💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक -15 नवम्बर 2024*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - कार्तिक*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि - पूर्णिमा 16 नवम्बर रात्रि 02:57:31 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र - भरणी रात्रि 09:54:13 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
🌤️ *योग - व्यतीपात सुबह 07:29:02 तक तत्पश्चात वरीयान*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 11:01 से दोपहर 12:22 तक*
🌤️ *सूर्योदय 06:57:58*
🌤️ *सूर्यास्त - 5:46:49*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा,कार्तिकी पूर्णिमा,देव दिवाली,कार्तिक व्रत-स्नान समाप्त,भीष्मपंचक व्रत समाप्त,तुलसी विवाह समाप्त*
💥 *विशेष - पूर्णिमा व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥*चोघडिया, दिन*💥
चर 06:58 - 08:19 शुभ
लाभ 08:19 - 09:40 शुभ
अमृत 09:40 - 11:01 शुभ
काल 11:01 - 12:22 अशुभ
शुभ 12:22 - 13:44 शुभ
रोग 13:44 - 15:05 अशुभ
उद्वेग 15:05 - 16:26 अशुभ
चर 16:26 - 17:47 शुभ
💥*चोघडिया, रात*💥
रोग 17:47 - 19:26 अशुभ
काल 19:26 - 21:05 अशुभ
लाभ 21:05 - 22:44 शुभ
उद्वेग 22:44 - 24:23 अशुभ
शुभ 24:23 - 26:02 शुभ
अमृत 26:02 - 27:41 शुभ
चर 27:41 - 29:20 शुभ
रोग 29:20 - 30:59 अशुभ
🌷*विष्णुपदी - वृश्चिक संक्रांति* 🌷
➡ *जप तिथि : 16 नवम्बर 2024 शनिवार को (विष्णुपदी संक्रांति)*
*पुण्यकाल सूर्योदय से सुबह 07:41 तक |*
🙏🏻*विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है | – (पद्म पुराण , सृष्टि खंड)*
🙏🏻 *365 बत्तियों का दीप कैसे जलाएं?
सबसे पहले एक कलावा लें। वो ही कलावा लें, जिसमें 5 धागे हों। कलावे को अपने हाथ पर 73 बार लपेटे और बचे हुए धागे को काट दें। लपेटे हुए कलावे को बीच में से काट दें और धागों को बत्ती की तरह सीधे कर लें। बत्ती बनाने के बाद एक कटा हुआ नारियल लें। नारियल में देसी घी और खीर के 3 से 5 दाने डालें। नारियल में कलावे से बनाई गई बत्ती को रखें और फिर उसे जलाएं। ये दीपक घर के मंदिर में रख दें।
🙏🏻 *धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन 365 बत्तियों का दीपक जलाने से घर का वास्तु सही होता है। साथ ही जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, खुशी, धन, वैभव और यश का वास होता है।
🙏🏻 *कार्तिक पूर्णिमा पर बने शुभ कई योग कार्तिक पूर्णिमा का महत्व यू समझे कि इस बार ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान दान और पुण्य कार्य करने से कई गुना अधिक लाभ मिलने वाला है। कार्तिक पूर्णिमा पर कुछ ऐसा खास संयोग फिर काफी साल बाद ही आएगा,
🙏🏻 *कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। वैसे तो हर महीने आने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है लेकिन, कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन स्नान दान करने से जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में इस दिन दान पुण्य करने का भी विशेष लाभ होता है।
🙏🏻 *कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 18:35 मिनट पर होगा
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का समापन 15 नवंबर मध्यरात्रि 2 बजकर 57:31 मिनट पर
ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 15 तारीख शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
🙏🏻 *कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार चंद्रमा और मंगल का राशि परिवर्तन योग दोनों एक दूसरे की राशि में रहेंगे। कार्तिक पूर्णिमा पर देर रात गजकेसरी राजयोग बनेगा। साथ ही इस दिन बुधादित्य राजयोग भी बनेगा। इसके बाद अब कार्तिक पूर्णिमा पर 30 साल बाद शश राजयोग बनेगा। क्योंकि, अब अगले 30 साल बाद ही शनि कुंभ राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा पर जो भी उपाय और दान पुण्य के कार्य करेंगे तो आपको उसका 100 गुना अधिक फल मिलेगा।
🙏🏻 *कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा को लेकर पौराणिक कथा भी है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस पूर्णिमा को त्रिपुरासुर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए वजह से ही इस जिन देव दिवाली भी मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा पर जल में दीप प्रवाहित करने की बड़ी मान्यता है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*