💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक-31अक्टूबर 2024*
🌤️*दिन गुरुवार*
(दीपावली का त्यौहार)
🌤️*विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️*शक संवत -1946*
🌤️*अयन - दक्षिणायन*
🌤️*ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️*मास - कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र अश्विन)*
🌤️*पक्ष - कृष्ण*
🌤️*तिथि - चतुर्दशी 15:52:20 दोपहर तक तत्पश्चात अमावस्या*
*⛅नक्षत्र - चित्रा 24:43:42 रात्रि तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - विश्कुम्भ 09:49:31 प्रातःतक तत्पश्चात प्रीति*
🌤️*राहुकाल - दोपहर1:42 से शाम 03:05 तक*
🌤️*चन्द्र राशि~ कन्या till 11:14:38*
🌤️*चन्द्र राशि~ तुला from 11:14:38*
🌤️*सूर्य राशि~ तुला*
🌤️*सूर्योदय~ 06:45:12*
🌤️*सूर्यास्त~ 17:51:46:*
🌤️*लग्न~ सूर्योदय तुला 13°54' , 193°54
🌤️*सूर्य नक्षत्र~ स्वाति*
🌤️*चन्द्र नक्षत्र~ चित्रा*
🍀प्रदोष काल~17:52 - 20:26 शुभ*
🍀अमृत काल 05:32 पी एम से 07:20 पी एम*
🍀दिशा शूल~ दक्षिण*
🍀ब्रह्म मुहूर्त 05:02 ए एम से 05:53 ए एम*
🍀अभिजित मुहूर्त 11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
🍀निशिता मुहूर्त 11:53 पी एम से 12:45 ए एम, नवम्बर 01*
🌤️*चोघडिया, दिन*🌤️
शुभ 06:46 - 08:09 शुभ
रोग 08:09 - 09:32 अशुभ
उद्वेग 09:32 - 10:55 अशुभ
चर 10:55 - 12:18 शुभ
लाभ 12:18 - 13:42 शुभ
अमृत 13:42 - 15:05 शुभ
काल 15:05 - 16:28 अशुभ
शुभ 16:28 - 17:51 शुभ
🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
अमृत 17:51 - 19:28 शुभ
चर 19:28 - 21:05 शुभ
रोग 21:05 - 22:42 अशुभ
काल 22:42 - 24:19 अशुभ
लाभ 24:19 - 25:56 शुभ
उद्वेग 25:56 - 27:33 अशुभ
शुभ 27:33 - 29:10 शुभ
अमृत 29:10 - 30:47 शुभ
🌞दिवाली 2024 मुहूर्त🌞
दीवाली मुहूर्त नागौर अनुसार, इस साल दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
🌞दिवाली पूजा का महत्व🌞
दिवाली का पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सूर्यास्त उपरांत प्रदोष काल में श्री गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, महाकाली, कुबेर,
देहलीविनायक, दीपमालिका, आदि के पूजन करने का विशेष महत्व है। दिवाली के दिन दीपक जलाने के बाद कुछ लोग भोजन करते हैं।
*दिवाली क्यों नहीं मनाएं 1 नवंबर को?*
01 नवंबर को प्रदोष काल के आरम्भ काल में ही अमावस्या समाप्त हो रही है, *इसलिए इस दिन दिवाली नहीं मनाएं*। ज्योतिष शास्त्र में लिखा है कि नंदा तिथि में न होलिका दहन होता है और न दीपोत्सव मनाया जाता है।
🍀दिवाली कैलेंडर 2024 - राजस्थान नागौर के समयनुसार*
♦ 29 अक्टूबर मंगलवार धनतेरस ((हो गई))
♦ 30 अक्टूबर बुधवार काली चौदस((हो गई))
♦ 31 अक्टूबर गुरुवार दिवाली
♦ 01 नवंबर शुक्रवार (अन्नकूट)
♦ 02 नवम्बर शनिवार(भाई दूज)
🌞दिवाली 2024 में *चोपड़ा खरीदी* के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
- *अभिजीत मुहूर्त*: सुबह 11:56 से 12:41 तक
- *होरा मुहूर्त*: दोपहर 01:14 से 02:09 तक
- *होरा मुहूर्त*: दोपहर 03:05 से 04:00 तक
