💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 11 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 06:46:03 तक तत्पश्चात एकादशी*
🌤️ *नक्षत्र - शतभिषा सुबह 09:39:22 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
🌤️ *योग - व्याघात रात्रि 10:35:12 तक तत्पश्चात हर्षण*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 08:15 से सुबह 09:36 तक*
🌤️ *सूर्योदय 06:53:41*
🌤️ *सूर्यास्त - 5:44:14*
💥 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - भीष्मपंचक व्रत प्रारंभ,पंचक*
💥*चोघडिया, दिन*💥
अमृत 06:54 - 08:15 शुभ
काल 08:15 - 09:36 अशुभ
शुभ 09:36 - 10:58 शुभ
रोग 10:58 - 12:19 अशुभ
उद्वेग 12:19 - 13:40 अशुभ
चर 13:40 - 15:02 शुभ
लाभ 15:02 - 16:23 शुभ
अमृत 16:23 - 17:44 शुभ
💥*चोघडिया, रात*💥
चर 17:44 - 19:23 शुभ
रोग 19:23 - 21:02 अशुभ
काल 21:02 - 22:41 अशुभ
लाभ 22:41 - 24:19 शुभ
उद्वेग 24:19 - 25:58 अशुभ
शुभ 25:58 - 27:37 शुभ
अमृत 27:37 - 29:16 शुभ
चर 29:16 - 30:54 शुभ
💥 *विशेष - 💥
💥*देवउठी एकादशी के दिन* 💥
*⛅देवउठनी एकादशी का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। एकादशी प्रत्येक मास को कृष्ण और शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी दुखों का अंत होता है
*⛅एकादशी वर्ष के प्रमुख व्रतों में से एक है।
एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है।
देवउठनी एकादशी का दिन अत्यंत उत्तम होता है। इसे देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जो हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह एकादशी "चातुर्मास" के अंत का प्रतीक है, जब भगवान विष्णु अपने योग निद्रा काल से जागते हैं। विष्णु-प्रबोधिनी और देव प्रबोधिनी एकादशी, कार्तिक शुक्ल एकादशी और कार्तिकी एकादशी इसके अन्य नाम हैं। इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा।
वहीं, इस दिन कुछ चीजों को लेकर मनाही होती है और कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिनका पालन जरूरी होता है, तो आइए उनके बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
*⛅देवउठनी एकादशी पर रखें इन विशेष बातों का ध्यान
देवउठनी एकादशी पर शराब, मांस, मछली, प्याज, लहसुन ( किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन) और अनाज का सेवन करने से बचना चाहिए।
इस दिन फलहारी चीजें जैसे - फल, दूध, मेवा, मिष्ठान आदि का सेवन कर सकते हैं।
इस दिन चावल के सेवन से भी बचना चाहिए।
*⛅देवउठनी एकादशी पर तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
एकादशी व्रत से एक दिन पहले ही तुलसीपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए।
आशीर्वाद और सौभाग्य के लिए इस दिन 'श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।' या किसी अन्य भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना चाहिए।
*⛅इस दिन भगवान कृष्ण और नारायण को तुलसी पत्र के साथ ही भोग लगाएं।
इस शुभ व्रत पर श्री हरि की कृपा के लिए कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं।
*⛅एकादशी व्रत से एक दिन पहले सिर धो लें और एकादशी के दिन अपने बाल धोने से बचें।
इस शुभ तिथि पर भक्तों के लिए दिन में सोना मना है, खासकर जब वे उपवास कर रहे हों।
इस दिन झूठ बोलने और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने से भी बचना चाहिए।
इस मौके पर गरीबों की मदद करनी चाहिए।
*⛅देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को जगाने के मंत्र
1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
*⛅ ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
3. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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