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पंचांग - 09-11-2024

 

jyotish

shyam

hero

intirir

achar

lucky

parihar

hundai

toyata

goyal

💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 09 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि 10:44:32 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र - श्रवण सुबह 11:46:32 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
🌤️ *योग - वृद्धि 10 नवम्बर  प्रातः 04:21:57 तक तत्पश्चात ध्रुव*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 09:35 से सुबह 10:57 तक*
🌤️ *सूर्योदय 06:52:13*
🌤️ *सूर्यास्त -  05:45:16*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - गोपाष्टमी,पंचक (आरंभ : रात्रि 11:27)*
💥 *विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *चोघडिया, दिन*💥
काल    06:52 - 08:14    अशुभ
शुभ    08:14 - 09:35    शुभ
रोग    09:35 - 10:57    अशुभ
उद्वेग    10:57 - 12:19    अशुभ
चर    12:19 - 13:40    शुभ
लाभ    13:40 - 15:02    शुभ
अमृत    15:02 - 16:24    शुभ
काल    16:24 - 17:45    अशुभ
 💥 *चोघडिया, रात*💥
लाभ    17:45 - 19:24    शुभ
उद्वेग    19:24 - 21:02    अशुभ
शुभ    21:02 - 22:41    शुभ
अमृत    22:41 - 24:19    शुभ
चर    24:19 - 25:58    शुभ
रोग    25:58 - 27:36    अशुभ
काल    27:36 - 29:14    अशुभ
लाभ    29:14* - 30:53    शुभ
kundli



🌹कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी मनाई जाती है। इस विशेष दिन गौ माता और कृष्ण भगवान की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गौ-चारण लीला आरंभ की थी।

🌹इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का विधान है। इस दिन प्रातः काल उठ कर नित्य कर्म से निवृत हो कर स्नान करते है, प्रातः काल ही गौओं और उनके बछड़ों को भी स्नान कराया जाता है।
 
🌹गौ माता के अंगों में मेहंदी, रोली हल्दी आदि के थापे लगाए जाते हैं, गायों को सजाया जाता है, प्रातः काल ही धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड, जलेबी, वस्त्र और जल से गौ माता की पूजा की जाती है और आरती उतारी जाती है। पूजन के बाद गौ ग्रास निकाला जाता है, गौ माता की परिक्रमा की जाती है, परिक्रमा के बाद गौओं के साथ कुछ दूर तक चला जाता है।

 
🌹श्री कृष्ण की गौ-चारण लीला की पौराणिक कथा:-
 
🌹भगवान ने जब छठे वर्ष की आयु में प्रवेश किया तब एक दिन भगवान माता यशोदा से बोले- मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं....
 
🌹मैय्या यशोदा बोली- अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो तो बताओ अब क्या करें...
 
🌹भगवान ने कहा- अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे...

 
🌹मैय्या ने कहा- ठीक है बाबा से पूछ लेना। मैय्या के इतना कहते ही झट से भगवान नंद बाबा से पूछने पहुंच गए...
 
🌹बाबा ने कहा- लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चराओ..
 🌹भगवान ने कहा- बाबा अब मैं बछड़े नहीं गाय ही चराऊंगा...

🌹जब भगवान नहीं माने तब बाबा बोले- ठीक है लाल तुम पंडित जी को बुला लाओ- वह गौ चारण का मुहूर्त देख कर बता देंगे...
 
🌹बाबा की बात सुनकर भगवान झट से पंडित जी के पास पहुंचे और बोले- पंडित जी, आपको बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का मुहूर्त देखना है, आप आज ही का मुहूर्त बता देना मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा...
🌹पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और बार-बार पंचांग देख कर गणना करने लगे तब नंद बाबा ने पूछा, पंडित जी के बात है ? आप बार-बार क्या गिन रहे हैं? पंडित जी बोले, क्या बताएं नंदबाबा जी केवल आज का ही मुहूर्त निकल रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहूर्त नहीं है... पंडित जी की बात सुन कर नंदबाबा ने भगवान को गौ चारण की स्वीकृति दे दी।
 