🌞चोपड़ा पूजन तारीख 31 अक्टूबर 2024*
- *संध्या पूजा*: शाम 04:28 से 05:51 तक
इन मुहूर्त में चोपड़ा खरीदने से आपको व्यापार और वित्तीय जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होने की मान्यता है।
🌞इस साल 31 अक्टूबर 2024 को दिवाली मनाई जाएगी।🌞
इस संयोग में खरीदारी करना अति शुभ होता है। मान्यता है कि यदि दिवाली पर जमीन, घर, गाड़ी या सोना-चांदी खरीदा जाए, तो परिवार में सुख - समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आइए इस दिन के मुहूर्त के बारे में जानते हैं।
🌞दिवाली 2024 पूजन मुहूर्त🌞
इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 52:21 मिनट से शुरू होगी, जिसका समापन 01 नवंबर को शाम 6 बजकर 16:09 मिनट पर होगा।
🌞लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024 को
🍀गोधूलि बेला~ 05:52pm से 6:18 pm तक*
🍀प्रदोष काल~17:51 - 20:25 शुभबजे के बीच है।
🍀वृषभ लग्न- 06:40 pm से 08:36pm तक*
🍀सिंह लग्न - 01:10 am, नवम्बर 01 से 03:26 am, नवम्बर 01,2024*
यह मुहूर्त समय देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, जब प्रदोष काल होता है।
🌞लक्ष्मी पूजा 31अक्टूबर 2024 को की जाएगी क्योंकि अमावस्या का चंद्रमा 31अक्टूबर 2024 को दिखाई देगा।(चंद्रोदय 30:25:57)*
🌞 31अक्तूबर 2024को गाडी - बाइक खरीदने का शुभ मुहूर्त*
उत्तम - दोपहर 04.28 - शाम 05.51
सर्वोत्तम - शाम 05.51 - रात 07.28
सामान्य - रात 07.28 - रात 09.05
🌞इस पूजन के अनुसार आप अपने घर पर ही मां लक्ष्मी की अच्छी तरह से अपने कुल देवताओं के साथ में पूजन कर सकते हैं इसका एक छोटा सा स्वरूप मैं आपके इस पंचांग में दिया है आप इसे उपयोग में लाकर देखें आपके जीवन में क्या बदलाव आते हैं आप बताएं।
#दीपावलीसंक्षिप्त_महालक्ष्मीपूजन!!
दीपावली का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इसी दिन महालक्ष्मी की साधना करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है .. गृहस्थ जीवन में बिना लक्ष्मी की कृपा के कुछ नहीं हो सकता ..इसीलिए साधक पूरी गंभीरता से महालक्ष्मी की साधना करे
.
■यह पूजन आप श्रीयंत्र,दस महाविद्या यन्त्र ,या कोइ भी रत्न या रुद्राक्ष पर या कुछ नही तो सुपारी पर कर सकते हैं .. उस सुपारी को अपनी तिजोरी मे रखें .. अगले साल उसे विसर्जित कर नयी सुपारी पर पुजन करेंगे .महालक्ष्मी पूजन के साथ कुबेर का पूजन भी करेंगे
पूजन सामग्री हल्दी,कुमकुम ,चन्दन ,अष्टगंध,अक्षत, इत्र ,कपूर,फुल,फल,मिठाई ,पान,अगरबत्ती,दीपक आदि रखें ..महालक्ष्मी पूजन में कभी भी कोई कंजूसी न करे ..यथाशक्ति अच्छी से अच्छी सामग्री रखें ..जैसे मिठाई,अगरबत्ती , फुल अच्छी क्वालिटी रखें वातावरण प्रसन्न रखें .घर को सजायें .महालक्ष्मी जी को सजावट और प्रसन्न वातावरण और सफाई पसंद है।
■सबसे पहले आपके सामने गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र या महाविद्या यन्त्र या फोटो जो भी साधन सामुग्री हो उसे रखे ..दीपक और अगरबत्ती जलाएं ..
पहले गुरु स्मरण ,गणेश स्मरण करेंगे ..
