💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 11 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी 04:04:21 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद प्रातः 07:51:25 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:39:31 नवम्बर 13 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - हर्षण शाम 07:08 :16तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है - दोपहर 03:01 से शाम 04:23 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:54:26*
*⛅सूर्यास्त - 05:43:45*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:01 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:57 से दोपहर 12:41 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:53 नवम्बर 12 से रात्रि 12:46 नवम्बर 13 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - देवउठी एकादशी, योगेश्वर द्वादशी, चातुर्मास समाप्त, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:52 से प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक)*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥तुलसी विवाह एवं देवउठनी एकादशी विशेष -*
💥*देवउठी एकादशी के दिन का पर्व*
➡️ *11 नवम्बर 2024 सोमवार को शाम 06:46:03 से 12 नवम्बर 2024 मंगलवार को शाम 04:04:21 तक एकादशी है।*
💥 *विशेष - 12 नवम्बर, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।*
🙏🏻 *देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को इस मंत्र से उठाना चाहिए*
💥 *उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द, उतिष्ठ गरुड़ध्वज l*
*उतिष्ठ कमलकांत, त्रैलोक्यं मंगलम कुरु l l*
💥 *भीष्मपञ्चक व्रत* 💥*अग्निपुराण अध्याय – २०५*
💥 *अग्निदेव कहते है – अब मैं सब कुछ देनेवाले व्रतराज ‘भीष्मपञ्चक’ विषय में कहता हूँ | कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत ग्रहण करें | पाँच दिनों तक तीनों समय स्नान करके पाँच तिल और यवों के द्वारा देवता तथा पितरों का तर्पण करे | फिर मौन रहकर भगवान् श्रीहरि का पूजन करे | देवाधिदेव श्रीविष्णु को पंचगव्य और पंचामृत से स्नान करावे और उनके श्री अंगों में चंदन आदि सुंगधित द्रव्यों का आलेपन करके उनके सम्मुख घृतयुक्त गुग्गुल जलावे ||१-३||*
💥*प्रात:काल और रात्रि के समय भगवान् श्रीविष्णु को दीपदान करे और उत्तम भोज्य-पदार्थ का नैवेद्ध समर्पित करे | व्रती पुरुष *‘ॐ नमो भगवते* *वासुदेवाय’ इस द्वादशाक्षर मन्त्र का एक सौ आठ बार (१०८) जप करे | तदनंतर घृतसिक्त तिल और जौ का अंत में ‘स्वाहा’ से संयुक्त *‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’* *– इस द्वादशाक्षर मन्त्र से हवन करे | पहले दिन भगवान् के चरणों का कमल के पुष्पों से, दुसरे दिन घुटनों और सक्थिभाग (दोनों ऊराओं) का बिल्वपत्रों से, तीसरे दिन नाभिका भृंगराज से, चौथे दिन बाणपुष्प, बिल्बपत्र और जपापुष्पों द्वारा एवं पाँचवे दिन मालती पुष्पों से सर्वांग का पूजन करे | व्रत करनेवाले को भूमि पर शयन करना चाहिये |*
💥 *एकादशी को गोमय, द्वादशी को गोमूत्र, त्रयोदशी को दधि, चतुर्दशी को दुग्ध और अंतिम दिन पंचगव्य आहार करे | पौर्णमासी को ‘नक्तव्रत’ करना चाहिये | इस प्रकार व्रत करनेवाला भोग और मोक्ष – दोनों का प्राप्त कर लेता है |*
💥 *भीष्म पितामह इसी व्रत का अनुष्ठान करके भगवान् श्रीहरि को प्राप्त हुए थे, इसीसे यह ‘भीष्मपञ्चक’ के नाम से प्रसिद्ध है |*
💥 *ब्रह्माजी ने भी इस व्रत का अनुष्ठान करके श्रीहरि का पूजन किया था | इसलिये यह व्रत पाँच उपवास आदि से युक्त हैं ||४-९||*
💥 *इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में ‘भीष्मपञ्चक-व्रत का कथन’ नामक दो सौ पाँचवाँ अध्याय पूरा हुआ ||२०५||*
💥 *विशेष ~ 11 नवम्बर 2024 सोमवार से 15 नवम्बर, शुक्रवार तक भीष्म पंचक व्रत है ।*
💥 *तुलसी विवाह एवं देवउठनी एकादशी के दिन धार्मिक एवं मांगलिक कार्यक्रम की शुरुआत हो जाती है सनातन धर्म में मांगलिक कार्यक्रम यानी विवाह आदि इस दिन से शुरू हो जाते हैं।
तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन कराया जाता है। इस बार तुलसी विवाह 12 नवंबर मंगलवार के दिन कराया जाएगा। मान्यता है कि तुलसी विवाह कराने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही उसके जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
💥 *तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर वर्ष कार्तिक मास की एकादशी तिथि के दिन जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। उस दिन तुलसी विवाह कराया जाता है। इस बार तुलसी विवाह 12 नवंबर मंगलवार के दिन कराया जाएगा। तुलसी विवाह दो दिन कराया जाता है। कुछ लोग एकादशी तिथि के दिन करते हैं जबकि कुछ लोग द्वादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह कराता है उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
💥 *तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तो तुलसी विवाह का आयोजन द्वादशी तिथि में होना चाहिए। ऐसे में इस बार 12 नवंबर को शाम के समय द्वादशी तिथि लग जाएगी। इसलिए आप 12 और 13 नवंबर कभी भी तुलसी विवाह करा सकते हैं। 12 नवंबर मंगलवार शाम के समय द्वादशी तिथि 4 बजकर 4:21 मिनट पर आरंभ हो जाएगी। ऐसे में तुलसी विवाह आप शाम में इस समय के बाद कर सकते हैं। जबकि 13 नवंबर को द्वादशी तिथि दोपहर में 1 बजकर .00.57 मिनट तक ही रहेगी। ऐसे में जो लोग 13 नवंबर को तुलसी विवाह करना चाहते हैं उन्हें इस समय से पहले पहले तुलसी विवाह कराना होगा।
💥 *तुलसी विवाह पूजन सामग्री
तुलसी का पौधा,शालिग्राम जी,
कलश,पानी वाला नारियल,
पूजा के लिए लकड़ी की चौकी
लाल रंग का कपड़ा,
16 श्रृंगार की सामग्री (जैसे चूड़ियां, बिछिया, पायल, सिंदूर, मेहंदी, कागज, कजरा, हार, आदि)
फल और सब्जियां (आंवला, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, अनार, मूली, अमरूद आदि)
हल्दी की गांठ
पूजन सामग्री (जैसे कपूर, धूप, आम की लकड़ियां, चंदन आदि।)
💥 *तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि
देवउठनी एकादशी के दिन जो लोग तुलसी विवाह करते हैं जिन्हें कन्यादान करना होता है उन्हें इस दिन व्रत जरूर करना चाहिए।
इसके बाद शालिग्राम की तरफ से पुरुष वर्ग और तुलसी माता की तरफ से महिलाओं को इकट्ठा होना होता है।
शाम के समय दोनों पक्ष तैयार होकर विवाह के लिए एकत्रित होते हैं।
💥 *तुलसी विवाह के लिए सबसे पहले अपने घर के आंगन में चौक सजाया जाता है। फिर रंगोली बनाई जाती है उसपर चौकी स्थापित की जाती है।
इसके बाद तुलसी के पौधे को बीच में रखें।
💥 *तुलसी माता को अच्छी से तैयार करें। उन्हें लाल रंग की चुनरी, साड़ी या लहंगा पहनाएं चूड़ियां आदि से उनका श्रृंगार करें।
जहां तुलसी माता को विराजमान किया हैं वहां पर गन्ने से मंडप बनाएं। इसके बाद अष्टदल कमल बनाकर चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करके उनका श्रृंगार करें।
फिर कलश की स्थापना करें। सबसे पहले कलश में पानी भर लें उसमें कुछ बूंद गंगाजल की मिलाएं। फिर आम को 5 पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल को लाल रंग के कपड़े में लपेटकर कलश पर स्थापित करें।
फिर एक चौकी पर शालिग्राम रकें। शालिग्राम को तुलसी के दाएं तरफ रखना है।
फिर घी का दीपक जलाएं और ओम श्री तुलस्यै नम: मंत्र का जप करें। शालिग्राम और माता तुलसी पर गंगाजल का छिड़काव करें।
इसके बाद शालिग्राम जी पर दूध और चंदन मिलाकर तिलक करें और माता तुलसी को रोली का तिलक करें।इसके बाद पूजन सामग्री जैसे फूल आदि सब शालिग्राम और तुलसी माता को अर्पित करें।
इसके बाद पुरुष शालिग्राम जी को अपनी गोद में उठा लें और महिला माता तुलसी को उठा लें। फिर तुलसी की 7 बार परिक्रमा कराएं। इस दौरान बाकी सभी लोग मंगल गीत गाए और कुछ लोग विवाह के विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। मंत्रों के उच्चारण में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।
💥 *अंत में दोनों को खीर पूड़ी का भोग लगाएं। अंत में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की आरती उतारें। फिर अंत में सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*