💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 26 अक्टूबर 2024
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 05:23:19 रात्रि तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - आश्लेषा 09:44:50सुबह तक मघा*
*⛅योग - शुभ 04:56:12 प्रातः तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 09:31 से 10:55 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:41:36*
*⛅सूर्यास्त - 05:54:55*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
काल 06:43 - 08:07 अशुभ
शुभ 08:07 - 09:31 शुभ
रोग 09:31 - 10:55 अशुभ
उद्वेग 10:55 - 12:19 अशुभ
चर 12:19 - 13:43 शुभ
लाभ 13:43 - 15:07 शुभ
अमृत 15:07 - 16:31 शुभ
काल 16:31 - 17:55 अशुभ
*⛅चोघडिया, रात्रि⛅*
लाभ 17:55 - 19:31 शुभ
उद्वेग 19:31 - 21:07 अशुभ
शुभ 21:07 - 22:43 शुभ
अमृत 22:43 - 24:19* शुभ
चर 24:19* - 25:55* शुभ
रोग 25:55* - 27:31* अशुभ
काल 27:31* - 29:07* अशुभ
लाभ 29:07* - 30:43* शुभ
*⛅दीपावली दिनांक 31 अक्टूबर 2024 को ही मनाई जायेगी ⛅*
*⛅ इस वर्ष दीपावली के विषय में बड़े असमंजस की स्थिति बनी हुई है की दिनांक 31 को मनाये या तारीख । नवम्बर को निर्णय सागर पंचांग पृष्ठ 23 पर दीपावली निर्णय दिया गया इस विषय में निर्णय सिन्धु-व्रत परिचय, जयसिंह कल्पद्रुम, व्रतराज व राजमार्तण्ड में दिये गये निर्णय का अवलोकन किया। यह दीपावली प्रदोष अर्द्धरात्रि व्यापिनी मुख्य मानी गई है ।
"प्रदोषार्द्ध रात्रव्यापिनी" अर्थात् अर्द्धरात्रि एवं प्रदोष काल मुख्य है। यदि अर्द्धकाल व्यापिनी न हो तो प्रदोष काल मुख्य है यानि दोनों में एक अमावस्या घड़ियों में होनी आवश्यक है -प्रदोष काल सूर्यास्त से 144 मिनट का होता है। पंचांग के अनुसार चतुर्दशी को सूर्यास्त से लेकर प्रदोष काल एवं अर्द्धरात्रिव्यापिनी अमावस्या पूर्ण रूप से है जबकि अमावस्या तारीख 1 नवम्बर को सूर्यास्त से 25 मिनट तक यानि 5/52 से 6/१८) तक है यानि प्रदोष काल में अमावस्या सिर्फ 25 मिनिट ही है। शास्त्र में जो दूसरे दिन प्रदोष काल में पूजन का निर्णय दिया वह चतुर्दशी से अधिक अमावस्या प्रदोष काल में हो तभी उसे मान्य किया गया।
राजमार्तण्डे वर्षकृत्य
अमावस्या यदा रात्रौ, दिवाभागे चतुर्दशी।
पूजनीया तदा लक्ष्मीर्विज्ञेया सुखरात्रिका।। पृष्ठ सं. 202
अर्धरात्रे भ्रमत्येव लक्ष्मीराश्रयितुं गृहान्
*⛅ निर्णय सागर एवं उनके दृग्पक्षीय सहयोगी निम्न श्लोक पर जोर दे रहे है।
"दण्डैक रजनी योगे, दर्श स्यात्तु परेऽहनि । तदा विहाय पूर्वेद्युः परेऽहनि सुखरात्रिकाः"
इस श्लोक में रजनी एवं दर्श शब्द का कुछ धर्माचार्य संस्कृतमर्मज्ञ पण्डितो से विश्लेषण कराकर अपना मत देते तो अच्छा रहता लेकिन कम्प्यूटरीय पंडितो से तथाकथित अर्थ से हिन्दु समाज की बड़ी किरकिरी करा दी।
रजनी का अर्थ अमरकोश में देखा
"निशा निशिथिनी रात्रिस्त्रियामा क्षणदा क्षपा
विभावरी तमस्विन्यौ रजनी यामिनी तभी ॥
यहां त्रियामिनी (तीन प्रहर) घोर रात्रि को रजनी कहा है अर्थात् प्रदोष बाद अर्द्धरात्रिव्यापिनी एवं दर्श का अर्थ (प्रतिपद्युक्त अमावस्या) है।
*⛅व्रतराज में इस श्लोक का अर्थ स्पष्ट रूप से दिया है कि एक दण्ड (घटी) रजनी के योग में परदिन में दर्श होता है उसे छोड़कर पहले दिन सुखरात्रिका (दीपावली) होती है। इतना स्पष्ट अर्थ होने पर भी विपरित मत पर जोर दे रहे है। प्रदोष को अमरकोष में प्रदोषे रजनी मुखम् यानि रात्रि का मुख कहा गया है रात्रि नहीं, अब आप ही बताये इस अमावस्या के दिन सिर्फ 25 मिनट के प्रदोष काल में ऐसी क्या विशेषता है जो पूर्ण प्रदोष व अर्द्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या का त्याग करे जबकि चतुर्दषी को सिंह लग्न में भी यह सुयोग है।
संवत् 2019 में निर्णय सागर पंचांग में भी यही स्थिति बनी थी. उस समय पं. रविशंकर जी ने चतुर्दशी को दीपावली तथा अमावस्या को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट लिखा था। उसवर्ष किसी ने भी मतभेद में विरोध नहीं किया इसवर्ष पंचांग के पृष्ठ 23में जो लिखा हुआ है वह संवत् 2019 का खण्डन है। पंचांग में अपने मत को सुदृढ करने के लिए इसवर्ष दिनांक 31.10.2024 को करने से पूर्व में किये गये पुण्य नष्ट होते है ऐसा लिखना केवल धार्मिक भावुक जनों को भ्रमित करना है।
आशा है कि सभी विद्वज्जन धर्मप्रेमी इस निवेदन को समझकर अपना हठ छोड़कर चतुर्दशी को दीपावली मनाने का निर्णय करेंगे।
नागौर विद्वज्जन की ओर से...
धनतेरस - 29-10-2024, रुपचतुर्दशी - 30-10-2024
दीपावली - 31-10-2024, अन्नकूट व गोवर्धन पूजन - 01-11-2024
नोट - गोवर्धन पूजन बलि पूजा में चन्द्र दर्शन (उदय) निषेध है जो अमावस्या में नही है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*मंगल दोष,पितृ दोष,काल सर्प, गुरु चांडाल योग, वैधृति योग की शांति पूजा के लिए या जाप के लिए सम्पर्क करें -/*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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