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
■अब आप 4 बार आचमन करे ( दाएं हाथ में पानी लेकर पिएँ )
श्रीं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं विद्या तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं शिव तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
■अब आप घंटा नाद करें और उसे पुष्प अक्षत अर्पण करे
घंटा देवताभ्यो नमः।
अब आप जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करें
आसन देवताभ्यो नमः
अब आप दीपपूजन करे उन्हें प्रणाम करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे
दीप देवताभ्यो नमः।
■अब आप कलश का पूजन करेंगे उसमे गंध ,अक्षत ,पुष्प , तुलसी, इत्र , कपूर डालें उसे तिलक करेंगे .
कलश देवताभ्यो नमः।
■अब आप अपने आप को तिलक करे
और दाहिने हाथ में जल,पुष्प,अक्षत
लेकर संकल्प करे की आप अपना नाम गोत्र बोलकर आज दीपावली के शुभ मुहूर्त पर यथा शक्ति महालक्ष्मी पूजन कर रहे हैं और वे आपका पूजन ग्रहण करे और आप पर हमेशा कृपा दृष्टि रखे या आपकी जो मनोकामना है उसे पूरी करे और जल को पूजन स्थान पर छोडें
■अब आप गणेशजी का स्मरण करें गणेशजी महालक्ष्मी के मानस पुत्र हैं ..इसीलिए उनका पूजन इस महालक्ष्मी पूजन में महत्त्व पूर्ण है।
llवक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा ll
श्री महागणपति आवाहयामि मम पूजन स्थाने ऋद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः।
त्वां चरणे गन्धाक्षत पुष्पं समर्पयामि।
ॐ श्री गणेशाय नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः नैवेद्यं समर्पयामि
■अब नीचे दिये हुये नामों से गणेश जी को दुर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे
गं सुमुखाय नम:
गं एकदंताय नम:
गं कपिलाय नम:
गं गजकर्णकाय नम:
गं लंबोदराय नम:
गं विकटाय नम:
गं विघ्नराजाय नम:
गं गणाधिपाय नम:
गं धूम्रकेतवे नम:
गं गणाध्यक्षाय नम:
गं भालचंद्राय नम:
गं गजाननाय नम:
गं वक्रतुंडाय नम:
गं शूर्पकर्णाय नम:
गं हेरंबाय नम:
गं स्कंदपूर्वजाय नम:
अब गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करे
एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात।
आप चाहे तो यहाँ गणपती अथर्वशीर्ष का अन्य किसी गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
अनेन पूजनेन श्री महागणपति देवता प्रीयन्तां न मम।
■अब भगवान विष्णु का पूजन करे। महालक्ष्मी विष्णु पत्नी है।
जहां विष्णु का पूजन होता है वहाँ लक्ष्मी अपने आप आती है।
विष्णु ध्यान :-
शान्ताकारं भुजंग शयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगीर्भि ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम्
ॐ श्री विष्णवे नमः श्री महाविष्णु आवाहयामि मम पूजा स्थाने स्थापयामि पूजयामि नमः।
ॐ श्री विष्णवे नमः गंधाक्षत समर्पयामि।
ॐ श्री विष्णवे नमः पुष्पं समर्पयामि।
ॐ श्री विष्णवे नमः धूपं समर्पयामि।
ॐ श्री विष्णवे नमः दीपं समर्पयामि।
ॐ श्री विष्णवे नमः नैवेद्यं समर्पयामि।
आप चाहें तो यहाँ पुरुषसूक्त,विष्णुसूक्त का पाठ कर सकते हैं।
■अब भगवान विष्णु के 24 नामोंसे तुलसी या पुष्प अर्पण करे
१. ॐ केशवाय नमः
२. ॐ नारायणाय नमः
३. ॐ माधवाय नमः
४. ॐ गोविन्दाय नमः
५. ॐ विष्णवे नमः
६. ॐ मधुसूदनाय नमः
७. ॐ त्रिविक्रमाय नमः
८. ॐ वामनाय नमः
९. ॐ श्रीधराय नमः
१०. ॐ ऋषिकेशाय नमः
११. ॐ पद्मनाभाय नमः
१२. ॐ दामोदराय नमः
१३. ॐ संकर्षणाय नमः
१४. ॐ वासुदेवाय नमः
१५. ॐ प्रद्युम्नाय नमः
१६. ॐ अनिरुद्धाय नमः
१७. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः
१८. ॐ अधोक्षजाय नमः
१९. ॐ नारसिंहाय नमः
२०. ॐ अच्युताय नमः
२१. ॐ जनार्दनाय नमः
२२. ॐ उपेन्द्राय नमः
२३. ॐ हरये नमः
२४. ॐ श्रीकृष्णाय नमः।
■अब भगवान विष्णु को अर्घ्य प्रदान करें
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात।
अनेन पूजनेन श्री महाविष्णु देवता प्रियन्ताम् न मम।
अब आप महालक्ष्मी का ध्यान करेंगे ..
