*⛅दिनांक - 10 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार *
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी रात्रि 09:00:39 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा प्रातः 10:58:42 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - ध्रुव रात्रि 01:40:44 नवम्बर 11 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- शाम 04:23 से शाम 05:45 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:52:57*
*⛅सूर्यास्त - 05:44:44*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:57 से दोपहर 12:41 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:53 नवम्बर 10 से रात्रि 12:45नवम्बर 11 तक*
🍏*चोघडिया, दिन*🍏
उद्वेग 06:53 - 08:14 अशुभ
चर 08:14 - 09:36 शुभ
लाभ 09:36 - 10:57 शुभ
अमृत 10:57 - 12:19 शुभ
काल 12:19 - 13:40 अशुभ
शुभ 13:40 - 15:02 शुभ
रोग 15:02 - 16:23 अशुभ
उद्वेग 16:23 - 17:45 अशुभ
🍏* चोघडिया, रात*🍏
शुभ 17:45 - 19:23 शुभ
अमृत 19:23 - 21:02 शुभ
चर 21:02 - 22:41 शुभ
रोग 22:41 - 24:19 अशुभ
काल 24:19 - 25:58 अशुभ
लाभ 25:58 - 27:36 शुभ
उद्वेग 27:36 - 29:15 अशुभ
शुभ 29:15 - 30:54 शुभ
*⛅ व्रत पर्व विवरण - अक्षय नवमी, आँवला नवमी, जगद्धात्री पूजा, साईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🍏*अक्षय फल देनेवाली अक्षय नवमी* 🍏
🍏 *कार्तिक शुक्ल नवमी (10 नवम्बर 2024) रविवार को ‘अक्षय नवमी’ तथा ‘आँवला नवमी’ कहते हैं | अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है | इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है | पूजन में कर्पूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए तथा निम्न मंत्र बोलते हुये इस वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है :*
🍏*यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च |*
*तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ||*
🍏 *इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे पवित्र ब्राम्हणों व सच्चे साधक-भक्तों को भोजन कराके फिर स्वयं भी करना चाहिए | घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगा के अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष के नीचे पूजन कर सकते है | कई आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगे हुये हैं | इस पुण्यस्थलों में जाकर भी आप भजन-पूजन का मंगलकारी लाभ ले सकते हैं |*
🍏 *आँवला (अक्षय) नवमी* 🍏➡ *10 नवम्बर 2024 रविवार को आँवला (अक्षय) नवमी है ।*
🍏 *नारद पुराण के अनुसार*
🍏*कार्तिके शुक्लनवमी याऽक्षया सा प्रकीर्तता । तस्यामश्वत्थमूले वै तर्प्पणं सम्यगाचरेत् ।।* ११८-२३ ।।*
*देवानां च ऋषीणां च पितॄणां चापि नारद । स्वशाखोक्तैस्तथा मंत्रैः सूर्यायार्घ्यं ततोऽर्पयेत् ।। ११८-२४ ।।*
*ततो द्विजान्भोजयित्वा मिष्टान्नेन मुनीश्वर । स्वयं भुक्त्वा च विहरेद्द्विजेभ्यो दत्तदक्षिणः ।। ११८-२५ ।।*
*एवं यः कुरुते भक्त्या जपदानं द्विजार्चनम् । होमं च सर्वमक्षय्यं भवेदिति विधेर्वयः ।। ११८-२६ ।।*
🍏 *कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं। उस दिन पीपलवृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य दे। तत्पश्च्यात ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करे। इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और होम करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है, ऐसा ब्रह्माजी का कथन है।*
🍏 *कार्तिक शुक्ल नवमी को दिया हुआ दान अक्षय होता है अतः इसको अक्षयनवमी कहते हैं।*
🍏 *स्कन्दपुराण, नारदपुराण आदि सभी पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी युगादि तिथि है। इसमें किया हुआ दान और होम अक्षय जानना चाहिये । प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है “एतश्चतस्रस्तिथयो युगाद्या दत्तं हुतं चाक्षयमासु विद्यात् । युगे युगे वर्षशतेन दानं युगादिकाले दिवसेन तत्फलम्॥”*
🍏 *देवीपुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमीको व्रत, पूजा, तर्पण और अन्नादिका दान करनेसे अनन्त फल होता है।*
🍏हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला 🍏
*🍏 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*
🍏जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*
🍏मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*
*🍏प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
🍏 *कार्तिक शुक्ल नवमी को ‘धात्री नवमी’ (आँवला नवमी) और ‘कूष्माण्ड नवमी’ (पेठा नवमी अथवा सीताफल नवमी) भी कहते है। स्कन्दपुराण के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला पूजन से स्त्री जाति के लिए अखंड सौभाग्य और पेठा पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती है।*
🍏 *आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है। अक्षय नवमी के दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है। जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है। चरक संहिता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवानी यानी नवयौवन प्राप्त हुआ था।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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