💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक -14 नवम्बर 2024*
🌤️ *दिन - गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - कार्तिक*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि - त्रयोदशी सुबह 09:42:53 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
🌤️ *नक्षत्र - अश्वनी रात्रि 12:32:02 तक तत्पश्चात भरणी*
🌤️ *योग - सिद्धि सुबह 11:28:56 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
🌤️ *चन्द्र राशि- मेष*
🌤️ *सूर्य राशि- तुला*
🌤️ *राहुकाल - दोपहर 01:47 से शाम 03:10 तक*
🌤️ *सूर्योदय 06:57:14*
🌤️ *सूर्यास्त - 5:47:12*
👉 *दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - वैकुण्ठ चतुर्दशी,व्यतीपात योग (दोपहर 11:29 से 15 नवम्बर सुबह 07:29:02 तक),पंचक (समाप्त:प्रातः 03:11),चतुर्दशी क्षय तिथि*
💥*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥*चोघडिया, दिन*💥
शुभ 06:57 - 08:18 शुभ
रोग 08:18 - 09:40 अशुभ
उद्वेग 09:40 - 11:01 अशुभ
चर 11:01 - 12:22 शुभ
लाभ 12:22 - 13:43 शुभ
अमृत 13:43 - 15:05 शुभ
काल 15:05 - 16:26 अशुभ
शुभ 16:26 - 17:47 शुभ
💥*चोघडिया, रात*💥
अमृत 17:47 - 19:26 शुभ
चर 19:26 - 21:05 शुभ
रोग 21:05 - 22:44 अशुभ
काल 22:44 - 24:23 अशुभ
लाभ 24:23 - 26:01 शुभ
उद्वेग 26:01 - 27:40 अशुभ
शुभ 27:40 - 29:19 शुभ
अमृत 29:19 - 30:58 शुभ
🌷 *मार्गशीर्ष मास विशेष* 🌷
👉🏻 *16 नवंबर 2024 शनिवार से मार्गशीर्ष का आरम्भ हो रहा है।*
💥 *विशेष ~ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी कार्तिक मास)*
➡ *१) मार्गशीर्ष मास में इन तीन के पाठ की बहुत ज्यादा महिमा है ..... विष्णुसहस्त्र नाम ....भगवत गीता.... और गजेन्द्रमोक्ष की खूब महिमा है...खूब पढ़ो .... दिन में २ बार -३ बार*
💥 *बड़ी पुरानी कहानी है। महाराष्ट्र में संत हुए रामदास। उन्होंने राम की कथा लिखी। वे लिखते जाते, और रोज लोगो को सुनाते जाते। कहते हैं, कथा इतनी प्यारी थी कि खुद हनुमान भी सुनने आते थे। छिपकर बैठ जाते भीड़ में। जब हनुमान सुनने आए तो बात कुछ राज की ही होगी, क्योंकि हनुमान ने तो कथा खुद ही देखी थी।
💥 *अब कुछ इसमें देखने जैसा नहीं था। लेकिन रामदास कह रहे थे तो बात ही कुछ थी कि खुद देखनेवाला मौजूद जो था, चश्मदीद गवाह, वह भी यह कहानी सुनने आता था। लेकिन जब एक जगह हनुमान को बरदाश्त न हुआ। क्योंकि हनुमान का ही वर्णन हो रहा था। और रामदास ने कहा, हनुमान गए अशोक-वाटिका में, लंका में। और उन्होंने देखा कि चारों तरफ सफेद फूल खिले हैं। हनुमान ने कहा, ठहरो। सुधार कर लो। फूल लाल थे, सफेद नहीं थे।
💥 *रामदास ने कहा कि कौन नासमझ बीच में सुधार करवा रहा है? तब हनुमान ने अपने को प्रकट कर दिया। उन्होंने कहा कि अब प्रकट करना ही पड़ेगा कि मैं खुद ही हनुमान हूं, जिसकी तुम कथा कह रहे हो। और मैं कहता हूं कि वहां फूल लाल थे, सफेद नहीं। रामदास ने कहा, कोई भी हो, चुप बैठो! फूल सफेद थे।
💥 *झगड़ा बहुत बड़ा हो गया। और तब एक ही उपाय था कि अब राम के पास जाया जाए। हनुमान ने कहा, तो चलो राम के पास। वे जो कह देंगे वही निर्णय। क्योंकि यह हद हो गई! मैं जब खुद चश्मदीद आदमी हूं और कह रहा हूं कि मैंने फूल देखे! तुम मेरी कथा कह रहे हो—और वह भी हजारों साल बाद कह रहे हो। और एक सी बात पर जिद्द कर रहे हो। क्या बिगड़ता है कि तुम फूल लिख दो कि लाल थे?