■फिर चाहे तो महालक्ष्मी हृदय स्तोत्र से आवाहन करें ..वैसे तो यह स्तोत्र बहुत बडा़ है।
महालक्ष्मी का आवाहन करें ..आवाहन के लिये संक्षिप्त हृदय स्तोत्र का
या ध्यान मंत्र का पाठ करें
~ध्यान मंत्र~
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया
या लक्ष्मी दिव्यरुपै मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सानित्यं पद्महस्ता मम वसतु गॄहे सर्वमांगल्ययुक्ता
श्री महालक्ष्मी आवाहयामि मम गृहे मम कुले मम पूजा स्थाने आवाहयामि स्थापयामि नमः।
(अगर आपको मुद्रा का ज्ञान हो तो भगवती महालक्ष्मी के लिए पद्ममुद्रा दिखाए )
फिर पुष्प अक्षत अर्पण करे ..और उनका पंचोपचार या षोडश उपचार पूजन करे
( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आवाहनं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर दो आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पाद्यो पाद्यं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर जल में चन्दन अष्ट गंध मिलाकर अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अर्घ्यम समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर एक आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
( नीचे का मन्त्र बोलकर स्नान के लिए जल अर्पण करें यहाँ आप चाहें तो श्रीसूक्त या अन्य किसी महालक्ष्मी स्तोत्र से अभिषेक कर सकते हैं )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि
( नीचे का मन्त्र बोलकर मौली लाल धागा या अक्षत अर्पण करें )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि
(नीचे कामन्त्र बोलकर मौली या अक्षत अर्पण करें )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः उपवस्त्रं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः हरिद्रा कुमकुम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः चन्दन अष्ट गंधं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः सुगन्धित द्रव्यम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अलंकारार्थे अक्षतान समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालाम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः फलं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि'
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः कर्पुर आरती समर्पयामि
अब आप अष्ट सिद्धियों का पूजन करें
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करें
ॐ अणिम्ने नमः।
ॐ महिम्ने नमः
ॐ गरिम्ने नमः
ॐ लघिम्ने नमः
ॐ प्राप्त्यै नम:।
ॐ प्राकाम्यै नमः
ॐ इशितायै नमः।
ॐ वशितायै नमः।
■अब आप अष्टलक्ष्मी का पूजन करें
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करें
ॐ आद्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धन लक्ष्म्यै नमः
ॐ धान्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धैर्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ गज लक्ष्म्यै नमः
ॐ संतान लक्ष्म्यै नमः
ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः
ॐ विजय लक्ष्म्यै नमः
(यहाँ पर भगवती महालक्ष्मी की 32 नामावली अलग दी है उससे पूजन करें .अगर समय नहीं है तो इसको छोडकर आगे का पूजन कर सकते हैं )
साधक एकेक नाम पढ़कर पुष्प अक्षत चढ़ाते जाएंगे।
1. ॐ श्रियै नमः।
2. ॐ लक्ष्म्यै नमः।
3. ॐ वरदायै नमः।
4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।
5. ॐ वसुप्रदायै नमः।
6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।
7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः।
8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः।
9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः।
10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।
11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः।
