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पंचांग - 07-11-2024

 

jyotish


shyam

heto

intirir

tvs

lucky

parihar

hundai

toyata


💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 07 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 12:34:15 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा प्रातः 11:46:07 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*⛅योग - धृति प्रातः 09:50:21 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 01:41 से दोपहर 03:02 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:50:45*
*⛅सूर्यास्त - 05:46:23*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:57 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:57 से दोपहर 12:41 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 07 से रात्रि 12:45 नवम्बर 08 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण -  सूर सम्हारम, छठ पूजा, स्कन्द षष्ठी*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
शुभ    06:51 - 08:13    शुभ
रोग    08:13 - 09:35    अशुभ
उद्वेग    09:35 - 10:57    अशुभ
चर    10:57 - 12:19    शुभ
लाभ    12:19 - 13:41    शुभ
अमृत    13:41 - 15:02    शुभ
काल    15:02 - 16:24    अशुभ
शुभ    16:24 - 17:46    शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
अमृत    17:46 - 19:25    शुभ
चर    19:25 - 21:03    शुभ
रोग    21:03 - 22:41    अशुभ
काल    22:41 - 24:19    अशुभ
लाभ    24:19 - 25:57    शुभ
उद्वेग    25:57 - 27:35    अशुभ
शुभ    27:35 - 29:13    शुभ
अमृत    29:13 - 30:51    शुभ
kundli


🌻गुरुवार विशेष प्रयोग🌻
*🕉बृं बृहस्पतयेनमः
🕉ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सःगुरुवेनमः।
🐚ॐ बृहस्पते अतियदर्यो अर्हाद्द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु, यद्दीदच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्🐘ध्यानमूलं गुरूमूर्ति पूजामूलं गुरोपदं मंत्र मूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरूकृपा।ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचन सन्निभम्।बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।देवमंत्री विशालाक्ष गुरूर्विष्णु :सदा लोकहितेरत:।
अनेक शिष्य संपूर्ण:पीड़ां हरतुमेगुरु:| गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्देवोमहेश्वरः।
गुरुःसाक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवेनमः॥अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजन शलाकया।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नम:
🌻ॐविष्णुवे नमः।* गुरुवारकादिन भगवान श्रीहरि विष्णुकोसमर्पित है।आजके दिन भगवान विष्णुका स्मरणकर *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय* मंत्रका जापकरना फलदायी रहताहै।शास्त्रोंके अनुसार भगवानविष्णु जगतका पालन करनेवाले देवताहैं,उनकास्वरूप शांतऔरआनंद मयी है।श्रीहरिविष्‍णुके विविधमंत्र हैं,जिनका जापकर धन- वैभवएवं संपन्नतामेंवृद्धि की जा सकतीहै- लक्ष्मी विनायक मंत्र- *दन्ताभये चक्रदरोदधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।धृताब्जया लिंगित- मब्धिपुत्रया,लक्ष्मीगणेशं कनकाभमीडे।।*
विष्णु के पंचरूपमंत्र-
*ॐअं वासुदेवाय नम:।
ॐआं संकर्षणाय नम:।
ॐ अं प्रद्युम्नायनम:।
ॐअ:अनिरुद्धायनम:।
ॐनारायणायनम:।।
       ॐह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजाबाहु सहस्त्रवानयस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं चलभ्यते।।*
 सरल जापमंत्र- *ॐ नमोनारायणाय।श्रीमन् नारायण नारायण हरि हरि।

* धन-वैभव एवं संपन्नता पाने का विशेष मंत्र- *ॐभूरिदा भूरि देहिनो,मा दभ्रं भूर्या भर।भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐभूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।आ नो भजस्व राधसि।।

* शीघ्र फलदायी मंत्र-
*श्रीकृष्ण गोविन्द हरेमुरारे, हेनाथ नारायण वासुदेवाय।
ॐनारायणाय विद्महे,वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
आरोग्यं विद्वत्ता सज्जनमैत्री महाकुले जन्म।
स्वाधीनताच पुंसां महदैश्वर्यं विनाप्यर्थे:॥*

निरोगरहना,विद्वत्ता,सज्जनोंसेमित्रता,श्रेष्ठकुल में जन्म,परायोंके उपरनिर्भर नहोना यहसबधननही होतेहुएभी मनुष्यकेलिए एैश्वर्यही है।

*गुरुवार का विशेषउपाय*
बच्चोंके अच्छेकरियरके लिएहैयह उपाय।आजकल बच्चोंकी पढ़ाईऔर करियरकी चिंता माता-पिताको ज्यादा रहती है।

शास्त्रोंमें वर्णित यहउपाय अगर बच्चा नाकर सकेतो उनके लिए माता-पिताभी करसकतेहैं।बृहस्पतिवार को सूर्यास्तसे ठीक आधाघंटे पहले बड़के पत्तेपरया पीपल के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाइयां तथा 2 छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धाभाव से रखें और शिक्षा व करियर के प्रति कामना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे अपने घर आ जाएं। इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें।

