*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
🌤️*दिनांक -17 दिसम्बर2024*
🌤️*दिन - मंगलवार*
🌤️*विक्रम संवत - 2081*
🌤️*शक संवत -1946*
🌤️*अयन - दक्षिणायन*
🌤️*ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️*मास - पौष*
🌤️*पक्ष - कृष्ण*
🌤️*तिथि - द्वितीया दोपहर 12:26:46 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु 24:43:08 रात्रि दिसम्बर 17 तक, तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - ब्रह्म 21:09:47 रात्रि तक, तत्पश्चात ऐन्द्र*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- प्रातः 03:07 से प्रातः 04:25 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:19:44*
*⛅सूर्यास्त - 05:42:57*
*⛅चन्द्र राशि- मिथुन till 18:46:37 पश्चात कर्क from 18:46:37*
*⛅सूर्य राशि- धनु*
*⛅दिशा शूल- उत्तर दिशा में
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से प्रातः 06:24 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 18 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 18 तक*
*⛅*चोघडिया, दिन*⛅*
रोग 07:20 - 08:38 अशुभ
उद्वेग 08:38 - 09:56 अशुभ
चर 09:56 - 11:13 शुभ
लाभ 11:13 - 12:31 शुभ
अमृत 12:31 - 13:49 शुभ
काल 13:49 - 15:07 अशुभ
शुभ 15:07 - 16:25 शुभ
रोग 16:25 - 17:43 अशुभ
*⛅*चोघडिया, रात *⛅*
काल 17:43 - 19:25 अशुभ
लाभ 19:25 - 21:07 शुभ
उद्वेग 21:07 - 22:49 अशुभ
शुभ 22:49 - 24:32 शुभ
अमृत 24:32 - 26:14 शुभ
चर 26:14 - 27:56 शुभ
रोग 27:56 - 29:38 अशुभ
काल 29:38 - 31:20 अशुभ
*⛅विशेष - कृष्ण पक्ष की द्वितीया को छोटे बैंगन और कटहल नहीं खाना चाहिए. ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग चीज़ें नहीं खानी चाहिए. यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌤️*आज के युग मेंकुछ महत्वपूर्ण जानकारी*
🌤️*ज्योतिष में योग (योगास) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे व्यक्ति के जीवन में शुभ या अशुभ प्रभाव डाल सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख और शुभ योगों की सूची दी गई है:
1.🪷राज योग:-
राज योग तब बनता है जब कुंडली में शुभ ग्रह केंद्र (1, 4, 7, 10 भाव) या त्रिकोण (1, 5, 9 भाव) में स्थित होते हैं। यह व्यक्ति को उच्च पद, सफलता और धन प्रदान करता है।
2.🪷गजकेसरी योग:-
चंद्रमा और बृहस्पति एक-दूसरे से केंद्र में हों तो यह योग बनता है। यह व्यक्ति को धन, प्रसिद्धि और ज्ञान देता है।
3.🪷 धन योग:-
लग्न या धन भाव (दूसरा और ग्यारहवां भाव) से जुड़ा यह योग व्यक्ति को अत्यधिक धन और आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है।
4.🪷 विपरीत राज योग:-
जब अशुभ ग्रह जैसे राहु, केतु, शनि, या मंगल त्रिक भाव (6, 8, 12) में स्थित हों, लेकिन शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों, तो यह व्यक्ति को कठिनाइयों के बावजूद सफलता और प्रसिद्धि दिलाता है।
5.🪷 पंच महापुरुष योग:-
यह योग तब बनता है जब पांच प्रमुख ग्रह (मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि) केंद्र भावों में अपने उच्च या स्वगृह में स्थित हों।
रुचक योग - मंगल के कारण।
भद्र योग - बुध के कारण।
हंसा योग - बृहस्पति के कारण।
मालव्य योग - शुक्र के कारण।
शश योग - शनि के कारण।
6.🪷लक्ष्मी योग:-
लग्न और नवम भाव के स्वामी उच्च या स्वगृह में हों और नवम भाव में शुभ ग्रह हों तो यह योग बनता है। यह व्यक्ति को धन, सुख, और ऐश्वर्य प्रदान करता है।
7.🪷सूर्य-चंद्र योग:-
सूर्य और चंद्रमा केंद्र या त्रिकोण में हों तो व्यक्ति को राजसुख, प्रसिद्धि और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
8.🪷 कालसर्प योग:-
हालांकि यह योग आमतौर पर अशुभ माना जाता है, लेकिन यदि राहु और केतु के बीच सभी ग्रह हों और शुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो यह कठिनाइयों के बाद सफलता और मान-सम्मान दिला सकता है।
9.🪷 सारस्वती योग:-
बुध, शुक्र, और बृहस्पति त्रिकोण या केंद्र में हों और शुभ दृष्टि डाल रहे हों तो व्यक्ति को उच्च शिक्षा, कला, और बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है।
10.🪷 चंद्र मंगल योग:-
चंद्रमा और मंगल का साथ व्यक्ति को धनवान, साहसी, और आत्मनिर्भर बनाता है।
11.🪷केंद्रीय त्रिकोण राजयोग:-
यदि केंद्र और त्रिकोण के स्वामी शुभ ग्रह हों और एक-दूसरे के भाव में स्थित हों, तो यह व्यक्ति को जीवन में राजसुख, सफलता, और धन देता है।
12. 🪷अमल किर्ती योग:-
केंद्र भाव में शुभ ग्रहों की उपस्थिति व्यक्ति को समाज में प्रसिद्धि और उच्च सम्मान प्रदान करती है।
🪷 अगर आप अपनी कुंडली के आधार पर जानना चाहते हैं कि कौन सा योग आपके लिए लागू होता है, तो किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से परामर्श लें।*
🔮*कल का मुख्य विषय*
🪷 *जातक को किस धातु का कड़ा पहनना चाहिए और उसका जीवन पर क्या होता है प्रभाव कैसे जानें*,...... ▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा, नागौर (राज,)*
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