12. ॐ पद्महस्तायै नमः।
13. ॐ पद्मप्रियायै नमः।
14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः।
15. ॐ सूर्यायै नमः।
16. ॐ चंद्रायै नमः।
17. ॐ बिल्वप्रियायै नमः।
18. ॐ ईश्वर्यै नमः।
19. ॐ भुक्त्यै नमः।
20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।
21. ॐ विभूत्यै नमः।
22. ॐ ऋद्धयै नमः।
23. ॐ समृद्ध्यै नमः।
24. ॐ तुष्टयै नमः।
25. ॐ पुष्टयै नमः।
26. ॐ धनदायै नमः।
27. ॐ धनैश्वर्यै नमः।
28. ॐ श्रद्धायै नमः।
29. ॐ भोगिन्यै नमः।
30. ॐ भोगदायै नमः।
31. ॐ धात्र्यै नमः।
32. ॐ विधात्र्यै नमः।
■अब एक आचमनी जल लेकर पूजा स्थान पर छोड़े
अनेन महालक्ष्मी द्वात्रिंश नाम पूजनेन श्री भगवती महालक्ष्मी देवता प्रीयन्तां मम।
■अब महालक्ष्मी के पुत्रों का पूजन करें
(अगर समय है तो करें )
१. ॐ देवसखाय नमः
२. ॐ चिक्लीताय नमः
३. ॐ आनंदाय नमः
४. ॐ कर्दमाय नमः
५. ॐ श्रीप्रदाय नमः
६. ॐ जातवेदाय नमः
७. ॐ अनुरागाय नमः
८. ॐ संवादाय नमः
९. ॐ विजयाय नमः
१०. ॐ वल्लभाय नमः
११. ॐ मदाय नमः
१२. ॐ हर्षाय नमः
१३. ॐ बलाय नमः
१४. ॐ तेजसे नमः
१५. ॐ दमकाय नमः
१६. ॐ सलिलाय नमः
१७. ॐ गुग्गुलाय नमः
१८. ॐ कुरूण्टकाय नमः
अनेन पूजनेन श्री महालक्ष्मी पुत्र सहित श्री महालक्ष्मी प्रियन्ताम् न मम।
■हाथ जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करेंगे
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा इश्वरी कमला लक्ष्मीश्चचला भूतिर हरिप्रिया पद्मा पद्मालया संपदुच्चे: श्री: पद्माधारिणी
द्वादशैतानी नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्र दारादीभि : सह।
अब आचमनी मे जल और कुंकुम लेकर महालक्ष्मी गायत्री से अर्घ्य दे सकते है ..
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात।
हाथ जोड़ कर माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना करे _
त्राहि त्राहि महालक्ष्मी त्राहि त्राहि सुरेश्वरी त्राहि त्राहि जगन्माता दरिद्रात त्राही वेगत :
त्वमेव जननी लक्ष्मी त्वमेव पिता लक्ष्मी भ्राता त्वं च सखा लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी त्वमेव च
रक्ष त्वं देव देवेशी देव देवस्य वल्लभे
दरिद्रात त्राही मां लक्ष्मी कृपां कुरु ममोपरी
माँ महालक्ष्मी मम गृहे मम कुले मम परिवारे मम गोत्रे मम हृदये
सदा स्थिरो भव प्रसन्नो भव वरदो भव
■अब आप प्रार्थना करे की आपका महालक्ष्मी पूजन पूर्ण रूप से फले ..
#दीपावली का कुबेर पूजन ★
भगवान कुबेर देवोंके कोषाध्यक्ष है। इनकी साधना से धन ,धान्य ,ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति हो जाती है। इनकी पूजा सामान्यत: दीपावली पर्व में धन तेरस और लक्ष्मीपूजन के पर्व पर भगवती महालक्ष्मी के साथ की जाती है
आप इन्हे स्वतंत्र रूप से भी पूज सकते है।
★यहां पर मैं सिर्फ उनका ध्यान और उनका पूजन दे रहा हूँ आप इस पूजन को दीपावली के महालक्ष्मी पूजन में महालक्ष्मी जी के पूजन से पहले या महालक्ष्मी जी के पूजन के अंत में जोड़कर करें
★पहले महालक्ष्मी पूजन करे और फिर
कुबेर जी का ध्यान मन्त्र पढ़कर उनका आवाहन करे और पूजन स्थान में पुष्प अक्षत अर्पण करे
★कुबेर ध्यान :-
----------------
llमनुज बाह्य विधान वरस्थितं गरुड़ रत्ननिभं निधिनायकं
शिवसखं मुकुटादि विभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलंll
ॐ श्री कुबेराय नमः ध्यायामि
कुबेर आवाहन मंत्र :-
--------------------------
आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु
कोशं वर्द्धय नित्यं , त्वं परिरक्ष सुरेश्वर
ॐ श्री कुबेराय नमः आवाहयामि
आवाहनार्थे पुष्प अक्षत समर्पयामि
अब भगवान कुबेर का पंचोपचार पूजन करेंगे
ॐ श्री कुबेराय नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री कुबेराय नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री कुबेराय नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री कुबेराय नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री कुबेराय नमः नैवेद्यं समर्पयामि