🌹भगवान जो समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहूर्त बन जाता है। उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरंभ किया और वह शुभ तिथि थी कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष अष्टमी, भगवान के गौ-चारण आरंभ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।
 
🌹माता यशोदा ने अपने लल्ला के श्रृंगार किया और जैसे ही पैरों में जूतियां पहनाने लगी तो लल्ला ने मना कर दिया और बोले मैय्या यदि मेरी गौएं जूतियां नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन सकता हूं। यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी जूतियां पहना दो... और भगवान जब तक वृंदावन में रहे, भगवान ने कभी पैरों में जूतियां नहीं पहनी। आगे-आगे गाय और उनके पीछे बांसुरी बजाते भगवान उनके पीछे बलराम और श्री कृष्ण के यश का गान करते हुए ग्वाल-गोपाल इस प्रकार से विहार करते हुए भगवान ने उस वन में प्रवेश किया तब से भगवान की गौ-चारण लीला का आरंभ हुआ।
 🌹 जब भगवान गौएं चराते हुए वृंदावन जाते तब उनके चरणों से वृंदावन की भूमि अत्यंत पावन हो जाती, वह वन गौओं के लिए हरी-भरी घास से युक्त एवं रंग-बिरंगे पुष्पों की खान बन गया था।

🌹जीवन में कोई भी घटना घटित होने के लिए तीनों स्थितियां उत्तरदायी होती है -
🚩1.देश अर्थात् स्थान।
🚩2.काल अर्थात् समय।
🚩3.उस स्थान पर उस समय पर देह का उपस्थित हो जाना।
🚩अगर उपरोक्त तीनों में से किसी एक की कमी कर दिया जाए या चेंज कर दिया जाए तो घटने वाली भावी घटना कमजोर हो जाती है, न्यून हो जाती है।
🚩अगर आपकी चेतना जागृत है तो घटने वाली घटना को कमज़ोर या न्यून किया जा सकता है। अगर चेतना जागृत नहीं है तो घटने वाली घटना जीवन में घट ही जाती है।
🚩अब प्रश्न उठता है कि अपनी चेतना को हम कैसे जागृत करें?
🚩संसार का सबसे अद्वितीय, गोपनीय व अति दुर्लभ दूसरे नंबर का मंत्र है जिसे चेतना मंत्र कहा जाता है।
🚩चेतना मंत्र जप द्वारा ही चेतना को जागृत किया जाता है। क्योंकि देवता मंत्रों के अधीन ही होते हैं और मंत्र हमारे अधीन होते हैं।
🚩जब चेतना जागृत रहती है तो घटने वाली घटनाओं के उपरोक्त तीनों उत्तरदायी स्थितियों में बदलाव हो जाता है, परिवर्तन हो जाता है, जिससे आने वाली घटनाओं में, बाधाओं में न्यूनता आ जाती है, कमजोरी आ जाती है।
🚩और वह निखिल द्वारा प्रदत्त चेतना मंत्र है - "ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम:।" अत: इस मंत्र का जप करना ही चाहिए।

🚩सर्व साधना सिद्धि प्रयोग -

🚩प्रत्येक व्यक्ति जो कार्य सम्पन्न करता है, वह उसमें सफलता प्राप्त करना चाहता है। चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या भौतिक क्षेत्र हो या साधना क्षेत्र हो। वास्तव में देखा जाए, तो असफलता जीवन की उच्चता नहीं है, असफलता न्यूनता है और हम जीवन में सफल हों, चाहे हम कोई भी साधना करें, हमें सफलता मिले और हम जीवन में पूर्ण हों। इस प्रयोग के माध्यम से हम साधनाओं की न्यूनताओं को समाप्त कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक साधना सम्पन्न करने से पूर्व नित्य प्रातः निम्न मंत्र का 21 बार उच्चारण कर अपनी दैनिक साधना प्रारम्भ करें -
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🚩॥ ॐ ह्रीं कार्य साफल्य सिद्धये ॐ फट् ॥
इस मंत्र के द्वारा शुद्ध अवस्था में चैतन्य रखते हुए धीरे-धीरे आप इस प्रयोग को करें आने वाले दिनों में आपको इसके परिणाम सार्थक सामने होंगे।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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