पिरामल कैपिटल एण्ड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड पर उपभोक्ता मंच ने लगाया जुर्माना
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नागौर के समक्ष परिवादी सुब्रमनी पंचामाल निवासी नागौर ने एडवोकेट राजेश जैन के जरिए परिवाद प्रस्तुत किया कि परिवादी ने डीएचएफएल फाइनेंस कपनी से हाउसिंग लोन लिया अब ये कंपनी पिरामल कैपिटल एण्ड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड नाम से जानी जाती है। अप्रार्थी ने परिवादी को 2,37,369/- का ऋण स्वीकृत किया तथा लैटर ऑफ ऑफर कम एक्सेपटेंस जारी किया जिसके अनुसार उक्त ऋण का टेन्योर 15 वर्ष था तथा 3,476/-की 180 मासिक किश्तो के अनुसार 15 वर्ष में 6,25,680 कुल चुकाने थें। परन्तु अप्रार्थी फाइनेंस कंपनी ने मनमाने एवं अवैधानिक ढंग से लोन की अवधि बढाते हुए उक्त ऋण के एवज में कुल रूपये 13,96,406/- का भुगतान करने का दायित्व परिवादी पर निर्धारित किया गया। आयोग में इसका जवाब देते हुए अप्रार्थी द्वारा बताया गया कि परिवादी ने समस्त शर्तों से संतुष्ट होकर बंधक अनुबंध करने की सहमति प्रदान की तथा किश्तों की राशि व संख्या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर परिवर्तित होने वाली ब्याज दर पर बढती या घटती तय पाई गई थी एवं उसी के अनुसार अप्रार्थी कंपनी द्वारा किश्तो की राशि 3.751 व किश्तो की सख्या 334 करते हुए कमी एवं बढ़ोतरी की गई।
माननीय आयोग ने उभय पक्षों के अधिवक्ताओ की बहस अंतिम सुनते हुए माना कि अप्रार्थी ने आरबीआई की गाईडलाईन का दुरूपयोग करते हुए परिवादी के ऋण की मासिक किश्तों की राशि कम करने के स्थान पर अधिक राशि कर दी तथा किश्तों की संख्या 180 के स्थान पर 334 कर दी जो अप्रार्थी कंपनी की सेवा में दोष की श्रेणी में आता है।
माननीय आयोग के अध्यक्ष दीनदयाल प्रजापत व सदस्यगण बलवीर खुडखुडिया एवं श्रीमति चन्द्रकला व्यास ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अप्रार्थी कंपनी को ऋण की वसूली प्रतिमाह प्रति किश्त रूपये 3,476/- के हिसाब से कुल 180 किश्तें प्राप्त करने का अधिकारी माना तथा अप्रार्थीगण शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक क्षति पेटे रूपये 20.000/- तथा परिवाद व्यय के रूपये 7,000/- परिवादी को एक माह के भीतर अदा करे।