★अब भगवान कुबेर का आवरण पूजन करे।
(जिन्हे संक्षिप्त पूजन करना है वे कुबेर का आवरण पूजन ना करे और कुबेर के ध्यान आवाहन और पंचोपचार पूजन के बाद सीधे 108 नामावली से पूजन करे
वैसे आवरण पूजन छोटा है तो आप चाहे तो कर सकते है जिससे भगवान कुबेर अपने पुरे परिवार सहित आप पर कृपा कर सकते हैं )सर्वप्रथम आवरण पूजन हेतु पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ संविन्मय: परो देव: परामृत रसप्रिय:
अनुज्ञां देहि धनद परिवाराय अर्चनाय मे
★अब आवरण पूजन में पूजन हेतु पुष्प अक्षत और तर्पण हेतु एक आचमनी जल छोड़े
★प्रथम आवरण :-
-----------------
ॐ यक्षाय हृदयाय नम: हृदय शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ कुबेराय शिरसे स्वाहा शिर शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ वैश्रवणाय शिखायै वषट शिखा शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ धनधान्याधिपतये कवचाय हुं कवच शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ धन धान्य समृद्धिं मे नेत्र त्रयाय वौषट् नेत्र शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ देहि दापय स्वाहा अस्त्राय फट अस्त्र शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
अब पुष्प अक्षत अर्पण करेंगे
अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं प्रथम आवरण अर्चनम।
अब 3 आचमनी जल छोड़े
अनेन प्रथम आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम
★द्वितीय आवरण :-
-----------------
ॐ यक्षाय नम: यक्ष श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ वैश्रवणाय नमः वैश्रवण श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः,
ॐ धनदाय नमः धनद श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ वित्तेश्वराय नमः वित्तेश्वर श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ धनाध्यक्षाय नमः धनाध्यक्ष श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ निधिनायकाय नमः निधिनायक श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ धान्याधिपतये नमः धान्याधिपति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ शिवसखाय नमः शिवसखा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
अब पुष्प अक्षत अर्पण करे
अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं द्वितीय आवरण अर्चनम
और 3 आचमनी जल छोड़े
अनेन द्वितीय आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम
★तृतीय आवरण :-
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ॐ इन्द्राय नम: इंद्र श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ अग्नये नमः अग्नि श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ यमाय नमः यम श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ निऋतये नमः निऋति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ वरुणाय नमः वरुण श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ वायवे नमः वायु श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ सोमाय नमः सोम श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ ईशानाय नमः ईशान श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ ब्रह्मणे नमः ब्रह्मा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
ॐ अनंताय नमः अनंत श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः
अब पुष्प अक्षत अर्पण करे
अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं तृतीय आवरण अर्चनम।
और 3 आचमनी जल छोड़े।
अनेन तृतीय आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम
★चतुर्थ आवरण :-
