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पंचांग - 31-12-2024

 

jyotish

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -31 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा प्रातः 03:21:20 जनवरी 01 तक, तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा रात्रि 12:02:38 जनवरी 01 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - ध्रुव शाम 06:58:08 तक, तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल_हर  जगह का अलग है- दोपहर 03:14 से शाम 04:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:25:52*
*⛅सूर्यास्त - 05:50:39*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:30 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 12:59 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:11 जनवरी 01 से रात्रि 01:06 जनवरी 01 तक*
  💥 *चोघडिया, दिन*💥
रोग    07:26 - 08:44    अशुभ
उद्वेग    08:44 - 10:02    अशुभ
चर    10:02 - 11:20    शुभ
लाभ    11:20 - 12:38    शुभ
अमृत    12:38 - 13:56    शुभ
काल    13:56 - 15:14    अशुभ
शुभ    15:14 - 16:33    शुभ
रोग    16:33 - 17:51    अशुभ
kundli

💥 *चोघडिया, रात*💥
काल    17:51 - 19:33    अशुभ
लाभ    19:33 - 21:15    शुभ
उद्वेग    21:15 - 22:56    अशुभ
शुभ    22:56 - 24:38*    शुभ
अमृत    24:38* - 26:20*    शुभ
चर    26:20* - 28:02*    शुभ
रोग    28:02* - 29:44*    अशुभ
काल    29:44* - 31:26*    अशुभ

*⛅विशेष - प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌷~ कुंडली में छह विशेष योग~🌷
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ज्योतिष शास्त्र में पंचांग से तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर मुहूर्तों का निर्धारण किया जाता है। जिन मुहूर्तों में शुभ कार्य किए जाते हैं उन्हें शुभ मुहूर्त कहते हैं। इनमें सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, रवि पुष्य योग, पुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग, राज योग, द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर यह कुछ शुभ योगों के नाम हैं।

  *🌷 ~रवि पुष्य योग~ 🌷*
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इस योग का निर्माण तब होता है जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है। यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है जिसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस योग को मुहूर्त में गुरु पुष्य योग के समान ही महत्व दिया गया है।

*🌷 ~गुरु पुष्य योग~ *🌷*
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 गुरुवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग से निर्मित होने के कारण इस योग को गुरु पुष्य योग के नाम से सम्बोधित किया गया है। यह योग गृह प्रवेश, ग्रह शांति, शिक्षा सम्बन्धी मामलों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। यह योग अन्य शुभ कार्यों के लिए भी शुभ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है।
 

*🌷~ पुष्कर योग ~🌷*
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 इस योग का निर्माण उस स्थिति में होता है जबकि सूर्य विशाखा नक्षत्र में होता है और चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र में होता है। सूर्य और चन्द्र की यह अवस्था एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ होने से इसे शुभ योगों में विशेष महत्व दिया गया है। यह योग सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम मुहूर्त होता है।

*🌷~ अमृत सिद्धि योग ~🌷*
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 अमृत सिद्धि योग अपने नामानुसार बहुत ही शुभ योग है। इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह योग वार और नक्षत्र के तालमेल से बनता है। इस योग के बीच अगर तिथियों का अशुभ मेल हो जाता है तो अमृत योग नष्ट होकर विष योग में परिवर्तित हो जाता है। सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग से शुभ मुहूर्त बनता है लेकिन इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो विष योग बनता है।
 

*🌷~ सिद्धि योग ~🌷*
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वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। उदाहरण स्वरूप सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है।

*🌷~ *सर्वार्थ सिद्धि योग ~*🌷
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यह अत्यंत शुभ योग है। यह वार और नक्षत्र के मेल से बनने वाला योग है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर यह योग बनता है तो तिथि कोई भी यह योग नष्ट नहीं होता है अन्यथा कुछ विशेष तिथियों में यह योग निर्मित होने पर यह योग नष्ट भी हो जाता है। सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, अथवा श्रवण नक्षत्र होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है जबकि द्वितीया और एकादशी तिथि होने पर यह शुभ योग अशुभ मुहूर्त में बदल जाता है।
☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
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