💥* 🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक-15 अक्टूबर 2024*
🌤️ *दिन - मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - अश्विन*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि - त्रयोदशी 24:18:45 तक पश्चात चतुर्दशी*
🌤️ *नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 10:07:44 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद*
🌤️ *योग - वृद्धि दोपहर 02:12:23 तक तत्पश्चात ध्रुव*
🌤️ *राहुकाल - शाम 03:13 से शाम 04:39 तक*
🌤️ *सूर्योदय -06:36:02*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:04:55*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - भौमप्रदोष व्रत,पंचक*
💥 *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*भौम प्रदोष व्रत कथा, इस कथा के पढ़ने व सुनने से भगवान शिव और हनुमानजी की मिलेगी कृपा
किसी भी माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है और प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित है। यह तिथि मंगलवार के पड़ने की वजह से इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत में कथा सुनने व कहने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है...
हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत की तिथि जब मंगलवार को आती है, तब उसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। भौम प्रदोष व्रत में कथा सुनना व कहना बहुत पुण्यदायी माना जाता है और इस कथा से पूजा भी पूरी होती है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनने व कहने से देवों के देव महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत की कथा के बारे में...
भौम प्रदोष व्रत कथा, इस कथा के पढ़ने व सुनने से भगवान शिव और हनुमानजी की मिलेगी कृपा
भौम प्रदोष व्रत कथा
सूतजी बोले- अब मैं मंगल त्रयोदशी प्रदोष व्रत का विधि विधान कहता हूं। मंगलवार का दिन व्याधियों का नाशक है। इस व्रत में एक समय व्रती को गेहूं और गुड़ का भोजन करना चाहिए। इस व्रत के करने से मनुष्य सभी पापों व रोगों से मुक्त हो जाता है इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं है। अब मैं आपको उस बुढ़िया की कथा सुनाता हूं, जिसने यह व्रत किया व मोक्ष को प्राप्त हुई। अत्यन्त प्राचीन काल की घटना है। एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। उसके मंगलिया नाम का एक पुत्र था। वृद्धा को हनुमानजी पर बड़ी श्रद्धा थी। वह प्रत्येक मंगलवार को हनुमानजी का व्रत रखकर यथाविधि उनका भोग लगाती थी। इसके अलावा मंगलवार को एक न तो घर लीपती थी और न ही मिट्टी खोदती थी।
इसी प्रकार से व्रत रखते हुए जब उसे काफी दिन बीत गए तो हनुमानजी ने सोचा कि चलो आज इस वृद्धा की श्रद्धा की परीक्षा करें। वे साधु का वेष बनाकर उसके द्वार पर जा पहुंचे और पुकारा “है कोई हनुमान का भक्त जो हमारी इच्छा पूरी करे।" वृद्धा ने यह पुकार सुनी तो बाहर आई और महाराज क्या आज्ञा है? साधु वेषधारी हनुमान जी बोले कि 'मैं बहुत भूखा हूं भोजन करूंगा। तू थोड़ी सी जमीन लीप दे।' वृद्धा बड़ी दुविधा में पड़ गई। अंत में हाथ जोड़कर प्रार्थना की- हे महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त जो काम आप कहें वह मैं करने को तैयार हूं।
साधु ने तीन बार परीक्षा करने के बाद कहा- “तू अपने बेटे को बुला मैं उसे औंधा लिटाकर, उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा।” वृद्धा ने सुना तो पैरों तले की धरती खिसक गई, मगर वह वचन हार चुकी थी। उसने मंगलिया को पुकार कर साधु महाराज के हवाले कर दिया। मगर साधु ऐसे ही मानने वाले न थे। उन्होंने वृद्धा के हाथों से ही मंगलिया को ओंधा लिटाकर उसकी पीठ पर आग जलवाई।
आग जलाकर, दुखी मन से वृद्धा अपने घर के अंदर जा घुसी। साधु जब भोजन को बुलाकर कहा कि वह मंगलिया को पुकारे ताकि वह भी आकर भोग लगा ले। वृद्धा में आंसू भरकर कहने लगी कि अब उसका नाम लेकर मेरे हृदय को और न दुखाओ, लेकिन साधु महाराज न माने वृद्धा को भोजन के लिए मंगलिया को पुकारना पड़ा। पुकारने की देर थी कि मंगलिया बाहर से हंसता हुआ घर में दौड़ा आया। मंगलिया को जीता जागता देखकर वृद्धा को सुखद आश्चर्य हुआ। वह साधु महाराज के चरणों में गिर पड़ी। साधु महाराज ने उसे अपने असली रूप में दर्शन दिए। हनुमानजी को अपने आंगन में देखकर वृद्धा को लगा कि जीवन सफल हो गया।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