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नागौर जिले में चाइनीज मांझा पर पाबन्दी

 *नागौर जिले में चाइनीज मांझा पर पाबन्दी*

*प्रातः 6 से 8 तथा शाम 6 से 7 बजे तक पतंग उड़ाना भी प्रतिबंधित*

*जिला मजिस्ट्रेट ने जारी किए निषेधात्मक आदेश*


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नागौर, 17 दिसम्बर/ जिला मजिस्ट्रेट(जिला कलक्टर) अरुण कुमार पुरोहित ने एक आदेश जारी कर नागौर जिले में चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध के साथ ही सवेरे दो घण्टे एवं शाम को एक घण्टे तक की अवधि में पतंग उड़ाने पर पाबन्दी लगा दी है। तत्काल प्रभाव से लागू यह आदेश आगामी 31 जनवरी तक प्रभावी रहेगा।
जिला मजिस्ट्रेट श्री पुरोहित द्वारा 183 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में निहित प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी आदेश में लोक स्वास्थ्य व विद्युत संचालन बाधा रहित बनाये रखने पूर्व में पक्षियों के लिये बड़े पैमाने पर खतरा बन चुके “धातु निर्मित मांझा (सामान्य प्रचलित भाषा में “चाईनिज मांझा) की थोक व खुदरा बिक्री भंडारण, परिवहन तथा उपयोग को जिले में प्रतिबंधित कर दिया है।
आदेश में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति यदि इस प्रकार के चाइनीज मांझों का भण्डारण, विक्रय, परिवहन अथवा उपभोग करेगा तो उसके विरुद्ध कानून के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
आदेश के अनुसार पक्षियों को नुकसान से बचाने के लिए प्रातः 6 से 8 बजे तथा सायंकाल 6 से 7 बजे तक पतंग उड़ाने पर प्रतिबंध रहेगा।
आदेश की अवमानना भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत दण्डनीय अपराध होगा तथा अवहेलना करने वाले व्यक्तियों के विरुद्र नियमानुसार अभियोग चलाया जायेगा।

*इसलिए जरूरी है ये पाबंदियां*
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि जिला नागौर में मकर संक्रान्ति पर्व पर पतंगबाजी हेतु धातुओं के निश्रण से निर्मित मांझा (सामान्य प्रचलित भाषा में चाईनिज मांझा) प्रयुक्त किया जाने लगा है। यह मांझा विभिन्न धातुओं के मिश्रण के प्रयोग से तैयार किया जाता है. जो पंतग के पेच लड़ाने में अधिक कारगर होता है। इस कारण से इसका प्रयोग अधिक किया जाने लगा है।
यह मांझा विभिन्न धातुओं के मिश्रण से निर्मित होने से धारदार तथा विद्युत का सुचालक होता है। इसके उपयोग के दौरान दोपहिया बाहन चालकों तथा पक्षियों को अत्यधिक जान-माल का नुकसान होना संभाव्य है। इसके साथ ही विद्युत का सुचालक होने के कारण विद्युत तारों के सम्पर्क में आने पर विद्युत प्रवाह होने से पतंग उड़ाने वालों को भी नुकसान पहुँचना तथा विद्युत सप्लाई में बाधा उत्पन्न होना संभाव्य है।
इस समस्या व खतरे के निवारण हेतु “धातु निर्मित मांझा (सामान्य प्रचलित भाषा में चाईनिज माझा) के उपयोग एवं विक्रय को निषेध किया जाना आवश्यक हो गया है, ताकि स्वास्थ्य सुरक्षा, मानव, पशु-पक्षियों की जान के खतरे तथा विद्युत प्रसारण को बाधा रहित बनाए रखा जा सके।
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