यह उपाय माता-पिता अपने बच्चे के लिए कर सकते हैं। गुरु और भगवान विष्णु की कृपा से बच्चे के करियर की दिशा तय होगी। ले‍किन यह ध्यान रखें कि बच्चे का मेहनत करना भी जरूरी है। मेहनती बच्चों के ग्रह नक्षत्र स्वत: ही अनुकूल होने लगते हैं।

*दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।ससर्पे गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः॥*

दुष्टपत्नी,शठमित्र,उत्तरदेनेवाला सेवक तथा सांप वाले घरमें रहना, येमृत्युके कारण हैं इसमें सन्देह नहीं करना चाहिए।

*यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्॥*

जिसदेशमें सम्मान नहो,जहाँकोई आजीविका न मिले जहाँअपना कोईभाई-बन्धु नरहताहोऔर जहाँविद्या-अध्ययन सम्भव न हो,ऐसेस्थानपर नहींरहना चाहिए।

*माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम्॥*

जिसकेघरमें न माताहोऔर नस्त्री प्रियवादिनीहो उसेवनमें चले जानाचाहिए क्योंकि उसकेलिए घर और वनदोनों समानही हैं।

*आपदर्थे धनं रक्षेद् दारान् रक्षेद् धनैरपि।आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि॥*

*क्षिप्रं विजानाति चिरं शृणोति विज्ञाय चार्थ भते न कामात्।नासम्पृष्टो व्युपयुङ्क्ते परार्थे तत् प्रज्ञानं प्रथमं पण्डितस्य॥*

ज्ञानीलोग किसीभी विषयको शीघ्र समझलेतेहैं, लेकिनउसेधैर्यपूर्वक देरतकसुनतेरहतेहैं।किसीभी कार्यको कर्तव्य समझकरकरतेहै, कामनासमझ कर नहींऔर व्यर्थ किसीकेविषयमें बातनहींकरते।

*आत्मज्ञानं समारम्भः तितिक्षा धर्मनित्यता।यमर्थान्नापकर्षन्ति स वै पण्डित उच्यते॥*

   जो अपने योग्यता से भली-भाँति परिचित हो और उसी के अनुसार कल्याणकारी कार्यकरता हो, जिसमें दुःख सहने की शक्तिहो,जो विपरीत स्थितिमें भी धर्म-पथसे विमुखनहीं होता,ऐसा व्यक्तिही सच्चाज्ञानी कहलाता है।

*यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे।कृतमेवास्य जानन्ति स वैपण्डित उच्यते॥*

दूसरेलोग जिसकेकार्य,व्यवहार, गोपनीयता, सलाह और विचारको कार्यपूराहो जानेके बादही जान पातेहैं,वहीव्यक्ति ज्ञानीकहलाता है।

*यथाशक्ति चिकीर्षन्ति यथाशक्ति च कुर्वते।न किञ्चिदवमन्यन्ते नराः पण्डितबुद्धयः॥*

विवेकशीलऔर बुद्धिमानव्यक्ति सदैव ये चेष्ठा करते हैं की वे यथाशक्ति कार्य करेंऔर वे वैसा करते भी हैं तथा किसी वस्तुको तुच्छ समझकर उसकी उपेक्षा नहींकरते,वेही सच्चे ज्ञानीहैं।

*नाप्राप्यमभिवाञ्छन्तिनष्टं नेच्छन्तिशोचितुम्।आपत्सुच नमुह्यन्ति नराःपण्डितबुद्धयः॥*

जोव्यक्ति दुर्लभवस्तुको पानेकी इच्छानहीं रखते, नाशवानवस्तुके विषयमें शोकनहीं करतेतथा विपत्ति आपड़नेपर घबरातेनहींहैं,डटकर उसका सामनाकरते हैं,वहीज्ञानी हैं।

*निश्चित्वा यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः।अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते॥*

जोव्यक्तिकिसीभी कार्य-व्यवहारको निश्चयपूर्वक आरंभकरता है,उसेबीचमें नहींरोकता,समयको बरबादनहीं करतातथा अपनेमनको नियंत्रणमें रखताहै,वही ज्ञानीहै।
_जयगुरूदेव_ 
mi

mahaveer

                                                                            

#नागदेवताष्टोत्तरशतनामावलिः ||🐍
ॐ अनन्ताय नमः ।
ॐ आदिशेषाय नमः ।
ॐ अगदाय नमः ।
ॐ अखिलोर्वेचराय नमः ।
ॐ अमितविक्रमाय नमः ।
ॐ अनिमिषार्चिताय नमः ।
ॐ आदिवन्द्यानिवृत्तये नमः ।
ॐ विनायकोदरबद्धाय नमः ।
ॐ विष्णुप्रियाय नमः ।
ॐ वेदस्तुत्याय नमः ॥ १०॥

