💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक-30अक्टूबर 2024*
🌤️ *दिन - बुधवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र अश्विन)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - त्रयोदशी 13:14:56 दोपहर तक त्रयोदशी *
*⛅नक्षत्र - हस्त रात्रि 09:42:33 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - वैधृति प्रातः 08:50:03 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
🌤️ *राहुकाल - शाम 12:18 से शाम 01:42 तक*
🌤️ *चन्द्र राशि~ कन्या*
🌤️ *सूर्य राशि~ तुला*
🌤️ *सूर्योदय~ 06:45:12 *
🌤️ *सूर्यास्त~ 17:51:46*
🌤️ *लग्न~ तुला 12°54' , 192°54'*
🌤️ *सूर्य नक्षत्र~ स्वाति*
🌤️ *चन्द्र नक्षत्र~ हस्त*
🌤️*प्रदोष काल~17:52 - 20:26 शुभ*
🌤️*चोघडिया, दिन*🌤️
लाभ 06:45 - 08:09 शुभ
अमृत 08:09 - 09:32 शुभ
काल 09:32 - 10:55 अशुभ
शुभ 10:55 - 12:18 शुभ
रोग 12:18 - 13:42 अशुभ
उद्वेग 13:42 - 15:05 अशुभ
चर 15:05 - 16:28 शुभ
लाभ 16:28 - 17:52 शुभ
🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
उद्वेग 17:52 - 19:29 अशुभ
शुभ 19:29 - 21:05 शुभ
अमृत 21:05 - 22:42 शुभ
चर 22:42 - 24:19 शुभ
रोग 24:19 - 25:56 अशुभ
काल 25:56 - 27:32 अशुभ
लाभ 27:32 - 29:09 शुभ
उद्वेग 29:09 - 30:46 अशुभ
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:01 से 05:53 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:53 अक्टूबर 30 से रात्रि 12:45 अक्टूबर 31 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - काली चौदस, नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्र जप से मंत्रसिद्धि), हनुमान पूजा, मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:44 से रात्रि 09:43 तक)*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌤️ *रूप चौदस यानी छोटी दीपावली🌤️ *
दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली,रूप चौदस और काली चतुर्दशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इसी दिन शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। इस पर्व का जो महत्व है उस दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्योहार है। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस फिर नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली। इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले रात के वक्त उसी प्रकार दीए की रोशनी से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को।
क्या है इसकी कथा-
इस रात दीए जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है।
इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक दूसरी कथा यह है कि रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए।
यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है।
यह सुनकर यमदूत ने कहा कि हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक बार एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पापकर्म का फल है। इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा। तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा।
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।
क्या है इसका महत्व- इस दिन के महत्व के बारे में कहा जाता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने करके विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना करना चाहिए। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।
कई घरों में इस दिन रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जला कर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे ले कर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीए को नहीं देखते। यह दीया यम का दीया कहलाता है। माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं।
▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮 🌺💫
*💫~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*मंगल दोष,पितृ दोष,काल सर्प, गुरु चांडाल योग, वैधृति योग की शांति पूजा के लिए या जाप के लिए सम्पर्क करें -/*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