दुर्घटना मृत्यु के बावजूद आश्रित पत्नी को नहीं दिया क्लेम, न्यायालय ने माना सेवा में कमी का दोषी, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नागौर का फैसला
नागौर, 05 अक्टूबर, 2024 // देरी के सूचना दिए जाने का बहाना बनाकर बीमा कम्पनी मृतक आश्रित को दुर्घटना क्लेम देने से इंकार नहीं कर सकती। नागौर के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ऐसे ही एक मामले में फैसला सुनाते हुए बीमा कम्पनी को मृतक की पत्नी को बीमा क्लेम राशि देने का आदेश दिया है। मामले के अनुसार डेरवा, नागौर निवासी नीतू ने जिला आयोग में परिवाद पेश कर बताया कि उसके पति राजूराम ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रूपये प्रीमियम राशि अदा कर 2,00,000/- रूपये का बीमा करवा रखा था। बीमा अवधि में उनकी दुर्घटना मृत्यु हो गई, जिसका क्लेम पेश किए जाने पर बीमा कम्पनी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड ने देरी के आधार पर उसका क्लेम खारिज कर दिया जबकि उन्होंने बीमा कम्पनी को समय पर सूचित कर दिया था।
*बीमा कम्पनी की प्रतिरक्षा* आयोग के समक्ष बीमा कम्पनी ने बीमा दावा देरी से पेश किये जाने की प्रतिरक्षा लेते हुए बताया कि बीमित मृतक की मृत्यु 01.06.2021 को हुई, नियमानुसार मृत्यु की सूचना की तीस दिन में देते हुए बीमादावा पेश किया जाना चाहिए जबकि बीमादावा 15.06.2022 को पेश किया गया है। इस प्रकार देरी से क्लेम पेश किये जाने से उसे सही रूप से खारिज किया गया है। *आयोग का निर्णय* आयोग के अध्यक्ष नरसिंहदास व्यास, सदस्य बलवीर खुड़खुडिया व चन्द्रकला व्यास ने अपने फैसले में कहा कि दुर्घटना बीमा के मामले में जहां दुर्घटना साबित हो वहां बीमा कम्पनी देरी से सूचना देने को आधार बनाकर मृतक आश्रित को क्लेम देने से इंकार नहीं कर सकती। उन्होंने इस मामले में बीमा कम्पनी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड का सेवा दोष एवं अनुचित व्यापार व्यवहार मानते आदेश दिया कि वे मृतक बीमाधारक राजूराम की पत्नी नीतू को दो माह में दुर्घटना बीमा दावा राशि दो लाख रूपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करे। साथ ही बीमा कम्पनी, परिवादी को मानसिक वेदना व परिवाद व्यय के पांच-पांच हजार रुपए कुल दस हजार रूपये भी अदा करें।