💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 25 अक्टूबर 2024
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - नवमी रात्रि 02:22:13 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य सुबह 07:38:58 तक अश्लेषा*
*⛅योग - शुभ 29:25:15 प्रातः तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 10:55 से 12:19 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:41:59*
*⛅सूर्यास्त - 05:55:45*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
चर 06:42 - 08:06 शुभ
लाभ 08:06 - 09:30 शुभ
अमृत 09:30 - 10:55 शुभ
काल 10:55 - 12:19 अशुभ
शुभ 12:19 - 13:43 शुभ
रोग 13:43 - 15:07 अशुभ
उद्वेग 15:07 - 16:32 अशुभ
चर 16:32 - 17:56 शुभ
*⛅चोघडिया, रात ⛅*
रोग 17:56 - 19:32 अशुभ
काल 19:32 - 21:07 अशुभ
लाभ 21:07 - 22:43 शुभ
उद्वेग 22:43 - 24:19 अशुभ
शुभ 24:19 - 25:55 शुभ
अमृत 25:55 - 27:31 शुभ
चर 27:31 - 29:07 शुभ
रोग 29:07 - 30:43 अशुभ
*⛅दीपावली 31 अक्टूबर को है। पर कुछ दोनों दिन दीपावली मनाने का समर्थन करके दैव मर्यादा में हस्तक्षेप कर रहे हैं।
*⛅ब्रह्मपुराण में कहा है कि, "अर्धरात्रि भ्रमत्येव लक्ष्मीं आश्रयितुं गृहान्.."अर्थात् लक्ष्मीजी कार्त्तिक अमावस्या की अर्धरात्रि में अपनी कृपा बरसाने के लिए आकाश में भ्रमण करती हैं और साफ सुंदर स्वच्छ सजे हुए घरों का आश्रय लेती हैं। इसीलिए दीपावली की रात्रि में घरों के दरवाजे खुले रखे जाते हैं।
*⛅जब राजा बलि ने भगवान् को सर्वस्व दान कर दिया और स्वयं पाताल में गए। तब उन्हें भोग के लिए केवल कार्त्तिक अमावस्या की रात्रि दी गयी, इसलिए इस दिन राजा बलि का शासन होता है। जब बलि के शासन से माता लक्ष्मी छूटीं तो आकाश में कृपा वृष्टि हेतु भ्रमण करती हैं।
*⛅यह कृपावृष्टि की रात्रि सदा एक रात्रि ही होगी। धरती पर विवाद फैलने से माता लक्ष्मी कभी भी दो दिन रात्रि में आकाश भ्रमण नहीं करेंगी, वे केवल एक रात्रि में कृपा बरसाएंगी जिसे सुखरात्री कहते हैं। जो लोग दो दिन 31 और 1 को दीपावली मनाने की बात करते हैं कि क्या फर्क पड़ता है, वे आज ही मना लें। क्या धरती पर मनमुख निर्णय करने वाले माता लक्ष्मी को दो दिन आकाश भ्रमण करने को कहेंगे? देवताओं के मर्यादा में धरतीवासी हस्तक्षेप करेंगे? दीपावली केवल 31 अक्टूबर को है, इसी रात्रि में माता लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाते हुए भ्रमण करेंगी।
*⛅दो दिन दीपावली कैसे मना सकते हैं? दीपावली कोई पांच मिनट का खेल नहीं है कि दो दिन मना लो। क्या दो दिन वन्दनवार लगाई जाएगी? दो दिन रंगोली सजेगी? दो दिन दीपावली पर माताएं व्रत करेंगी? दो दिन चौक सजेंगे? दो दिन चूने गेरू के मांडने बनेंगे? दो दिन अलग अलग पाने लगाए जाएंगे? दो दिन ईख, नारियल, अनार, दीपक, चीनी के खिलौने, खील, बताशे, रोली, सुपारी, घी, लौंग, इलायची, सिंघाड़े खरीदे जाएंगे? दो दिन माताएं दीपक मनसेंगी और मंदिर घरों पेड़ों के पास दीपक जलाएँगी? दो दिन नेग दिया जाएगा? दो दिन मुहूर्त्त पूजन होगा? दो दिन देहली विनायक और तिजोरी पूजन हो
*⛅दो दिन प्रातः लक्ष्मीजी की कहानी सुनी जाएगी? दो दिन सूप बजाकर अलक्ष्मी निस्सारण होगा? दो दिन प्रातः काजल लगेगा? क्या क्या दो दिन होगा? आखिर भोली भाली निरीह जनता को दो दिन दीपावली मनाने की कोई सभ्य मनुष्य कैसे कह सकता है? दो दिन समान भाव कभी भी उत्पन्न नहीं हो सकता। फिर जब किसी भी समय पर्व करना है तो कालविधान के ज्योतिषशास्त्र को आवश्यकता ही क्या है? क्योंकि मानने वाले के लिए शास्त्र है, न मानने वाले के लिए कुछ नहीं है।
*⛅दीपावली केवल और केवल 31 अक्टूबर को है, इसी दिन अर्धरात्रि में घरों के द्वार लक्ष्मी आगमन की प्रतीक्षा में खुले रहेंगे क्योंकि माता महालक्ष्मी आकाश में भक्तों को वर देने के लिए विचरण कर रही होंगी। इसलिए दो दिन दीपावली नहीं मनाई जा सकती। यही धर्मसभा का निर्णय है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*मंगल दोष,पितृ दोष,काल सर्प, गुरु चांडाल योग, वैधृति योग की शांति पूजा के लिए या जाप के लिए सम्पर्क करें *
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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