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पंचांग - 01-01-2025

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -01जनवरी 2025*
*⛅दिन - बुद्धवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया रात्रि 02:23:31 जनवरी 01 तक, तत्पश्चात तृतीया(चंद्र दर्शन शाम को है)*

*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 11:45:10 जनवरी 01 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - व्याघात शाम 05:05:18 तक, तत्पश्चात हर्शण*
*⛅राहु काल_हर  जगह का अलग है- दोपहर 12:39 से शाम 01:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:26:09*
*⛅सूर्यास्त - 05:51:20*

*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:31 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त - 12:12 ए एम, जनवरी 02 से 01:06 ए एम, जनवरी 02*
  💥 *चोघडिया, दिन*💥
रोग    07:26 - 08:44    अशुभ
उद्वेग    08:44 - 10:02    अशुभ
चर    10:02 - 11:20    शुभ
लाभ    11:20 - 12:38    शुभ
अमृत    12:38 - 13:56    शुभ
काल    13:56 - 15:14    अशुभ
शुभ    15:14 - 16:33    शुभ
रोग    16:33 - 17:51    अशुभ

 💥 *चोघडिया, रात*💥
काल    17:51 - 19:33    अशुभ
लाभ    19:33 - 21:15    शुभ
उद्वेग    21:15 - 22:56    अशुभ
शुभ    22:56 - 24:38*    शुभ
अमृत    24:38* - 26:20*    शुभ
चर    26:20* - 28:02*    शुभ
रोग    28:02* - 29:44*    अशुभ
काल    29:44* - 31:26*    अशुभ
kundli



*⛅विशेष - अंग्रेजी नव वर्ष 2025 का प्रथम दिन की शुभकामनाएं।
*⛅द्वितीया को बैंगन और कटहल नहीं खाना चाहिए. ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग चीज़ें नहीं खानी चाहिए. कुछ और तिथियों और उन चीज़ों का ज़िक्र नीचे दिया गया है जिन्हें उस दिन नहीं खाना चाहिए (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌷~ शनि जब वृषभ राशि में होता है, तो इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विभिन्न तरीकों से देखा जाता है। यह प्रभाव जन्मकुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति, भावों और दशाओं पर भी निर्भर करता है। सामान्य रूप से शनि का वृषभ राशि में प्रभाव निम्नलिखित होता है:

🔶️ 1. **धैर्य और स्थिरता**  
   वृषभ राशि पृथ्वी तत्व की और स्थिर स्वभाव वाली राशि है। जब शनि यहां होता है, तो यह व्यक्ति को धैर्यवान, स्थिर और योजनाबद्ध बनाता है। व्यक्ति अपने कार्यों में धीरे-धीरे लेकिन स्थायी सफलता प्राप्त करता है।

🔶️ 2. **आर्थिक स्थिरता**  
   वृषभ राशि धन और भौतिक सुख-सुविधाओं से जुड़ी होती है। शनि यहां व्यक्ति को आर्थिक रूप से स्थिर बनाने की क्षमता देता है, लेकिन यह सफलता कठोर मेहनत और समर्पण के बाद ही मिलती है।

🔶️ 3. **जिम्मेदारी और कर्तव्यनिष्ठा**  
   शनि वृषभ राशि में व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है। यह व्यक्ति अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेता है।

🔶️ 4. **स्वास्थ्य**  
   शनि का वृषभ राशि में गोचर व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है, लेकिन कभी-कभी यह गले या गले से संबंधित समस्याएं (जैसे थायराइड) उत्पन्न कर सकता है। नियमित ध्यान और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

🔶️ 5. **संबंध और व्यवहार**  
   वृषभ राशि प्रेम और संबंधों से जुड़ी है। शनि यहां व्यक्ति को रिश्तों में स्थिरता देता है, लेकिन यह व्यक्ति को थोड़ा कठोर या व्यवहार में ठंडा भी बना सकता है। परिवार और रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।

🔶️ 6. **करियर और व्यवसाय**  
   शनि का वृषभ राशि में गोचर व्यक्ति को कृषि, संपत्ति, रियल एस्टेट, वित्त, और कला से जुड़े क्षेत्रों में सफलता प्रदान कर सकता है। व्यक्ति दीर्घकालिक योजनाएं बनाकर करियर में स्थिरता और प्रगति कर सकता है।

🔰 वृषभ राशि में शनि का विभिन्न भावों में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार हो सकता है:  

🔵 1. लग्न भाव (प्रथम भाव)**
 
**सकारात्मक प्रभाव:**  

- जातक व्यावहारिक, मेहनती और स्थिर स्वभाव का होता है।
 - संघर्ष और धैर्य से जीवन में सफलता प्राप्त करता है।  
- आत्म-नियंत्रण और जिम्मेदारी निभाने की क्षमता अधिक होती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- स्वास्थ्य में कमजोरी या प्रारंभिक जीवन में कठिनाइयां हो सकती हैं।  
- स्वभाव में जिद और कठोरता आ सकती है।  
- आत्मविश्वास कम होने का डर रहता है।  

🔵 2. धन भाव (द्वितीय भाव)**
 
**सकारात्मक प्रभाव:**  

- धन का संचय धीरे-धीरे होता है, लेकिन स्थिरता रहती है।  
- जातक परिवार की जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाता है।  
- जीवन में स्थायित्व और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- पारिवारिक सुख में कमी हो सकती है।  
- वाणी कठोर और कटु हो सकती है।  
- धन संचय में समय और संघर्ष लगता है।  