💥 *पर रामदास ने कहा, बिगाड़ने का सवाल नहीं; जो सच है, सच है। फूल सफेद थे।
💥 *झगड़ा राम के पास गया, और राम ने हनुमान से कहा, तुम चुप रहो। रामदास जो कहते हैं, ठीक कहते हैं। तुम उस समय इतने क्रोध में थे, आंखें खून से भरी थीं, तुम्हें लाल दिखाई पड़े होंगे। रामदास को कोई क्रोध नहीं है। वह दूर तटस्थ भाव से देख रहा है! फूल सफेद ही थे। मुझे भी पता है?
💥 *जब तुम क्रोध से देखोगे तो चीजें और हो जाएगी। स्वभावतः जब तुम लोभ से देखोगे तो चीजें और हो जाएंगी। जब तुम वासना, कामना से भरकर देखोगे तो चीजों में एक सौंदर्य आ जाएगा, जो है ही नहीं। देखनेवाला अपने को ही फैलाकर देखता है। इसलिए तुम्हारी दृष्टि ही तुम्हारी सृष्टि हो जाती है। जब तुम बदलोगे और तुम्हारी दृष्टि बदलेगी, तत्क्षण सारी सृष्टि बदल जाएगी। जहां तुम्हें बहुमूल्य दिखाई पड़ता था वहां कचरा दिखाई पड़ेगा। जिससे तुमने असार समझकर छोड़ दिया था, हो सकता था वहां सार दिखाई पड़े; और जिसे तुमने सार समझकर छाती से लगा रखा था वहां तुम्हें असार दिखाई पड़े।
💥 *जीवन तुम्हारी दृष्टि का फैलाव है। और जिसके भीतर की दृष्टि खोयी हो, वह ऐसा ही जैसे भीतर है ही नहीं। सब सोया है। उस भीतर की दृष्टि के सोने के कारण तुम जीवन के भीतरी अंगों को नहीं देख पाते। बाहर की आंख बाहर को ही देख सकती है। भीतर की आंख भीतर देखेगी। तुम देखते हो मुझे, लेकिन अगर बाहर की आंख से देखते हो, तो तुम मेरे शरीर को देखोगे, तुम मुझे न देख पाओगे। अगर तुम भीतर की आंख से देखते हो तो ही मुझे पाओगे। तब यह शरीर सिर्फ घर रह जाएगा, ऊपर के वस्त्र, और भीतर के चैतन्य का आविर्भाव होगा। अगर तुम सिर्फ कानों से सुनते हो बाहर के, तो तुम मेरे शब्द सुन पाओगे; और अगर भीतर का कान तुम्हारा जागा हो, तब तुम मेरे अर्थ को समझ पाओगे। क्योंकि शब्द तो खोल है, शरीर है; अर्थ, आत्मा है।
तुम जितने गहरे हो, उतना ही गहरा तुम देखोगे, उतना ही गहरा तुम सुनोगे, उतना ही गहरा तुम्हारा सारा अनुभव होगा। तुम अगर छिछले हो, तो अनुभव बहुत गहरा न पाएगा।
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