*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -03 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया दोपहर 01:08:32 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - मूल शाम 04:40:57 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग - शूल दोपहर 03:06:56 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 03:02 से शाम 04:21 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10:27*
*⛅सूर्यास्त - 05:39:32*
*⛅चन्द्र राशि- धनु*
*⛅सूर्य राशि- वृश्चिक*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:21 से 06:15 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 दिसम्बर 04 से रात्रि 12:12 दिसम्बर 04 तक*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती(छोटा बैंगन या कटहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
⛅*चोघडिया, दिन*⛅
रोग 07:10 - 08:29 अशुभ
उद्वेग 08:29 - 09:48 अशुभ
चर 09:48 - 11:06 शुभ
लाभ 11:06 - 12:25 शुभ
अमृत 12:25 - 13:44 शुभ
काल 13:44 - 15:02 अशुभ
शुभ 15:02 - 16:21 शुभ
रोग 16:21 - 17:40 अशुभ
⛅*चोघडिया, रात*⛅
काल 17:40 - 19:21 अशुभ
लाभ 19:21 - 21:02 शुभ
उद्वेग 21:02 - 22:44 अशुभ
शुभ 22:44 - 24:25* शुभ
अमृत 24:25 - 26:07 शुभ
चर 26:07 - 27:48 शुभ
रोग 27:48 - 29:30 अशुभ
काल 29:30 - 31:11 अशुभ
*⛅ पूर्णकुंभ "मंत्र" ⛅*
⛅पूर्ण कुंभ का शाब्दिक अर्थ है “भरा घड़ा” (पूर्ण = भरा हुआ, कुंभ = घड़ा)। पूर्णकुंभ पानी से भरा घड़ा होता है, जिसके ऊपर आम के पेड़ की ताज़ी पत्तियाँ और एक नारियल (श्रीफल) रखा होता है। पूर्णकुंभ को कलशम के नाम से भी जाना जाता है।*
⛅पूर्ण कुंभ⛅
पूर्ण-कुंभ-मंत्र के चार श्लोक , न कर्मणा न प्रजाया से लेकर यः परः सह महेश्वरः तक , आमतौर पर संन्यासियों , संतों का स्वागत करते समय गाये जाते हैं। मूल रूप से, पूर्ण-कुंभ-मंत्र एक अतिरिक्त खंड, यो देवानामप्रथमं पुरस्ताद के जाप से शुरू होता था , उसके बाद इन चार मंत्रों का जाप होता था। इन मंत्रों को एक साथ आचार्य-पंचादि कहा जाता है ।
न कर्मणा न प्रजाया धनेन
त्यागेनैके अमृतत्वमानशुः।
परेण नाकं निहितं गुलायां
विभ्रजते तद्यतयो विश्न्ति ॥
⛅न कर्मणा न प्रजाया धनेन
त्यागेनैके अमृतत्वमानशु:।
परेण नाकं निहितं
गुहायां विभ्रजते तद्यतयो विशन्ति.*.
⛅ तो कर्म से, न संतान से, न धन से, अपितु त्याग से ही कुछ लोगों ने अमरत्व प्राप्त किया है। जो स्वर्ग से भी परे है, वह संयमी त्यागी पुरुष अपने हृदय में प्रकाशित आत्मा को प्राप्त कर लेते हैं।*
⛅अमृतत्वं अनासुः, अमृतत्वं अनासिरे प्राप्तवन्तः , इन लोगों ने अमरत्व या मृत्यु से मुक्ति, मोक्ष प्राप्त किया है। उन्होंने संसार से मुक्ति प्राप्त की है । संसारति इति संसारः। संसार एक ऐसा जीवन है जो परिवर्तन के अधीन है, जैसे, अहम् सुखी , मैं खुश हूँ या अहम् दुखी , मैं दुखी हूँ। संसार से मुक्ति अमृतत्व है । तो अमृतत्व का अर्थ है मोक्ष , समय से मुक्ति, मृत्यु से मुक्ति।*
⛅वे कौन हैं जो इस अमृतत्व को प्राप्त करते हैं? त्यागिनः। त्यागेन एके प्राप्तवन्तः, त्याग से कुछ प्राप्त होता है। बहुवचन में एके का अर्थ है कुछ लोग। किस माध्यम से? त्यागेन, त्याग द्वारा । त्याग का अर्थ है ज्ञान के लिए त्याग। ये संन्यासी हैं जिन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के लिए, मोक्ष प्राप्त करने के लिए त्याग किया है । इस मंत्र में संन्यास की प्रशंसा की गई है। मंत्र आगे इसकी व्याख्या करेगा।*
आगे क्रमशः.......
*⛅ग्रहबाधा व वास्तुदोष दूर करने का अचूक उपाय*
*⛅आजकल वास्तुदोष-निवारण के नाम पर तीन टांग के कछुआ, मेंढक की मूर्ति घरों में रखने का रिवाज चल पड़ा है । यह तथाकथित फेंगशुई चीनी गृहसज्जा करना है । यदि घर पर किसी भी प्रकार का वास्तुदोष है तो एक देशी गाय रख लें, समस्त वास्तुदोष दूर हो जायेंगे । यदि गाय पालना सम्भव न हो तो घर के आँगन में सवत्सा (बछड़ेवाली) गाय का चित्र लगा लें और घर में गोमूत्र या गोमूत्र अर्क का छिड़काव करें ।*
*⛅शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलाएं । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
👉 सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा, नागौर (राजस्थान)
मोबाइल नंबर....8387869068
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