*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -20 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पञ्चमी प्रातः 10:48:16 दिसम्बर 19 तक, तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - मघा रात्रि 03:46:08 दिसम्बर 20 तक, तत्पश्चात पूर्व फाल्गुनी*
*⛅योग - विश्कुम्भ शाम 18:10:19 तक, तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 11:15 से दोपहर 12:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:21:23*
*⛅सूर्यास्त - 05:44:18*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:26 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 12:54 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 दिसम्बर 21 से रात्रि 01:00 दिसम्बर 21 तक*
*🪷*चोघडिया, दिन*🪷*
चर 07:21 - 08:39 शुभ
लाभ 08:39 - 09:57 शुभ
अमृत 09:57 - 11:15 शुभ
काल 11:15 - 12:33 अशुभ
शुभ 12:33 - 13:51 शुभ
रोग 13:51 - 15:09 अशुभ
उद्वेग 15:09 - 16:26 अशुभ
चर 16:26 - 17:44 शुभ
*🪷*चोघडिया, रात*🪷*
रोग 17:44 - 19:27 अशुभ
काल 19:27 - 21:09 अशुभ
लाभ 21:09 - 22:51 शुभ
उद्वेग 22:51 - 24:33 अशुभ
शुभ 24:33 - 26:15 शुभ
अमृत 26:15 - 27:57 शुभ
चर 27:57 - 29:40 शुभ
रोग 29:40 - 31:22 अशुभ
*🪷विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है, इसलिए इस दिन बेल नहीं खाना चाहिए.
ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, पंचमी को बिल्व नहीं खाना चाहिए।*
*🪷*व्रत रखने पर, मांस, मछली, अंडे, प्याज़, लहसुन, तली हुई चीज़ें, चटपटे मसालेदार भोजन, और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।*
*🪷*व्रत रखने पर, अरहर, मूंग, उड़द, चना जैसी दालें नहीं खानी चाहिए।*
*🪷व्रत रखने पर, साधारण नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, केवल सेंधा नमक ही खाना चाहिए।*
*🪷*व्रत रखने पर, हल्दी, लाल मिर्च, गरम मसालों का सेवन नहीं करना चाहिए।*
*🪷*व्रत रखने पर, साधारण तेल में तले हुए खाने से बचना चाहिए, शुद्ध घी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।*
*🪷व्रत रखने पर, चाय कॉफ़ी आदि का सेवन दिन भर में एक बार किया जा सकता है।*
*🪷व्रत रखने पर, किसी का जूठा पानी और भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🪷*कृपया भूत प्रेत आदि भगाने के लिए हमसे सम्पर्क न करें। यह कार्य हम नहीं करते। उपाय बता देते हैं किसी कर्मकाण्डी ब्राह्मण से करवा लें।*
*🪷*घर में सदैव कलह बना रहना, वंश का नाश होना, कलंक लगना, रोगों से ग्रस्त रहना, विकट रोग लग जाना जिनका की औषध से भी निदान न हो, सन्तान न होना, सन्तान होकर मर जाना, देव कार्यों से मन उच्चटना, उच्चाटन होना, जीविका समाप्त होना, नवरात्र आदि समयों पर पत्नी का रजस्वला हो जाना, नीच जातियों से सम्बन्ध बनना, नास्तिकता, ब्राह्मणों के प्रति द्रोह भावना, धर्म में आस्था का अभाव, ये सब प्रेत बाधा से ही उत्पन्न होते हैं।*
*🪷*संस्कारहीन तो प्रेत योनियों को प्राप्त होते ही हैं, जो अपनी कुलपरम्परा से चले आ रहे कुलधर्म का त्याग कर दूसरा धर्म ग्रहण करता है वह निश्चित रूप से प्रेत योनि को प्राप्त करता है। अपने धर्म का त्याग करने वाला प्रेतयोनि में गिरकर, स्वयं तो पीड़ित ही रहता है, अपने ही कुल को पीड़ित करता है। अन्य लोगों को तो कोई अपराधिक छिद्र प्राप्त होने पर ही पीडा दे पाते हैं, किन्तु अपने कुल के लिए तो सर्वदा ही घातक होते हैं।*
*🪷*जहां बलिवैश्वदेव, अग्निहोत्र, वेदध्वनि नहीं होती, अभक्ष्य भक्षण होता है, उच्छिष्ट भोजन किया जाता है, मलिनता, कुत्ता आदि निकृष्ट जीवों से जो घर दूषित होता है वहां प्रेत ही भोजन करते हैं।*
*🪷*इस प्रकार लगे हुए ये प्रेत पूरे परिवार का नाश कर देते हैं। समय रहते नारायण बलि द्वार इनका उपाय करें। रुद्र मंत्रों का जप करते रहें। घर में हवन आदि करते रहें। दान पुण्य करें। वैष्णव कवच धारण करें। या शिव अमोघ कवच धारण करें। ब्रह्मराक्षस से पीडा हो तो भी शिव अमोघ कवच उत्तम है। भूत प्रेतों की त्वरित शान्ति एवं उनसे उत्पन्न उत्पातों एवं रोगादि निदान हेतु महाविद्या के 21 या 108 पाठ रात्रिकाल में करवायें, त्वरित शान्ति होगी।*
*🪷* कठिन शक्ति हो, ये उपाय भी शिथिल हो जायें तो शिव के अघोरमंत्र का अनुष्ठान करवायें। इसके अनुष्ठान से तो ग्रह रोता हुआ भाग जाता है।*
*🪷*सीताराम...राधेश्याम...🪷*
*🪷जय वीर हनुमान देवी नवरात्रि से दीपावली के मध्य परम सिद्ध मुहूर्त में कुबेर यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, नवग्रह यंत्र, मां बगलामुखी यंत्र, भैरव यंत्र, इत्यादि बनाये जाते है। अपनी आवश्यकता के अनुसार पूर्व में संपर्क करें तब मिलना संभव है*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
👉 सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा, नागौर (राज,)*
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