🔵 3. पराक्रम भाव (तृतीय भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- साहस और आत्मनिर्भरता बढ़ती है।  
- मेहनत और परिश्रम के बल पर सफलता मिलती है।  
- परिश्रमी और स्थिर दृष्टिकोण वाला व्यक्ति बनता है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- भाई-बहनों से संबंध खराब हो सकते हैं।  
- अत्यधिक परिश्रम के बावजूद देरी से फल मिलता है।  
- कार्यक्षेत्र में संघर्ष अधिक हो सकता है।  

🔵 4. सुख भाव (चतुर्थ भाव)**
 
**सकारात्मक प्रभाव:**  

- जातक संपत्ति और स्थायी सुख का निर्माण करता है।  
- जमीन-जायदाद में धीरे-धीरे लाभ होता है।  
- स्थिरता और सुरक्षा की भावना बढ़ती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- माता के स्वास्थ्य या उनसे संबंधों में समस्याएं हो सकती हैं।  
- प्रारंभिक जीवन में सुख की कमी होती है।  
- मानसिक शांति में बाधा आ सकती है।  

🔵 5. संतान भाव (पंचम भाव)**  
**सकारात्मक प्रभाव:**  
- जातक गंभीर और जिम्मेदार होता है।  
- शिक्षा में मेहनत और गहराई होती है।  
- संतान के मामले में संयम और जिम्मेदारी निभाता है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  
- संतान पक्ष में विलंब या समस्याएं हो सकती हैं।  
- प्रेम संबंधों में स्थिरता की कमी हो सकती है।  
- शिक्षा में बाधाएं आ सकती हैं।  

🔵 6. शत्रु भाव (षष्ठ भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- शत्रुओं पर विजय मिलती है।  
- नौकरी या सेवा क्षेत्र में स्थिरता आती है।  
- रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  
- स्वास्थ्य समस्याएं बार-बार परेशान कर सकती हैं।  
- कर्ज या ऋण लेने की संभावना रहती है।  
- कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अधिक हो सकती है।  

🔵 7. विवाह भाव (सप्तम भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- जीवनसाथी गंभीर और जिम्मेदार होता है।  
- वैवाहिक जीवन में स्थिरता लाने की क्षमता होती है।  
- व्यापार में धैर्य और समझदारी से सफलता मिलती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- विवाह में देरी या समस्याएं हो सकती हैं।  
- जीवनसाथी के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है।  
- साझेदारी में मतभेद हो सकते हैं।  

🔵 8. अष्टम भाव (आयु भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- जातक दीर्घायु होता है।  
- गूढ़ विज्ञान और गुप्त ज्ञान में रुचि होती है।  
- अचानक लाभ मिलने की संभावना होती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- जीवन में बार-बार उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।  
- दुर्घटना या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का डर रहता है।  
- मानसिक तनाव अधिक हो सकता है।  

🔵 9. धर्म भाव (नवम भाव)**
 
**सकारात्मक प्रभाव:**  

- जातक धर्म और आध्यात्मिकता में रुचि रखता है।  
- धीरे-धीरे भाग्य का उदय होता है।  
- विदेश यात्रा और उच्च शिक्षा के योग बनते हैं।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- प्रारंभ में भाग्य का साथ कम मिलता है।  
- पिता से संबंध खराब हो सकते हैं।  
- धर्म के प्रति दृष्टिकोण रूढ़िवादी हो सकता है।  

🔵 10. कर्म भाव (दशम भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- करियर में स्थिरता और उन्नति होती है।  
- मेहनत और परिश्रम से उच्च पद प्राप्त होता है।  
- प्रशासनिक या सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- कार्यक्षेत्र में संघर्ष अधिक हो सकता है।  
- सफलता में देरी हो सकती है।  
- कठोर परिश्रम के बावजूद संतोष की कमी हो सकती है।  

🔵 11. लाभ भाव (एकादश भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- आर्थिक लाभ धीरे-धीरे बढ़ता है।  
- मित्रों से सहयोग मिलता है।  
- इच्छाओं की पूर्ति होती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- लाभ में देरी हो सकती है।  
- सामाजिक जीवन में सीमितता हो सकती है।  
- मित्रों से मतभेद की संभावना रहती है।  

🔵 12. व्यय भाव (द्वादश भाव)**  

**सकारात्मक प्रभाव:**  

- विदेश यात्रा के योग बनते हैं।  
- आध्यात्मिकता और ध्यान में रुचि बढ़ती है।  
- जीवन के रहस्यों को समझने की क्षमता बढ़ती है।  

**नकारात्मक प्रभाव:**  

- खर्च अधिक हो सकता है।  
- स्वास्थ्य और नींद संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।  
- आर्थिक असंतुलन की संभावना रहती है।  

✴️ ** ध्यानाकर्षण **  
   यदि शनि अशुभ स्थिति में है या कुंडली में कमजोर है, तो यह धन-संबंधी समस्याएं, धीमी प्रगति, और रिश्तों में कटुता ला सकता है। इसके लिए शनि के उपाय करना लाभदायक हो सकता है।  

✅️ **उपाय**  
1. शनि देव की पूजा और शनि मंत्र का जाप करें।  
2. गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।  
3. सरसों का तेल, काले तिल और लोहे का दान करें।  
4. शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें।  
5. शनि के लिए रत्न या उपरत्न, जैसे नीलम या अमेथिस्ट धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी की सलाह लें।

🔰शनि का प्रभाव हमेशा व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देता है, इसलिए सकारात्मक सोच और अच्छे कर्मों से इसका प्रभाव और भी शुभ हो सकता है।

🔰शनि की शुभ अशुभ स्थिति, दृष्टि, और दशा/अंतर्दशा का भी गहन प्रभाव पड़ता है। इसे समझने के लिए कुंडली का विश्लेषण आवश्यक है।

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*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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