*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
🌤️*दिनांक -27 नवम्बर 2024*
🌤️ *दिन - बुधवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - मार्गशीर्ष (गुजरात-महाराष्ट्र कार्तिक)*
🌤️*पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - द्वादशी शाम 06:23:13 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
🌤️* नक्षत्र चित्रा 31:35:01तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 12:23 से शाम 01:44 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:05:56*
*⛅सूर्यास्त - 05:39:34*
*⛅चन्द्र राशि~ कन्या till 18:06:16*
*⛅चन्द्र राशि~ तुला from 18:06:16*
*⛅सूर्य राशि ~ वृश्चिक*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:11 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:56 नवम्बर 28 से रात्रि 12:50 नवम्बर 28 तक*
🚩*व्रत पर्व विवरण - उत्पत्ति एकादशी,(बिहार,झारखंड,छत्तीसगढ,प•बंगाल,ओडिशा,आंध्र प्रदेश,तमिलनाडू,केरल,व पूर्वोत्तर राज्यो मे)*
*⛅विशेष - द्वादशी तिथि को पोई यानी पुतिका का साग नहीं खाना चाहिए. पोई एक सदाबहार लता है, जिसे सब्ज़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌤️*चोघडिया, दिन*🌤️
लाभ 07:06 - 08:25 शुभ
अमृत 08:25 - 09:44 शुभ
काल 09:44 - 11:04 अशुभ
शुभ 11:04 - 12:23 शुभ
रोग 12:23 - 13:42 अशुभ
उद्वेग 13:42 - 15:01 अशुभ
चर 15:01 - 16:20 शुभ
लाभ 16:20 - 17:40 शुभ
🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
उद्वेग 17:40 - 19:20 अशुभ
शुभ 19:20 - 21:01 शुभ
अमृत 21:01 - 22:42 शुभ
चर 22:42 - 24:23 शुभ
रोग 24:23 - 26:04 अशुभ
काल 26:04 - 27:45 अशुभ
लाभ 27:45 - 29:26 शुभ
उद्वेग 29:26 - 31:07 अशुभ
🌤️* कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को दिशाशुल में यात्रा करके आरंभ करे तो उससे कार्य सिध्दि नहीं होती है और साथ ही किसी अशुभ धटना का भय बना रहता है. इसीलिए जाने की वार अनुसार किस दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, दिशाओं के सामने दिए गए वारों में में दिशाशूल होता है। अतः उस दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
🌤️EAST (पूर्व दिशा में) - सोमवार और शनिवार
🌤️SOUTH (दक्षिण दिशा में) - गुरुवार
🌤️WEST (पश्चिम दिशा में) - शुक्रवार और रविवार
🌤️NORTH (उत्तर दिशा में) - मंगलवार और बुधवार
🌤️गुरुवार, शुक्रवार और रविवार के दोष रात में प्रभावी नहीं होते हैं। मंगलवार, सोमवार और शनिवार के दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं।
🌤️दिशाशूल दोष निवारण -
🌤️Sunday रविवार को पान खा कर,
🌤️Monday सोमवार को शीशे में मुख देखकर,
🌤️Tuesday मंगलवार को गुड़,
🌤️Wednesday बुधवार को धनियाँ,
🌤️Thursday गुरुवार को जीरा,
🌤️Friday शुक्रवार को दही और
🌤️Saturday शनिवार को अदरक खाकर जाने से यात्रा का Dishashul दूर होता है.
होनी प्रबल है उसे कोई टाल नहीं सकता ध्यान देना पर ईश्वर भी सर्व समर्थ है अगर भक्ति भाव से हम उसका ध्यान करें तो वो उसको टाल सकते है हमारा विश्वास और हमारा धर्म दोनों ही हमारे सहायक होते हैं
🌤️अभिमन्यु के पुत्र ,राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के लड़के जनमेजय राजा बने। एक दिन जनमेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे बात बातों में जन्मेजय ने कुछ नाराजगी से वेदव्यास जी से कहा.. कि
जहां आप समर्थ थे ,भगवान श्रीकृष्ण थे, भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य कुलगुरू कृपाचार्य जी धर्मराज युधिष्ठिर, जैसे महान लोग उपस्थित थे.....फिर भी आप महाभारत के युद्ध को होने से नहीं रोक पाए और देखते-देखते अपार जन धन की हानि हो गई। यदि मैं उस समय रहा होता तो, अपने पुरुषार्थ से इस विनाश को होने से बचा लेता।
🌤️अहंकार से भरे जन्मेजय के शब्द सुन कर भी, व्यास जी शांत रहे। उन्होंने कहा, पुत्र अपने पूर्वजों की क्षमता पर शंका न करो। यह विधि द्वारा निश्चित था,जो बदला नहीं जा सकता था, यदि ऐसा हो सकता तो श्रीकृष्ण में ही इतनी सामर्थ्य थी कि वे युद्ध को रोक सकते थे। जन्मेजय अपनी बात पर अड़ा रहा और बोला मैं इस सिद्धांत को नहीं मानता। आप तो भविष्यवक्ता है, मेरे जीवन की होने वाली किसी होनी को बताइए...मैं उसे रोककर प्रमाणित कर दूंगा कि विधि का विधान निश्चित नहीं होता।
व्यास जी ने कहा पुत्र यदि तू यही चाहता है तो सुन..... ।
🌤️कुछ वर्ष बाद तू काले घोड़े पर बैठकर शिकार करने जाएगा दक्षिण दिशा में समुद्र तट पर पहुंचेगा...
