💥*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
*⛅दिनांक - 24 अक्टूबर 2024
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि 01:57:43 अक्टूबर 25 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग - साध्य प्रातः 04:21:12 अक्टूबर 25 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅ चन्द्र राशि~ कर्क*
*⛅सूर्य राशि~ तुला*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 01:43 से 03:08 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:41:21*
*⛅सूर्यास्त - 05:56:36*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:56 से दोपहर 12:42 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:54 अक्टूबर 24 से रात्रि 12:45 अक्टूबर 25 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अहोई अष्टमी, राधा कुण्ड स्नान, कालाष्टमी, गुरु पुष्य अमृत योग (अहोरात्रि), सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि), अमृत सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅ चोघडिया, दिन⛅*
शुभ 06:41 - 08:06 शुभ
रोग 08:06 - 09:30 अशुभ
उद्वेग 09:30 - 10:55 अशुभ
चर 10:55 - 12:19 शुभ
लाभ 12:19 - 13:43 शुभ
अमृत 13:43 - 15:08 शुभ
काल 15:08 - 16:32 अशुभ
शुभ 16:32 - 17:57 शुभ
*⛅ चोघडिया, रात⛅*
अमृत 17:57 - 19:32 शुभ
चर 19:32 - 21:08 शुभ
रोग 21:08 - 22:44 अशुभ
काल 22:44 - 24:19 अशुभ
लाभ 24:19 - 25:55 शुभ
उद्वेग 25:55 - 27:31 अशुभ
शुभ 27:31 - 29:06 शुभ
अमृत 29:06 - 30:42 शुभ
*⛅त्यौहार विशेष श्रृंखला के अंतर्गत दीपावली 31 या 1 नवंबर को
1 नवंबर को धरती के 6371 किमी नीचे जाकर मनानी पड़ेगी अमेरिकी दीपावली⛅*
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*⛅कुछ लोग 1 नवंबर 2024 को अमावस्या की गणना अमेरिकी डेटा से कर रहे हैं, उन्हें खगोलविज्ञान का सही गणित समझ नहीं पता। दृक्पक्षीय स्विस एफेमेरिस अमेरिका की जेट प्रोपल्सन लैबोरेट्री JPL के खगोलीय आंकड़ों पर आधारित है। इसके प्रोग्रामर, डाइटर कोच हैं, जिन्हें खगोलविज्ञान के साथ संस्कृत और भारतीय संस्कृति का भी ज्ञान है।
*⛅डाइटर कोच ने स्पष्ट किया है कि आधुनिक खगोलविज्ञान में भूकेन्द्रीय(6371 किमी नीचे पृथ्वी के केंद्र से) गणना होती है, लेकिन वैदिक ज्योतिष में भूपृष्ठीय गणना करना आवश्यक है, जिससे भारत के विभिन्न स्थानों पर अमावस्या का अलग-अलग समय मिलता है।
*⛅वैज्ञानिक डाइटर कोच द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार जो लोग 1 नवंबर 2024 की शाम 6:17 बजे अमावस्या बता रहे हैं, वे भूकेन्द्रिक गणना का उपयोग कर रहे हैं, जो हिन्दू ज्योतिष के लिए उपयुक्त नहीं है। भूपृष्ठीय गणना पृथ्वी की सतह से होती है, क्योंकि हम पृथ्वी की सतह पर रहते हैं। जो लोग भूकेन्द्रिक गणना का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें धरती खोदकर 6400 किमी नीचे जाकर दीपावली मनानी पड़ेगी, क्योंकि उनकी गणना पृथ्वी के केन्द्र के समय पर आधारित है। इससे साफ है कि दृश्यपक्ष की गणित से पंचांगों का निर्माण करने से हिन्दू त्यौहार नष्ट हो रहे हैं।
*⛅भूकेन्द्रिक गणना का उपयोग मिसाइलों और सैटेलाइट प्रक्षेपण में किया जाता है, जबकि वैदिक ज्योतिष में भूपृष्ठीय गणना ही जरूरी है, क्योंकि 6400 किमी नीचे धरती के केंद्र पर न तो किसी का जन्म होता है और न ही वहां कोई त्यौहार मनाया जाता है। वहाँ गर्मी भी बहुत होती है, जिसे कोई भी नहीं सह सकता। पंचांगों के लिए सिर्फ सूर्यसिद्धान्तीय गणित ही उपयोगी है जिसमें इस तरह की गलतियां नहीं होतीं। हज़ारों वर्षों से सूर्यसिद्धान्तीय गणित से बने पंचांगों से पर्वों में कोई समस्या नहीं आती है। अमेरिकन गणित भारतीय पर्वों के लिए घातक है।
*⛅कोई भी आसानी से समझ सकता कि मिसाइल के लिए भूकेन्द्रीय गणना इसलिए चाहिए क्योंकि अगर मिसाइल धरती की सतह की गणना से छोड़ी, तो पृथ्वी के घूर्णन के कारण उसका लक्ष्य स्थान बदल जाएगा और वह अपने लक्ष्य से चूक जाएगी। इसलिए नासा भूकेन्द्रीय गणना पर ही ध्यान देता है क्योंकि उन्हें मिसाइल से मतलब है, हिन्दू त्यौहारों और वैदिक ज्योतिष से नास्तिक नासा को कोई लेना देना नहीं है। पर अमेरिका की जूठन को बिना सोचे समझे भारत के ही लोग जबरन हिन्दू त्यौहारों पर लाद रहे हैं।
*⛅JPL की DE श्रृंखला के खगोलीय एफेमेरिस को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ब्रिटेन के ग्रीनविच समय में 5 घंटे 30 मिनट जोड़ने पर 1 नवंबर 2024 की शाम 18:17 बजे अमावस्या का दृक्पक्षीय काल बताया जा रहा है, जिसे अधिकांश भारतीय सॉफ्टवेयर भी दर्शाते हैं, यह भी ब्रिटेन की गुलामी ही है। क्योंकि काल का केन्द्र बाबा महाकाल और विदिशा हैं, न कि ग्रीनविच। और बाबा महाकाल की दीपावली 31 अक्टूबर की है।
*⛅ भारत में जो दृक्पक्षीय सॉफ्टवेयर और पंचांग भूकेन्द्रिक गणना और दृश्यपक्ष का उपयोग कर रहे हैं, वे अनजाने में ज्योतिष और हिन्दू त्यौहारों को नष्ट कर रहे हैं। पश्चिमियों की नकल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि विदेशी तौर-तरीकों से हमारा धर्म नहीं चलेगा, सूर्यसिद्धान्तीय पंचांग ही शास्त्रसम्मत हैं। जो लोग NASA या अन्य विदेशी संस्थानों के आंकड़ों का आंख मूंदकर अनुसरण कर रहे हैं, वे गलत समय पर दीपावली मनाने मनवाने की भूल कर रहे हैं। ऐसे में भोले-भाले लोग गलत दीपावली मनाएंगे, जिससे उन्हें उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।
*⛅[आचार्य श्री विनय झा जी के मूल लेख पर आधारित, संपादक मुदित मित्तल ] इस लेख को भी समर्पित है। कि उन्होंने अपने लेख में यह सारी सूचनाओं डाली है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*मंगल दोष,पितृ दोष,काल सर्प, गुरु चांडाल योग, वैधृति योग की शांति पूजा के लिए या जाप के लिए सम्पर्क करें*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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