*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
🌤️*दिनांक - 02दिसम्बर 2024*
🌤️ *दिन - सोमवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - मार्गशीर्ष (गुजरात- महाराष्ट्र कार्तिक)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - प्रतिपदा दोपहर 12:42:50 तक तत्पश्चात द्वितीया*
🌤️ *नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 03:44:39 तक तत्पश्चात मूल*
🌤️ *योग - धृति शाम 03:49:43 तक तत्पश्चात शूल*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 08:28 से सुबह 09:47 तक*
🌤️ *सूर्योदय 07:09:42*
🌤️ *सूर्यास्त - 05:39:28*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - चंद्र दर्शन (शाम 05:41 से 07:44:46 तक)*
💥*विशेष- प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥*चोघडिया, दिन*💥
अमृत 07:10 - 08:28 शुभ
काल 08:28 - 09:47 अशुभ
शुभ 09:47 - 11:06 शुभ
रोग 11:06 - 12:25 अशुभ
उद्वेग 12:25 - 13:43 अशुभ
चर 13:43 - 15:02 शुभ
लाभ 15:02 - 16:21 शुभ
अमृत 16:21 - 17:39 शुभ
💥*चोघडिया, रात*💥
चर 17:39 - 19:21 शुभ
रोग 19:21 - 21:02 अशुभ
काल 21:02 - 22:44 अशुभ
लाभ 22:44 - 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25* - 26:06* अशुभ
शुभ 26:06* - 27:48* शुभ
अमृत 27:48* - 29:29* शुभ
चर 29:29* - 31:10* शुभ
😊*आप__ईश्वर_और कृपा* 😊
*फंडा बहुत सीधा साधा है पर आजकल सीधा सीधा किसी को समझ मे कहा आता है खैर छोडिये अपने विषय पर आते है 😊*
*गूढ़ रहस्य की बात है आप ने देखा होगा जितने भी सिद्ध माहात्मा,साधु या संत हुये है वे आर्थिक रूप से बहुत कुछ अपने पास संचय नही करते थे। क्यो ,क्योकि उस समय चक्र को उन्होंने महसूस कर लिया था या उस तत्व को समझ लिया था जो इस पूरे ब्रह्माण्ड को पोषित करता है उनको पता था कि सब मिथ्या है ऐसे मे उनके पास दो आँप्सन रहे कि या तो इस ज्ञान के द्वारा ये सांसारिक सुख भोगते और चीजे जुटाते जो कि बाद मे उनके साथ नही होनी थी या फिर इन सारी चीजो को छोडकर उस परमसत्य के लिए अपना जीवन लगा देते ..*
*और जब सब छूट ही जाना है तो इन्होने दूसरा विक्लप ही चुनना ठीक समझा,और सब छोड दिया त्याग कर दिया,*
*जिसके पास सब सांसारिक सुविधा हो और वो उसे त्याग दे खुद को सरल कर ले खुद के लिये जीना छोड़कर सांसार के लिए जिये ऐसे ही लोगो को दुनियां याद भी रखती है और पूजती भी है।*
*ये तो बात रही ईश्वर तत्व से परिचय की अब आते है कि उसकी कृपा का क्या स्वरूप हो सकता है जो हम सब पर होती, तो ऐसा समझो कि उसकी कृपा का स्वरूप प्रेम है।*
*जैसे गीता मे कहा गया तू सिर्फ मेरा चिंतन कर और अपना कर्म कर यहां चिंतन से मतलब प्रेम से जब आप ईश्वर से एक मां जैसा प्रेम करते तो आप एक अनोखी उर्जा अपने भीतर विकसित कर रहे होते है आप मे एक अनोखी सहन शक्ति जन्म लेती है। आप मे वो ही उर्जा पनपती जो एक मां के ह्दय मे अपने बच्चे के लिए होती है जैसे जब बच्चे के उपर कोई मुसीबत आती है एक मां हर उस मुसीबत से टकरा जाती है। और अपने बच्चे के हर संकट को हर लेती है इसी को दुर्गा,काली,या नारी शक्ति बोल सकते है।*