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कुछ पद्धतियों में अस्त्रों का तर्पण करते है और कुछ में नहीं करते
इस पद्धति में अस्त्रोंका तर्पण नहीं दिया है तो सिर्फ पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ वज्राय नम: वज्र श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ शक्तये नमः शक्ति श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ दण्डाय नमः दण्ड श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ खड्गाय नमः खड्ग श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ पाशाय नमः पाश श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ अंकुशाय नमः अंकुश श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ गदायै नमः गदा श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ त्रिशूलाय नमः त्रिशूल श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ पद्माय नमः पद्म श्री पादुकां पूजयामि नमः
ॐ चक्राय नमः चक्र श्री पादुकां पूजयामि नमः
★अब पुष्प अक्षत अर्पण करेंगे
अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं चतुर्थ आवरण अर्चनम
और 3 आचमनी जल छोड़े
अनेन चतुर्थ आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम
फिर से गंध अक्षत पुष्प अर्पण करे_
सर्व आवरण देवता सहित श्री कुबेराय नमः पुनः गंध अक्षत पुष्पं समर्पयामि
★अब कुबेर जी के अष्टोत्तर शत नाम (108 ) से पुष्प अक्षत अर्पण करे
१. ॐ कुबेराय नमः
२. ॐ धनदाय नमः
३. ॐ श्रीदाय नमः
४. ॐ यक्षेशाय नमः
५. ॐ गुह्यकेश्वराय नमः
६. ॐ निधिशाय नमः
७. ॐ शंकरसखाय नमः
८. ॐ महालक्ष्मीनिवासभुवे नमः
९. ॐ महापद्मनिधिशाय नमः
१०. ॐ पूर्णाय नमः
११. ॐ पद्मनिधीश्वराय नमः
१२. ॐ शख्यान्खनिधिनाथाय नमः
१३. ॐ मकराख्य निधिप्रियाय नमः
१४. ॐ कच्छपाख्य निधिशाय नमः
१५. ॐ मुकुंद निधिनायकाय नमः
१६. ॐ कुन्दाख्य निधिनाथाय नमः
१७. ॐ नीलनिध्यधिपाय नमः
१८. ॐ महते नमः
१९. ॐ खर्वनिध्यधिपाय नमः
२०. ॐ पूज्याय नमः
२१. ॐ लक्ष्मी साम्राज्य दायकाय नमः
२२. ॐ इलविलापत्याय नमः
२३. ॐ कोषाधिशाय नमः
२४. ॐ कलोचिताय नमः
२५. ॐ अश्वारूढाय नमः
२६. ॐ विश्ववन्द्याय नमः
२७. ॐ विशेषज्ञाय नमः
२८. ॐ विशारदाय नमः
२९. ॐ नलकूबर ताताय नमः
३०. ॐ मणिग्रीवपित्रे नमः
३१. ॐ गूढ़मन्त्राय नमः
३२. ॐ वैश्रवणाय नमः
३३. ॐ चित्रलेखामन:प्रियाय नमः
३४. ॐ एकपिंगाय नमः
३५. ॐ अलकाधीशाय नमः
३६. ॐ पौलस्त्याय नमः
३७. ॐ नरवाहनाय नमः
३८. ॐ कैलासशैलनिलयाय नमः
३९. ॐ राज्यदाय नमः
४०. ॐ रावणाग्रजाय नमः
४१. ॐ चित्रचैत्ररथोदयानविहार सुकुतूहलाय नमः
४२. ॐ महोत्साहाय नमः
४३. ॐ महाप्राज्ञाय नमः
४४. ॐ सदापुष्पकवाहनाय नमः
४५. ॐ सार्वभौमाय नमः
४६. ॐ अंगनाथाय नमः
४७. ॐ सोमाय नमः
४८. ॐ सौम्यदिगीश्वराय नमः
४९. ॐ पुण्यात्मने नमः
५०. ॐ पुरुहूतश्रिये नमः
५१. ॐ पुण्यजनेश्वराय नमः
५२. ॐ नित्यकीर्तये नमः
५३. ॐ नीतिवेत्रे नमः
५४. ॐ लंकाप्राक्तननायकाय नमः
५५. ॐ यक्षाय नमः
५६. ॐ परमशांतात्मने नमः
५७. ॐ यक्षराजे नमः
५८. ॐ यक्षिणीवृत्ताय नमः
५९. ॐ किन्नरेशाय नमः
६०. ॐ किम्पुरुषाय नमः
६१. ॐ नाथाय नमः
६२. ॐ खड्गयुधाय नमः
६३. ॐ वशिने नमः
६४. ॐ ईशानदक्षपार्शस्थाय नमः
६५. ॐ वायुवामसमाश्रयाय नमः
६६. ॐ धर्ममार्गैक निरताय नमः
६७. ॐ धर्मसम्मुखसंस्थिताय नमः
६८. ॐ नित्येश्वराय नमः
६९. ॐ धनाध्यक्षाय नमः
७०. ॐ अष्टलक्ष्म्याश्रितालयाय नमः
७१. ॐ मनुष्यधर्मिणे नमः
७२. ॐ सदवृताय नमः
७३. ॐ कोषलक्ष्मी समाश्रिताय नमः
७४. ॐ धनलक्ष्मी नित्यवासाय नमः
७५. ॐ धान्यलक्ष्मी निवासभुवे नमः
७६. ॐ अश्वलक्ष्मी सदावासाय नमः
७७. ॐ गजलक्ष्मी स्थिरालयाय नमः
७८. ॐ राज्यलक्ष्मी जन्मगेहाय नमः
७९. ॐ धैर्यलक्ष्मी कृपाश्रयाय नमः
८०. ॐ अखण्डैश्वर्य संयुक्ताय नमः
८१. ॐ नित्यानंदाय नमः
८२. ॐ सुखाश्रयाय नमः
८३. ॐ नित्यतृप्ताय नमः
८४. ॐ निधेरदात्रे नमः
८५. ॐ निराशाय नमः
