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पंचांग -06-11-2024

 

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💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 06 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी रात्रि 12:40:34 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - मूल प्रातः 10:59:28 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*⛅योग -  सुकर्मा प्रातः 10:49:47 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:41 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:50:02*
*⛅सूर्यास्त - 05:46:49*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:57 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:53 नवम्बर 06 से रात्रि 12:45 नवम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - लाभ पञ्चमी*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

   🌷*चोघडिया, दिन*🌷
लाभ    06:50 - 08:12    शुभ
अमृत    08:12 - 09:34    शुभ
काल    09:34 - 10:56    अशुभ
शुभ    10:56 - 12:19    शुभ
रोग    12:19 - 13:41    अशुभ
उद्वेग    13:41 - 15:03    अशुभ
चर    15:03 - 16:25    शुभ
लाभ    16:25 - 17:47    शुभ
   🌷*चोघडिया, रात*🌷
उद्वेग    17:47 - 19:25    अशुभ
शुभ    19:25 - 21:03    शुभ
अमृत    21:03 - 22:41    शुभ
चर    22:41 - 24:19    शुभ
रोग    24:19 - 25:57अशुभ
काल    25:57 - 27:35    अशुभ
लाभ    27:35 - 29:13    शुभ
उद्वेग    29:13 - 30:51    अशुभ
kundli



 🌷*लाभ पंचमी पूजा और नई शुरुआत का दिन एवं समृद्धि सूचक*🌷

🌷 लाभ पंचमी, जिसे लाखेनी पंचमी और सौभाग्य पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, एक सार्थक हिंदू त्यौहार है जिसे भक्ति, कृतज्ञता और देने की भावना के साथ मनाया जाता है। दिवाली के पाँचवें दिन मनाया जाने वाला यह शुभ दिन समृद्धि, विकास, नई शुरुआत और दान के महत्व का प्रतीक है। लाभ पंचमी, जिसका अर्थ है “लाभ”, सकारात्मकता, विश्वास और सामुदायिक समर्थन को प्रेरित करता है, व्यक्तियों को दयालुता और उदारता के कार्यों के माध्यम से बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
 🌷लाभ पंचमी बुधवार, 6 नवंबर को पड़ रही है। लाभ पंचमी पूजा के लिए प्रातः काल का समय सुबह 6:50 बजे से 09:34 बजे तक है। यह समय प्रार्थना और अनुष्ठानों के लिए आदर्श माना जाता है, जो नए उद्यमों के लिए समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। व्यवसायी और व्यापारी पारंपरिक रूप से इस दिन वित्तीय वर्ष की समृद्ध शुरुआत को चिह्नित करने के लिए नई खाता बही खोलते हैं।

🌷लाभ पंचमी के दौरान अनुष्ठान
लाभ पंचमी को समृद्धि और नई शुरुआत का सम्मान करने के लिए विशेष अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है:

🌷घटस्थापना पूजा: कई भक्त पारंपरिक घटस्थापना (पवित्र बर्तन की स्थापना) करते हैं और भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी का आह्वान करते हैं। यह अनुष्ठान धन, सफलता और सौभाग्य के स्वागत का प्रतीक है।
नए खाता बही खोलना: व्यापारियों के लिए, लाभ पंचमी पुराने खातों को बंद करने और आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए नए बहीखाते खोलने के लिए एक आदर्श दिन है। यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है और वित्तीय स्थिरता और विकास के लिए आशीर्वाद मांगता है।
🌷लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा: भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को समर्पित पूजा करते हैं, ज्ञान, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। अनुष्ठान के हिस्से के रूप में फूल, मिठाई और धूपबत्ती चढ़ाई जाती है।
सजावट और रोशनी: घरों और कार्यस्थलों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है, सजाया जाता है और कभी-कभी रोशनी और रंगोली से रोशन किया जाता है। यह नकारात्मकता को दूर करने और सौभाग्य के स्वागत का प्रतीक है।
🌷मिठाई बांटना: लाभ पंचमी पर परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ मिठाई बांटना एक आम बात है। यह सद्भावना और आशीर्वाद बांटने का एक संकेत है।
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🌷लाभ पंचमी का आध्यात्मिक महत्व🌷
🌷 लाभ पंचमी दिवाली उत्सव का अंतिम दिन है और इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है। गुजरात जैसे क्षेत्रों में, यह विशेष रूप से व्यापारिक समुदाय द्वारा मनाया जाता है, जो इसे कृतज्ञता पर चिंतन करने, ईश्वरीय मार्गदर्शन प्राप्त करने और भविष्य के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के समय के रूप में मानते हैं।

🌷लाभ पंचमी पर दान का महत्व
दान करना लाभ पंचमी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जरूरतमंदों की मदद करने से आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है। नारायण सेवा संस्थान जैसे संगठनों का समर्थन करना, जो दिव्यांग और वंचित व्यक्तियों की सहायता करते हैं, इस दिन की भावना के अनुरूप है। ऐसे कार्यों में योगदान देकर, कोई व्यक्ति सार्थक तरीकों से लाभ पंचमी का आशीर्वाद दूसरों तक पहुँचाता है।
दिवाली के पाँचवें दिन मनाया जाने वाला यह त्यौहार समृद्धि का प्रतीक है।
व्यवसाय मालिकों के लिए यह महत्वपूर्ण है
नई खाता बही खोलने के लिए आदर्श दिन, जिससे वित्तीय आशीर्वाद मिलता है।
6 नवंबर, सुबह 6:50 बजे से सुबह 09:34 बजे तक का मुहूर्त।