*अब समझने वाली बात ये है कि जब आप के जीवन मे कठिनाई,मुसीबत, दुख,का समय आता है तो आप इसी उर्जा की वजह से अपनी मुसीबतो और कठिनाईयो से जूझ पड़ते है लड़ पडते है बार बार हारने पर भी आप निरास और हतास नही होते और एक समय आने पर आप अपने जीवन की बाधाओ से निकल भी जाते है जैसै एक मां अपने बच्चे के लिए लड़ पडती है और उसे हर कठिनाई से बचा लेती है ठीक ऐसे ही आप भी अपनी कठिनाइयो से लड पडते हैं और बच निकलते है और ये बात इस बात पर भी निर्भर होती है कि आप का स्नेह आप के इष्ट के प्रति कितना है जितना गहरा प्रेम होगा उतना ही आप भीतर से मजबूत होगें..*
*ईश्वर की एक बात जान लो तथ्य या तत्व समझ लो कि जब उसकी कृपा आप पर होगी तो आप को..आप कि भावनाओ को तोड फोड देगा....एकदम आप की आंखो मे आंसू ला देगा रूला देगा .....आप को ऐसा लगेगा अब सब खतम् पर तुम ऐसी स्थिति मे निरास और हतास मत होना लड़ पड़ना अपनी परेशानियों और परस्थियों से वो तो चाहता ही यही है कि तुम उठो और लडो क्यो ,क्योकि जब आप के जीवन कुछ नही बचता तो केवल परमात्मा बच जाता है जैसे तुम्हारा जन्म हुआ था और तुम अकेले थे ठीक यही स्थिति तो अभी भी है बस तुम समझ नही पा रहै ज्यादा से ज्यादा क्या होगा विजय या वीरगति एक कायर की मौत मरने से अच्छा है लड़ के मरो 😊*
*ऐसी परस्थिती मे आप के मन कि स्थिति एकदम कोमल और सरल हो जायेगी आप के जीवन की घटनाये ,बाते और आप की भावनाये आप पर हावी हो जायेगी आप टूट जायेगे रो पडेगे पर तुम डरना और हारना मत क्योकि की यही विधी का विधान है और आप के कर्म इस विधी को भी पलटने की शक्ति रखते है पर इसके लिए तुम्हे संर्घस करना ही होगा*
*ऐसे समय आप एकदम कोमल और सरल हो जायेगें आप के मन की स्थिति एकदम पानी जैसी हो जायेगी ...और यही पर संसार के द्वारा दिया गया दुख आप के लिये भयंकर ठंडक का काम करेगा और आप की भावनाये पानी की निर्मलता की जगह बर्फ सी कठोरता मे बदल जायेगी आप कठोर हो जायेगे... निर्मलता से ही कठोरता जन्म लेती है जैसे एक कोमल स्त्री एक कठोर पुरूष को जन्म देती है पानी बर्फ मे बदलता है ठीक ऐसे ही* .......
*मेरी ये पोस्ट उन सब व्यक्तियों के लिए विषेश है जो आध्यात्मिक भी है और परिवारआश्रम का भी पालन कर रहे है और जीवन मे कष्ट भी सह रहे है आप अगर मेरी ये पोस्ट समझ पाये तो आप का जीवन इसी क्षण से बदल जायेगा
आप ने देखा भी होगा और अनुभव भी किया होगा बहुत से लोग कितनी मुसीबत, दुख,तकलीफ मे ईश्वर की शरणागति लेते है और उनका जीवन बदल जाता रूप चाहे जो हो पर ईश्वर की शरण लेते ही आप के जीवन मे बदलाव जरूर होगा ये परम सत्य है......
*जीवन के निजी अनुभव शब्दाकिंत 😊*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
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रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा, नागौर (राजस्थान)
मोबाइल नंबर....8387869068
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