*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
🌤️*दिनांक - 23नवम्बर 2024*
🌤️ *दिन - शनिवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - मार्गशीर्ष (गुजरात-महाराष्ट्र कार्तिक)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - अष्टमी शाम 07:56:28 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र - मघा शाम 07:26:17 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
🌤️ *योग - इन्द्र सुबह 11:40:34 तक तत्पश्चात वैधृति*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 09:40 से सुबह 11:02 तक*
🌤️ *सूर्योदय 07:02:51*
🌤️ *सूर्यास्त - 5:40:06*
🌤️ *चन्द्र राशि~ सिंह*
🌤️ * सूर्य राशि ~ वृश्चिक*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण -
💥 *विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')*
💥 *शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')*
💥 *हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*
*⛅व्रत पर्व विवरण - काल भैरव जयंती, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅ऐंद्र योग में भैरव अष्टमी आने से अच्छा संयोग, इस पूजन से होगी उच्चपद की प्राप्ति होती है।
*⛅अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान काल भैरव का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है। इस बार भैरव अष्टमी पर ऐंद्र योग आया है, मान्यता है कि इस योग में भगवान भैरव का पूजन उच्च पद दिलवाता है। काशी व उज्जैन में अष्ट भैरव मंदिरों में इस दिन विशेष पूजन होता है।
*⛅काशी व उज्जैन में भगवान काल भैरव और आताल पाताल भैरव। उज्जैन में विराजित अष्ट महाभैरव का पूजन महाफलदायी रहेगा।
*⛅शनिवार का दिन भी भैरव साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। सामान्य भक्त चार प्रहर में भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
*⛅ अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर 23 नवंबर 2024 को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस बार भैरव अष्टमी ऐंद्र योग के महासंयोग में आ रही है। इस योग में भगवान भैरव का पूजन उच्चपद प्रदान करने वाला माना गया है।
*⛅इस दृष्टि से इस योग में उज्जैन में विराजित अष्ट महाभैरव का पूजन महाफलदायी रहेगा। पौराणिक मान्यता तथा एवं भैरव तंत्र के ग्रंथों में मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि में भगवान महाभैरव के प्राकट्य की मान्यता है।
*⛅शनिवार का दिन भी भैरव की साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐंद्र योग में विशिष्ट साधना उच्च पद दिलवाती है* इस दृष्टि से अष्ट भैरव का पूजन करना चाहिए। चारों प्रहर की पूजा विशिष्ट फल प्रदान करेगी
साधना तंत्र व भैरव तंत्र में जो मूल उपासक या साधक होते हैं, वह भैरव की अलग-अलग प्रकार से साधना उपासना करते हैं। इसमें वैदिक व तामसी दोनों ही प्रकार की पूजन का उल्लेख है। भैरव मूल रूप से तमोगुण के अधिष्ठात्र हैं* अर्थात तमोगुण का आधिपत्य भैरव के पास है।*
*⛅ यह शिव के अंश है इस दृष्टि से भैरव की रात्रि काल में की गई साधना विशेष फल प्रदान करती है लेकिन सामान्य भक्त चार प्रहर में भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं। महाभैरव भक्त की सरल हृदय से की गई प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, मनोकामना पूर्ण करते हैं।*
*⛅स्कंद पुराण के अवंती खंड में अष्ट महाभैरव की यात्रा का उल्लेख प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता में भैरव के अलग-अलग प्रकार के नाम का प्राचीन उल्लेख बताया जाता है।*
*⛅पौराणिक मान्यता में भैरव से संबंधित कथाओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन वर्तमान में अष्ट महाभैरव में कालभैरव, विक्रांत भैरव, आनंद भैरव, बटुक भैरव, दंडपाणि भैरव, आताल पाताल भैरव आदि का उल्लेख है।*
*⛅बालरूप में विराजित हैं आताल पातल भैरव पौराणिक मान्यता के अनुसार अष्ट महाभैरव में बाल स्वरूप में जिन भैरव की कथा मिलती है, वह सिंहपुरी स्थित आताल पाताल भैरव के रूप में स्थापित हैं। यहां पर अलग-अलग मान्यताओं के चलते नवनाथों का भी आगमन संबंधित कथाओं में प्राप्त होता है।*
*⛅आगम ग्रंथ में इसका उल्लेख कहीं-कहीं प्राप्त होता है। आताल पाताल भैरव इसलिए भी विशेष है क्योंकि यहां पर विश्व की सबसे बड़ी गाय के गोबर से बने कंडों की होली बनाई जाती है।*
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