८६. ॐ निरुपद्रवाय नमः
८७. ॐ नित्यकामाय नमः
८८. ॐ निराकान्क्षाय नमः
८९. ॐ निरुपाधिकवासभुवे नमः
९०. ॐ शान्ताय नमः
९१. ॐ सर्वगुणोपेताय नमः
९२. ॐ सर्वज्ञाय नमः
९३. ॐ सर्वसम्मताय नमः
९४. ॐ शर्वाणीकरुणापात्राय नमः
९५. ॐ शतानन्दकृपालयाय नमः
९६. ॐ गन्धर्वकुलसंसेव्याय नमः
९७. ॐ सौगन्धिककुसुमप्रियाय नमः
९८. ॐ सुवर्णनगरीवासाय नमः
९९. ॐ निधिपीठसमाश्रयाय नमः
१००. ॐ महामेरुत्तरस्थायिने नमः
१०१. ॐ महर्षिगणसंस्तुताय नमः
१०२. ॐ तुष्टाय नमः
१०३. ॐ शूर्पणखाज्येष्ठाय नमः
१०४. ॐ शिवपुजारताय नमः
१०५. ॐ अनघाय नमः
१०६. ॐ राजयोगिने नमः
१०७. ॐ राजराजाय नमः
१०८. ॐ राजशेखरपूजकाय नमः
★एक आचमनी लेकर छोड़े
अनेन अष्टोत्तर शत नामावली द्वारा धनधान्याधिपतये श्री कुबेर देवता प्रीयन्तां न मम
अब कुबेर गायत्री से अर्घ्य प्रदान करे
अर्घ्य के लिए पानी में कुंकुम अष्टगंध ,फूल आदि मिलाकर अर्पण करे
ॐ यक्षराजाय विद्महे वैश्रवणाय च धीमहि तन्नो कुबेर: प्रचोदयात। अंत में आप मां लक्ष्मी की आरती मंत्र पुष्पांजलि अर्चना प्रदक्षिणा अवश्य
ll आरती ll
महालक्ष्मीजी की आरती : मंत्र-पुष्पांजलि तथा क्षमायाचना सहित...
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय...
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय...
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय...
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय...
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय...
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय...
(आरती करके शीतलीकरण हेतु जल छोड़ें एवं स्वयं आरती लें, पूजा में सम्मिलित सब लोगों को आरती दें फिर हाथ धो लें।)
मंत्र-पुष्पांजलि :
( अपने हाथों में पुष्प लेकर निम्न मंत्रों को बोलें) :-
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।
स मे कामान् कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ॥
कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयामि ।
(हाथ में लिए फूल महालक्ष्मी पर चढ़ा दें।)
प्रदक्षिणा करें, साष्टांग प्रणाम करें, अब हाथ जोड़कर निम्न क्षमा प्रार्थना बोलें :-
क्षमा प्रार्थना :
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ॥
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु मे ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम् मम देवदेव ।
पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पापसम्भवः ।
त्राहि माम् परमेशानि सर्वपापहरा भव ॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥
पूजन समर्पण :
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-
'ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्री महालक्ष्मीः प्रसीदतुः'
(जल छोड़ दें, प्रणाम करें)
विसर्जन :
अब हाथ में अक्षत लें (गणेश एवं महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी) प्रतिष्ठित देवताओं को अक्षत छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जन कर्म करें :-
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् ।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च ॥
ॐ आनंद ! ॐ आनंद !! ॐ आनंद !!!
॥ श्री महालक्ष्मी पूजन विधि सम्पूर्णम्॥
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🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮 🌺💫
*💫आप को व आपके पूरे परिवार को हमारी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं दीपावली का त्यौहार अच्छे से मनाईये राम राम।।
*💫~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*मंगल दोष,पितृ दोष,काल सर्प, गुरु चांडाल योग, वैधृति योग की शांति पूजा के लिए या जाप के लिए सम्पर्क करें -/*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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