*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -05 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी दोपहर 12:48:57 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा शाम 05:25:44 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - वृद्धि दोपहर 12:26:48 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल हर जगह का अलग है- दोपहर 01:44 से दोपहर 03:10 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:11:54*
*⛅सूर्यास्त - 05:39:44*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:17 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:05 से 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 दिसम्बर 06 से रात्रि 12:53 दिसम्बर 06 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅*चोघडिया, दिन*⛅*
शुभ 07:12 - 08:30 शुभ
रोग 08:30 - 09:49 अशुभ
उद्वेग 09:49 - 11:07 अशुभ
चर 11:07 - 12:26 शुभ
लाभ 12:26 - 13:44 शुभ
अमृत 13:44 - 15:03 शुभ
काल 15:03 - 16:21 अशुभ
शुभ 16:21 - 17:40 शुभ
*⛅*चोघडिया, रात*⛅*
अमृत 17:40 - 19:21 शुभ
चर 19:21 - 21:03 शुभ
रोग 21:03 - 22:45 अशुभ
काल 22:45 - 24:26 अशुभ
लाभ 24:26 - 26:08 शुभ
उद्वेग 26:08 - 27:49 अशुभ
शुभ 27:49 - 29:31 शुभ
अमृत 29:31 - 31:13 शुभ
*⛅*भगवान सूर्य के इन मंत्रों का जाप, दुख और विपत्तियों से मिलेगा छुटकारा*
*⛅*हर काम में सफलता पाने के साथ घर में खुशहाली बनी रहें तो इसके लिए भगवान सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है। जानिए हर रविवार के दिन भगवान सूर्य के किन मंत्रों का करें जाप।*
*⛅* रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। आज के दिन भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऋग्वेद के देवताओं कें सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है। माना जाता है कि रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे में जल लेकर लाल फूल, सिंदूर, अक्षत, मिश्री डालकर अर्घ्य करने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है और भगवान सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने के साथ इन मंत्रों का जाप भी करना फलदायी साबित होगा। जानिए सूर्य की पूजा के समय किन मंत्रों का जाप करना लाभकारी होगा।
*⛅*सूर्य प्रार्थना मंत्र"
*सूर्य भगवान की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का जाप करें।*
*⛅*ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।*
*⛅* सूर्याष्टकम*⛅*
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
सूर्य कवच
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।
शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।
सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।
कामना पूर्ति के लिए करें भगवान सूर्य के इन मंत्रों का जाप
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
*⛅* पूर्णकुंभ मंत्र भाग(३)*⛅*
क्रमशः आगे.....
ब्रह्म के संबंध में बुद्धि अंधकारमय है , जो सबसे स्पष्ट है। यदि आपने कोई वस्तु नहीं देखी है, तो वह दृष्टि से बाहर है और इसलिए मन से भी बाहर है, लेकिन ब्रह्म , जो स्वयं है, कभी दृष्टि से बाहर नहीं होता; वह कभी मन से बाहर नहीं जाता। इसलिए, यह हमारा अज्ञान है जो उसकी उपस्थिति को छिपाता है।
यद् विभ्राजते , जो चमकता है। यह वह है जो आनंद , आत्मा , चेतना के रूप में चमकता है। विविधं भ्राजते, या विशेषेन भ्राजते । इस संपूर्ण जगत के रूप में , वह आनंद ही हर समय व्यक्ति की बुद्धि के मंच पर ज्ञाता-ज्ञान-ज्ञेय , ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय के रूप में चमक रहा है । अन्यथा, कोई किसी भी चीज़ को कैसे पहचान सकता है? सब कुछ बुद्धि में है । ये सभी आकाशगंगाएँ 'बाहर' हमारी बुद्धि के भीतर 'यहाँ' हैं ।
ज्ञान के लिए प्रतिबद्ध संन्यासी परमानंद
यतया विसन्ति को प्राप्त करते हैं। यतया यति का बहुवचन रूप है। यति यत्न - शील है , जो सही प्रयास करता है। इसका मतलब कोई भी हो सकता है। यहां तक कि कर्म-योगी भी यति है । यति का अर्थ साधक, मुमुक्षु भी होता है। यति का रूढि , पारंपरिक अर्थ , हालांकि, संन्यासी है। यह अर्थ अधिक लोकप्रिय है। इन यतया , संन्यासियों या मुमुक्षुओं का प्रयास मोक्ष के लिए किया जाता है , मोक्षार्थं यतनम्।
विसंती, लभन्ते, उन्हें लाभ होता है। यद् विभ्रजते तत् यतयः विशन्ति, संन्यासी इस उज्ज्वल, शुद्ध आनंद को प्राप्त करते हैं।
वे यह ज्ञान कैसे प्राप्त करते हैं?
ॐ वेदान्तविज्ञानसुनिश्चितार्थः
सन्यासयोगाद्यतयः शुद्धसत्त्वाः।
ते ब्रह्मलोके तु परान्तकाले
परमार्थ परिमुच्यन्ति सर्वे॥
वेदांतविज्ञानसुनिश्चितार्थः
संन्यासयोगद्यतयः शुद्धसत्त्वः
ते ब्रह्मलोके तु परान्तकाले
परमार्थ परिमुच्यन्ति सर्वे।
जो लोग समुचित प्रयास करते हैं, जिनका मन शुद्ध है, जिन्हें वेदान्त का भली-भाँति ज्ञात है, वे संन्यास जीवन के कारण ब्रह्म में देह-निर्धारण के समय अव्यक्त ( कर्म ) से भी मुक्त हो जाते हैं।
क्रमशः आगे......
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮🪷
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
👉 सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा, नागौर (राजस्थान)
मोबाइल नंबर....8387869068
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️