वहां तुम्हें एक सुंदर स्त्री मिलेगी.. जिसे तू महलों में लाएगा , और उससे विवाह करेगा। मैं तुम को मना कर रहा है कि ये सब मत करना लेकिन फिर भी तुम यह सब करोगे। इस के बाद उस लड़की के कहने पर तू एक यज्ञ करेगा..।
मैं तुम को आज ही चेता रहा हूं कि उस यज्ञ को तुम वृद्ध ब्राह्मणो से कराना.....लेकिन,वह यज्ञ तुम युवा ब्राह्मणो से कराओगे.... और
जनमेजय ने हंसते हुए व्यासजी की बात काटते हुए कहा कि, मै आज के बाद काले घोड़े पर ही नही बैठूंगा..तो ये सब घटनाऐ घटित ही नही होगी।
🌤️व्यासजी ने कह ये सब होगा..और अभी आगे की सुन......।
उस यज्ञ मे एक ऐसी घटना घटित होगी....कि तुम ,उस रानी के कहने पर उन युवा ब्राह्मणों को प्राण दंड दोगे, जिससे तुझे ब्रह्म हत्या का पाप लगेगा...और..तुझे कुष्ठ रोग होगा.. और वही तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इस घटनाक्रम को रोक सको तो रोक लो।
वेदव्यास जी की बात सुनकर जन्मेजय ने एहतियात वश शिकार पर जाना ही छोड़ दिया। परंतु जब होनी का समय आया तो उसे शिकार पर जाने की बलवती इच्छा हुई। उस ने सोचा कि काला घोड़ा नहीं लूंगा.. पर उस दिन उसे अस्तबल में काला घोड़ा ही मिला। तब उस ने सोचा कि..मैं दक्षिण दिशा में नहीं जाऊंगा परंतु घोड़ा अनियंत्रित होकर दक्षिण दिशा की ओर गया और समुद्र तट पर पहुंचा वहां पर उसने एक सुंदर स्त्री को देखा, और उस पर मोहित हुआ। जन्मेजय ने सोचा कि इसे लेकर महल मे तो जाउंगा....लेकिन शादी नहीं करूंगा।
परंतु, उसे महलों में लाने के बाद, उसके प्यार में पड़कर उस से विवाह भी कर लिया। फिर रानी के कहने से जन्मेजय द्वारा यज्ञ भी किया गया। उस यज्ञ में युवा ब्राह्मण ही, रक्खे गए।
किसी बात पर युवा ब्राह्मण...रानी पर हंसने लगे। रानी क्रोधित हो गई ,और रानी के कहने पर राजा जन्मेजय ने उन्हें प्राण दंड की सजा दे दी.., फलस्वरुप उसे कोढ हो गया।
🌤️अब जन्मेजय घबराया..और तुरंत व्यास जी के पास पहुंचा...और उनसे जीवन बचाने के लिए प्रार्थना करने लगा।
वेदव्यास जी ने कहा कि एक अंतिम अवसर तेरे प्राण बचाने का और देता हूं......., मैं तुझे महाभारत का श्रवण कराऊंगा जिसे तुझे श्रद्धा एवं विश्वास के साथ सुनना है..., इससे तेरा कोढ् मिटता जाएगा।
परंतु यदि किसी भी प्रसंग पर तूने अविश्वास किया.., तो मैं महाभारत का वाचन रोक दूंगा..,और फिर मैं भी तेरा जीवन नहीं बचा पाऊंगा..., याद रखना अब तेरे पास यह अंतिम अवसर है।
अब तक जन्मेजय को व्यासजी की बातों पर पूरा विश्वास हो चुका था, इसलिए वह पूरी श्रद्धा और विश्वास से कथा श्रवण करने लगा।
लेकिन व्यासजी ने जब भीम के बल के वे प्रसंग सुनाऐ ....,जिसमें भीम ने हाथियों को सूंडों से पकड़कर उन्हें अंतरिक्ष में उछाला...,वे हाथी आज भी अंतरिक्ष में घूम रहे हैं....,तब जन्मेजय अपने आप को रोक नहीं पाया,और बोल उठा कि ये कैसे संभव हो सकता है ?
ये तो गप्पे लगती है ।
🌤️व्यास जी ने महाभारत का वाचन रोक दिया....और कहा..कि, पुत्र मैंने तुझे कितना समझाया...कि अविश्वास मत करना...परंतु तुम अपने स्वभाव को नियंत्रित नहीं कर पाए।
क्योंकि यह होनी द्वारा निश्चित था।
फिर व्यास जी ने मंत्र शक्ति से आवाहन किया..और वे हाथी पृथ्वी की आकर्षण शक्ति में आकर नीचे गिरने लगे.....तब व्यास जी ने कहा, यह मेरी बात का प्रमाण है।
*🌷जितनी मात्रा में जन्मेजय ने श्रद्धा विश्वास से कथा श्रवण की,
उतनी मात्रा में वह उस कुष्ठ रोग से मुक्त हुआ परंतु एक बिंदु रह गया और वही उसकी मृत्यु का कारण बना।
*🌷हमारे जीवन का नाटक परमात्मा के द्वारा लिखा गया है इसलिए होता वही है जो श्री प्रभु चाहते है।*
कर्म हमारे हाथ मे है...लेकिन उस का फल विधि के हाथों में ही है।
गीता के 11 वें अध्याय के 33 वे श्लोक मैं श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं उठ खड़ा हो और अपने कार्य द्वारा यश प्राप्त कर। यह सब तो मेरे द्वारा पहले ही मारे जा चुके हैं तू तो निमित्त बना है।
ईश्वर पर विश्वास रखें!
*🌷होनी को टाला नहीं जा सकता लेकिन नेक कर्म व ईश्वर नाम जाप से मानव जीवन में सुधार अवश्य सम्भव है।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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