🌷घटस्थापना पूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा, नए बही खाते खोलना और मिठाई बाँटना व  इससे समृद्धि और सद्भावना आती है, ज़रूरतमंदों की मदद होती है।

🌷*वास्तविक लाभ पाने का दिन : लाभपंचमी*🌷
➡ *06 नवम्बर 2024 बुधवार को लाभपंचमी है ।*
🙏🏻 *कार्तिक शुक्ल पंचमी ‘लाभपंचमी कहलाती है । इसे ‘सौभाग्य पंचमी भी कहते हैं । जैन लोग इसको ‘ज्ञान पंचमी कहते हैं । व्यापारी लोग अपने धंधे का मुहूर्त आदि लाभपंचमी को ही करते हैं । लाभपंचमी के दिन धर्मसम्मत जो भी धंधा शुरू किया जाता है उसमें बहुत-बहुत बरकत आती है । यह सब तो ठीक है लेकिन संतों-महापुरुषों के मार्गदर्शन-अनुसार चलने का निश्चय करके भगवद्भक्ति के प्रभाव से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार इन पाँचों विकारों के प्रभाव को खत्म करने का दिन है लाभपंचमी ।*
👉🏻 *(१) लाभपंचमी के पाँच अमृतमय वचनों को याद रखो :*
➡ *पहली बात : ‘भगवान हमारे हैं, हम भगवान के हैं - ऐसा मानने से भगवान में प्रीति पैदा होगी । ‘शरीर, घर, संबंधी जन्म के पहले नहीं थे और मरने के बाद नहीं रहेंगे लेकिन परमात्मा मेरे साथ सदैव हैं - ऐसा सोचने से आपको लाभपंचमी के पहले आचमन द्वारा अमृतपान का लाभ मिलेगा ।*
➡ *दूसरी बात : हम भगवान की सृष्टि में रहते हैं, भगवान की बनायी हुई दुनिया में रहते हैं । तीर्थभूमि में रहने से पुण्य मानते हैं तो जहाँ हम-आप रह रहे हैं वहाँ की भूमि भी तो भगवान की है; सूरज, चाँद, हवाएँ, श्वास, धडकन सब-के-सब भगवान के हैं, तो हम तो भगवान की दुुनिया में, भगवान के घर में रहते हैं । मगन निवास, अमथा निवास, गोकुल निवास ये सब निवास ऊपर-ऊपर से हैं लेकिन सब-के-सब भगवान के निवास में ही रहते हैं । यह सबको पक्का समझ लेना चाहिए । ऐसा करने से आपके अंतःकरण में भगवद्धाम में रहने का पुण्यभाव जगेगा ।*
➡ *तीसरी बात : आप जो कुछ भोजन करते हैं भगवान का सुमिरन करके, भगवान को मानसिक रूप से भोग लगाके करें । इससे आपका पेट तो भरेगा, हृदय भी भगवद्भाव से भर जायेगा ।*
➡ *चौथी बात : माता-पिता की, गरीब की, पडोसी की, जिस किसीकी सेवा करो तो ‘यह बेचारा है... मैं इसकी सेवा करता हूँ... मैं नहीं होता तो इसका क्या होता... - ऐसा नहीं सोचो; भगवान के नाते सेवाकार्य कर लो और अपने को कर्ता मत मानो ।*
➡ *पाँचवीं बात : अपने तन-मन को, बुद्धि को विशाल बनाते जाओ । घर से, मोहल्ले से, गाँव से, राज्य से, राष्ट्र से भी आगे विश्व में अपनी मति को फैलाते जाओ और ‘सबका मंगल, सबका भला हो, सबका कल्याण हो, सबको सुख-शांति मिले, सर्वे भवन्तु सुखिनः... इस प्रकार की भावना करके अपने दिल को बडा बनाते जाओ । परिवार के भले के लिए अपने भले का आग्रह छोड दो, समाज के भले के लिए परिवार के हित का आग्रह छोड दो, गाँव के लिए पडोस का, राज्य के लिए गाँव का, राष्ट्र के लिए राज्य का, विश्व के लिए राष्ट्र का मोह छोड दो और विश्वेश्वर के साथ एकाकार होकर बदलनेवाले विश्व में सत्यबुद्धि तथा उसका आकर्षण और मोह छोड दो ।* 🙏🏻 *तब ऐसी विशाल मति जगजीत प्रज्ञा की धनी बन जायेगी ।*
🙏🏻 *मन के कहने में चलने से लाभ तो क्या होगा हानि अवश्य होगी क्योंकि मन इन्द्रिय-अनुगामी है, विषय-सुख की ओर मति को ले जाता है । लेकिन मति को मतीश्वर के ध्यान से, स्मरण से पुष्ट बनाओगे तो वह परिणाम का विचार करेगी, मन के गलत आकर्षण से सहमत नहीं होगी । इससे मन को विश्रांति मिलेगी, मन भी शुद्ध-सात्त्विक होगा और मति को परमात्मा में प्रतिष्ठित होने का अवसर मिलेगा, परम मंगल हो जायेगा ।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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