli


*⛅ व्रत पर्व विवरण - सफला एकादशी व्रत*
*⛅विशेष - ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, एकादशी के दिन सेम की फली नहीं खानी चाहिए. वहीं, एकादशी व्रत के दौरान इन चीज़ों से बचना चाहिए:
चावल,मांस, मछली, अंडे,प्याज़, लहसुन,मसूर दाल, चना दाल, उड़द दाल,गोभी, गाजर, शलजम, पालक का साग,शराब,पान,किसी दूसरे व्यक्ति से दिया गया अन्न(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
   
*🪷*⭐आज का टॉपिक सफला एकादशी💜💜*
*👉 ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, एकादशी के दिन सेम की फली नहीं खानी चाहिए. वहीं, एकादशी व्रत के दौरान इन चीज़ों से बचना चाहिए:*

*🪷 एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. हर महीने दो एकादशी पड़ती हैं, जिसमें से एक शुक्लपक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की. दोनों ही पक्षों की एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए खास होती है. मान्यता है कि विधि-विधान से एकादशी का व्रत-पूजन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार, इस साल की आखिरी एकादशी सफला एकादशी होगी.*
*🪷इस एकादशी व्रत के दिन कुछ खास संयोग बनने जा रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2024 की  आखिरी एकादशी कब है, पूजन के लिए शुभ मुहूर्त और विधि क्या है.*
*🪷पंचांग के अनुसार, साल की आखिरी सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा. एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर को रात 10 बजकर 29 मिनट से होगी. जबकि, इस तिथि की समाप्ति 26 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 43:21 मिनट पर होगी*
*🪷सफला एकादशी व्रत का पारण 27 दिसंबर को किया जाएगा. इस दिन पारण के लिए शुभ समय सुबह 7 बजकर 13 मिनट से 9 बजकर 17 मिनट के बीच का है. ऐसे में इस दौरान पारण कर लेना अच्छा रहेगा.*
*🪷सफला एकादशी पर 2 खास संयोग पंचांग के अनुसार, इस साल की आखिरी सफला एकादशी पर सुकर्मा और वैधृति योग का खास संयोग बनने जा रहा है. ज्योतिष में ये दोनों ही योग शुभ माने गए हैं. इस दौरान कई काम करने से शुभ फल प्राप्त होता है. इसके अलावा सफला एकादशी के दिन स्वाती नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र का भी विशेष संयोग बना रहेगा.*
*🪷सफला एकादशी के दिन पूजन के लिए चार मुहूर्त बन रहे हैं. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. जबकि, प्रतः संध्या मुहूर्त सुबह 4 बजकर 49 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. वहीं, अभिजित मुहू्र्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा और विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 04 मिनट से 2 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.*

*🪷सफला एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान इत्यादि दैनिक कर्म से निवृत हो जाएं.*

*🪷स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें.*
*🪷सूर्य देव को अर्घ्य देन के बाद पूजन के लिए सामग्रियों को इकट्ठा कर लें*
*🪷पूजन स्थल पर एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें*

*🪷पूजा चौकी की दायीं तरफ एक दीया जलाएं. इसके बाद भगवान को रोली-चंदन अर्पित करें.*
*🪷इसके साथ ही भगवान को हल्दी-कुमकुम और अक्षत भी अर्पित करें. इतना करने के बाद ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नमः इस मंत्र को बोलते हुए भगवान को फूल, जनेऊ और माला अर्पित करें.*

*🪷इतना करने के बाद पंचामृत में तुलसी का पत्ता डालकर भगवान को अर्पित करें. साथ ही भगवान को मिठाई अर्पित करें.
पूजन के अंत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए आरती करें और प्रसाद बांटें*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
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