ॐ विहितधर्माय नमः ।
ॐ विषधराय नमः ।
ॐ शेषाय नमः ।
ॐ शत्रुसूदनाय नमः ।
ॐ अशेषपणामण्डलमण्डिताय नमः ।
ॐ अप्रतिहतानुग्रहदायाये नमः ।
ॐ अमिताचाराय नमः ।
ॐ अखण्डैश्वर्यसम्पन्नाय नमः ।
ॐ अमराहिपस्तुत्याय नमः ।
ॐ अघोररूपाय नमः ॥ २०॥

ॐ व्यालव्याय नमः ।
ॐ वासुकये नमः ।
ॐ वरप्रदायकाय नमः ।
ॐ वनचराय नमः ।
ॐ वंशवर्धनाय नमः ।
ॐ वासुदेवशयनाय नमः ।
ॐ वटवृक्षार्चिताय नमः ।
ॐ विप्रवेषधारिणे नमः ।
ॐ त्वरितागमनाय नमः ।
ॐ तमोरूपाय नमः ॥ ३०॥

ॐ दर्पीकराय नमः ।
ॐ धरणीधराय नमः ।
ॐ कश्यपात्मजाय नमः ।
ॐ कालरूपाय नमः ।
ॐ युगाधिपाय नमः ।
ॐ युगन्धराय नमः ।
ॐ रश्मिवन्ताय नमः ।
ॐ रम्यगात्राय नमः ।
ॐ केशवप्रियाय नमः ।
ॐ विश्वम्भराय नमः ॥ ४०॥

ॐ शङ्कराभरणाय नमः ।
ॐ शङ्खपालाय नमः ।
ॐ शम्भुप्रियाय नमः ।
ॐ षडाननाय नमः ।
ॐ पञ्चशिरसे नमः ।
ॐ पापनाशाय नमः ।
ॐ प्रमदाय नमः ।
ॐ प्रचण्डाय नमः ।
ॐ भक्तिवश्याय नमः ।
ॐ भक्तरक्षकाय नमः ॥ ५०॥

ॐ बहुशिरसे नमः ।
ॐ भाग्यवर्धनाय नमः ।
ॐ भवभीतिहराय नमः ।
ॐ तक्षकाय नमः ।
ॐ लोकत्रयाधीशाय नमः ।
ॐ शिवाय नमः ।
ॐ वेदवेद्याय नमः ।
ॐ पूर्णाय नमः ।
ॐ पुण्याय नमः ।
ॐ पुण्यकीर्तये नमः ॥ ६०॥

ॐ पटेशाय नमः ।
ॐ पारगाय नमः ।
ॐ निष्कलाय नमः ।
ॐ वरप्रदाय नमः ।
ॐ कर्कोटकाय नमः ।
ॐ श्रेष्ठाय नमः ।
ॐ शान्ताय नमः ।
ॐ दान्ताय नमः ।
ॐ आदित्यमर्दनाय नमः ।
ॐ सर्वपूज्याय नमः ॥ ७०॥

ॐ सर्वाकाराय नमः ।
ॐ निराशायाय नमः ।
ॐ निरञ्जनाय नमः ।
ॐ ऐरावताय नमः ।
ॐ शरण्याय नमः ।
ॐ सर्वदायकाय नमः ।
ॐ धनञ्जयाय नमः ।
ॐ अव्यक्ताय नमः ।
ॐ व्यक्तरूपाय नमः ।
ॐ तमोहराय नमः ॥ ८०॥

ॐ योगीश्वराय नमः ।
ॐ कल्याणाय नमः ।
ॐ वालाय नमः ।
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः ।
ॐ शङ्करानन्दकराय नमः ।
ॐ जितक्रोधाय नमः ।
ॐ जीवाय नमः ।
ॐ जयदाय नमः ।
ॐ जपप्रियाय नमः ।
ॐ विश्वरूपाय नमः ॥ ९०॥

ॐ विधिस्तुताय नमः ।
ॐ विधेन्द्रशिवसंस्तुत्याय नमः ।
ॐ श्रेयप्रदाय नमः ।
ॐ प्राणदाय नमः ।
ॐ विष्णुतल्पाय नमः ।
ॐ गुप्ताय नमः ।
ॐ गुप्तातराय नमः ।
ॐ रक्तवस्त्राय नमः ।
ॐ रक्तभूषाय नमः ।
ॐ भुजङ्गाय नमः ॥ १००॥

ॐ भयरूपाय नमः ।
ॐ सरीसृपाय नमः ।
ॐ सकलरूपाय नमः ।
ॐ कद्रुवासम्भूताय नमः ।
ॐ आधारविधिपथिकाय नमः ।
ॐ सुषुम्नाद्वारमध्यगाय नमः ।
ॐ फणिरत्नविभूषणाय नमः ।
ॐ नागेन्द्राय नमः ॥ १०८॥

॥ इति नागदेवताष्टोत्तरशतनामावलिः ॥
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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