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01-11-2024

 


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💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक - 01 नवम्बर 2024*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार  2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र अश्विन)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - अमावस्या शाम 06:16:09 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र - स्वाती 02 नवम्बर  रात्रि 03:30:06 तक तत्पश्चात विशाखा*
🌤️ *योग - प्रीति सुबह 10:39:49 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 10:55 से दोपहर 12:18 तक*
🌤️ *चन्द्र राशि    ~   तुला*
🌤️ *सूर्य राशि    ~   तुला*
🌤️ *सूर्योदय 06:46:33*
🌤️ *सूर्यास्त - 05:50:18*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
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🚩 *व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या,कार्तिक अमावस्या,दीपावली*
💥 *विशेष - अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

🌤️*अन्नकूट दिवस / गोवर्धन-पूजा* 🌤️
➡️ *01 नवम्बर 2024 शुक्रवार को अन्नकूट दिवस एवं गोवर्धन-पूजा है ।*
  🌤️* चोघडिया, दिन*🌤️
चर    06:47 - 08:10    शुभ
लाभ    08:10 - 09:32    शुभ
अमृत    09:32 - 10:55    शुभ
काल    10:55 - 12:18    अशुभ
शुभ    12:18 - 13:41    शुभ
रोग    13:41 - 15:04    अशुभ
उद्वेग    15:04 - 16:27    अशुभ
चर    16:27 - 17:50    शुभ
   🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
रोग    17:50 - 19:27    अशुभ
काल    19:27 - 21:05    अशुभ
लाभ    21:05 - 22:42    शुभ
उद्वेग    22:42 - 24:19    अशुभ
शुभ    24:19 - 25:56    शुभ
अमृत    25:56 - 27:33    शुभ
चर    27:33 - 29:10    शुभ
रोग    29:10 - 30:47    अशुभ
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🌤️भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. उसी समय से गोवर्धन पूजा का विधान आरंभ हुआ और इसे लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं. इस दिन हर घर में गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है और पूजा अर्चना की जाती है
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🌤️गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण और वर्षा के देवता इंद्र के बीच युद्ध की याद दिलाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान इंद्र भगवान कृष्ण के प्रति लोगों की भक्ति से नाराज़ थे। क्रोधित भगवान ने भारी बारिश से भारी तबाही मचाई। तब, भगवान कृष्ण ने लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा लिया।

🌤️गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि  को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना और 56 भोग अर्पित करने से साधक को समस्त दुख और संताप से छुटकारा मिलता है।

🌤️गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व
दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है।
पूजा थाली में 56 भोग शामिल किए जाते हैं।
🌤️ इस दिन देशभर में खास रौनक देखने को मिलती है। यह पर्व दीवाली के अगले दिन मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण का चित्र बनाया जाता है, जिनकी शुभ मुहूर्त के दौरान विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही प्रभु के प्रिय भोग अर्पित किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से साधक को सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए दान भी किया जाता है।  

🌤️अन्नकूट का भोग: क्या है इसका महत्व?
गोवर्धन पूजा के दिन ब्रजवासी भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाते हैं. ‘अन्नकूट’ का अर्थ है अन्न का पहाड़. इस दिन सभी लोग अपने-अपने घरों से विभिन्न प्रकार का अन्न, जैसे चावल, दाल, सब्जियां और अन्य व्यंजन एकत्र करते हैं और इसे एक जगह रखकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करते हैं. इसके साथ ही भगवान को 56 भोग (छप्पन भोग) का विशेष भोग भी लगाया जाता है. 56 भोग का अर्थ है कि भगवान को दिन में 8 पहर के हिसाब से प्रत्येक पहर में 7 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं. यह भोग भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है.

🌤️गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सामाजिक महत्व
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सामूहिक प्रयास का भी प्रतीक है. इस दिन सभी लोग एकत्र होकर सामूहिक रूप से भगवान को भोग अर्पित करते हैं और साथ में प्रसाद के रूप में इस अन्नकूट का भोग ग्रहण करते हैं. इससे समाज में प्रेम और एकता का भाव उत्पन्न होता है और सभी एक-दूसरे के साथ समय बिताने का अवसर पाते हैं.

