🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌤️*दिनांक -10अक्टूबर 2024*
🌤️ *दिन - गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - अश्विन*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि - सप्तमी दोपहर 12:31:14 तक तत्पश्चात अष्टमी*
🌤️ *नक्षत्र - पूर्वाषाढा 11 अक्टूबर प्रातः 05:40:24am तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
🌤️ *योग - अतिगण्ड 11 अक्टूबर प्रातः 04:35:38am तक तत्पश्चात सुकर्मा*
🌤️ *राहुकाल - दोपहर 01:49 से शाम 03:16 तक*
🌤️ *सूर्योदय -06:33:21*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:10:01*
🌤️ * चन्द्र राशि ~ धनु*
🌤️ * सूर्य राशि ~ कन्या*
👉 *दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे*
*🌤️ चोघडिया, दिन🌤️*
शुभ 06:33 - 08:00 शुभ
रोग 08:00 - 09:28 अशुभ
उद्वेग 09:28 - 10:55 अशुभ
चर 10:55 - 12:22 शुभ
लाभ 12:22 - 13:49 शुभ
अमृत 13:49 - 15:16 शुभ
काल 15:16 - 16:43 अशुभ
शुभ 16:43 - 18:10 शुभ
*🌤️चोघडिया, रात🌤️*
अमृत 18:10 - 19:43 शुभ
चर 19:43 - 21:16 शुभ
रोग 21:16 - 22:49 अशुभ
काल 22:49 - 24:22* अशुभ
लाभ 24:22* - 25:55* शुभ
उद्वेग 25:55* - 27:28* अशुभ
शुभ 27:28* - 29:01* शुभ
अमृत 29:01* - 30:34* शुभ
🚩 *व्रत पर्व विवरण - सरस्वती पूजन*
💥 *विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा -
शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। 10 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। साथ ही ये देवी अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं। मां कालरात्रि की पूजा-आराधना से भय और रोग का नाश होता है। साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि और महत्व...
💥 *पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करें।
स्नान के बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें।
मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है।
इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है।
मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं।
पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें।
साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा - फोटो
मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
ॐ कालरात्र्यै नम:
नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा - फोटो
कैसा है माता का स्वरूप
कहा जाता है कि मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था। देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। इनके श्वास से आग निकलती है। गले में विद्युत की चमक वाली माला है। मां के केश बड़े और बिखरे हुए हैं। देवी कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल व गोल हैं, जिनमें से बिजली की भांति किरणें निकलती रहती हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है। मां का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है। ये अपने तीनों बड़े-बड़े उभरे हुए नेत्रों से भक्तों पर अनुकम्पा की दृष्टि रखती हैं।
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
नवरात्रि में सप्तमी की रात्रि सिद्धियों की रात कही जाती है। इस दिन देवी की पूजा से रोग का नाश होता है और शत्रुओं पर विजय मिलती है। ऐसे में ग्रह बाधा और भय दूर करने वाली माता की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन जरूर करनी चाहिए।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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