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पंचांग - 12-10-2024

 🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓
🌤️*दिनांक -12अक्टूबर  2024*
🌤️ *दिन - शनीवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*

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🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - अश्विन*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि -  महानवमी  दोपहर 10:57:57 तक तत्पश्चात दशमी*
🌤️ *नक्षत्र - श्रवण    28:26:42* तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
🌤️ *योग - धृति    24:20:48 तक तत्पश्चात शूल*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 09:28 से दोपहर 10:54 तक*
🌤️ *चन्द्र राशि~       मकर*
🌤️ *सूर्य राशि~       कन्या*
🌤️ *सूर्योदय -06:34:24*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:07:57*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
👉 *ब्रह्म मुहूर्त    04:54 ए एम से 05:44 ए एम*
👉 *अभिजित मुहूर्त    11:58 ए एम से 12:44 पी एम*
👉 *निशिता मुहूर्त    11:57 पी एम से 12:46 ए एम, अक्टूबर 13*
👉 *विजय मुहूर्त    02:17 पी एम से 03:04 पी एम*
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🚩 *व्रत पर्व विवरण -  महाष्टमी-दुर्गा नवमी ,महानवमी*
💥 *विशेष - नवमी को लौकी खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
   🚩* चोघडिया, दिन*🚩
काल    06:34 - 08:01    अशुभ
शुभ    08:01 - 09:28    शुभ
रोग    09:28 - 10:54    अशुभ
उद्वेग    10:54 - 12:21    अशुभ
चर    12:21 - 13:48    शुभ
लाभ    13:48 - 15:15    शुभ
अमृत    15:15 - 16:41    शुभ
काल    16:41 - 18:08    अशुभ

  🚩* चोघडिया, रात*🚩
लाभ    18:08 - 19:41    शुभ
उद्वेग    19:41 - 21:15    अशुभ
शुभ    21:15 - 22:48    शुभ
अमृत    22:48 - 24:21शुभ
चर    24:21 - 25:55    शुभ
रोग    25:55 - 27:28    अशुभ
काल    27:28 - 29:02    अशुभ
लाभ    29:02 - 30:35    शुभ

💥 *दुर्गा नवमी व्रत की विशेष जानकारी........*
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 मां सिद्धिदात्री सिद्धि की दाता
की पूजा-अर्चना, हवन और कन्या पूजन के साथ ही शारदीय नवरात्रि का पूर्णता हो जाती है। मान्यता है कि सिद्धिदात्री मां की पूजा करने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है
इस दिन मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा,  मंत्र,भोग,प्रिय रंग व आरती
 शारदीय नवरात्रि का आज नौवां दिन है। यह दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां स्वरूप मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सिद्धिदात्री माता की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियां और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 सिद्धिदात्री मां की पूजा-अर्चना से माता रानी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और हर क्षेत्र में सफलता का आशीर्वाद देती हैं। कहा जाता है कि
भगवान शिव ने मां सिद्धीदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन 8 सिद्धियों का नामअणिमा,महिमा,

गरिमा,लघिमा,प्राप्ति, प्राकाम्य,ईशित्व और वशित्व है। मान्यतानुसार देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि-विवेक की प्राप्ति होती है।

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मां सिद्धिदात्री की पूजाविधि आस्था के करे ताकि मां का आशीर्वाद मिले।नौवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें। देवी दुर्गा की पूजा-आराधना आरंभ करें। मंदिर से बासी फूलों को हटाकर मंदिर साफ करें। माता रानी के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें। नौवें दिन सिद्धिदात्री मां को कमल का फूल अर्पित करें। मां को लाल वस्त्र या चुनरी चढ़ाएं। मां सिद्धिदात्री के बीज मंत्रों का जाप करें। इस दिन देवी भगवती को नारियल,हलवा, पूड़ी, चना इत्यादि का भोग लगा सकते हैं। इसके बाद सभी देवी-देवताओं के साथ माता रानी की आरती उतारें। दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। नवमी तुथि को मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ हवन और कन्या पूजन के कार्य भी शुभ माने जाते हैं।

मां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र : मां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र 'ह्रीं क्लीं ऐें सिद्धये नमः" है।

मां सिद्धिदात्री का प्रिय रंग : मां सिद्धिदात्री को सफेद औऱ बैंगनी रंग अति प्रिय है। इस दिन पूजा के दौरान सफेद या बैंगनी वस्त्र धारण कर सकते हैं।

मां सिद्धिदात्री की आरती :
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
मां सिद्धिदात्री की घर बैठे करें महापूजा
मां महागौरी की घर बैठे करें महापूजा


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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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