🌤️ *धर्मसिन्धु आदि शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन-पूजा के दिन गायों को सजाकर, उनकी पूजा करके उन्हें भोज्य पदार्थ आदि अर्पित करने का विधान है। इस दिन गौओ को सजाकर उनकी पूजा करके यह मंत्र करना चाहिये, गौ-पूजन का मंत्र –*
🌤️ *लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता ।*
*घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं त्यपोहतु ॥*
🐄 *(धेनु रूप में स्थित जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी है तथा जो यज्ञ के लिए घी देती है , वह गौ माता मेरे पापों का नाश करें । रात्रि को गरीबों को यथा सम्भव अन्न दान करना चाहिये ।*
 
🌤️*कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत - पुण्यमय दर्शन व बलि प्रतिपदा*
➡ *बलि प्रतिपदा (वर्ष के प्रथम दिन)*
🌿 *पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में वर्ष के प्रथम दिन नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बाँधते थे, जिससे कि वहाँ से लोग गुजरें तो वर्ष भर प्रसन्न रहें, निरोग रहें । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्ष भर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधो तो अच्छा है ।*
🌤️ *दीपावली का दिन वर्ष का आखिरी दिन है और बाद का दिन वर्ष का प्रथम दिन है, विक्रम सम्वत् के आरम्भ का दिन है (गुजराती पंचांग अनुसार) । उस दिन जो प्रसन्न रहता है, वर्ष भर उसका प्रसन्नता से जाता है ।*
🌤️ *'महाभारत'  में भगवान व्यास जी कहते हैं-*
*यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर।*
*हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्षं प्रयाति वै।।*
🌤️ *'हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है।'*
🌤️ *नूतन वर्ष के दिन मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है। जैसेः*
➡ *उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़े सहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवती नारी, तीर्थयात्री, दीपक, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फ़ल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, कुम- कुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष) देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड़, गंगाजी मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई फसल से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) पद्मिनी, सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल औऱ अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न – इन सबके दर्शन से पुण्य लाभ होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्यायः 76 एवं 78)*
🌤️ *कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत*
🌤️ *नूतन वर्ष के दिन सुबह जगते ही बिस्तर पर बैठे-बैठे चिंतन करना कि ‘आनंदस्वरूप परमात्मा मेरा आत्मा है । प्रभु मेरे सुहृद हैं, सखा हैं, परम हितैषी हैं, ॐ ॐ आनंद ॐ... ॐ ॐ माधुर्य ॐ...। वर्ष शुरू हुआ और देखते-देखते आयुष्य का एक साल बीत जायेगा फिर दीपावली आयेगी । आयुष्य क्षीण हो रहा है । आयुष्य क्षीण हो जाय उसके पहले मेरा अज्ञान क्षीण हो जाय । हे ज्ञानदाता प्रभु ! मेरा दुःख नष्ट हो जाय, मेरी चिंताएँ चूर हो जायें । हे चैतन्यस्वरूप प्रभु ! संसार की आसक्ति से दुःख, चिंता और अज्ञान बढ़ता है और तेरी प्रीति से सुख, शांति और माधुर्य का निखार होता है । प्रभु ! तुम कैसे हो तुम्हीं जानो, हम जैसे-तैसे हैं तुम्हारे हैं देव ! ॐ ॐ ॐ...*
🌤️ *फिर बिस्तर पर तनिक शांत बैठे रहकर अपनी दोनों हथेलियों को देखना -*
🌤️ *कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।*
*करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्शनम् ।।*
🌤️ *अपने मुँह पर हाथ घुमा लेना । फिर दायाँ नथुना चलता हो तो दायाँ पैर और बायाँ चलता हो तो बायाँ पैर धरती पर पहले रखना ।*
🌤️ *इस दिन विचारना कि "जिन विचारों और कर्मों को करने से हम मनुष्यता की महानता से नीचे आते हैं उनमें कितना समय बरबाद हुआ ? अब नहीं करेंगे अथवा कम समय देंगे और जिनसे मनुष्य-जीवन का फायदा होता है - सत्संग है, भगवन्नाम सुमिरन है, सुख और दुःख में समता है, साक्षीभाव है... इनमें हम ज्यादा समय देंगे, आत्मज्योति में जियेंगे । रोज सुबह नींद में से उठकर ५ मिनट शिवनेत्र पर ॐकार या ज्योति अथवा भगवान की भावना करेंगे...।"*
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🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮 🌺💫
*💫आप को व आपके पूरे परिवार को हमारी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं दीपावली का त्यौहार अच्छे से मनाईये राम राम।।
*💫~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*मंगल दोष,पितृ दोष,काल सर्प, गुरु चांडाल योग, वैधृति योग की शांति पूजा के लिए या जाप के लिए सम्पर्क करें -/*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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