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पंचांग - 08-10-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌤️*दिनांक -08 अक्टूबर  2024*
🌤️*दिन -  मंगलवार*
🌤️*विक्रम संवत - 2081*
🌤️*शक संवत -1946*

jyotish

🌤️*अयन - दक्षिणायन*
🌤️*ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️*मास - अश्विन*
🌤️*पक्ष - शुक्ल*
🌤️*तिथि - पंचमी    11:17:28  तक तत्पश्चात     षष्ठी*
🌤️ *नक्षत्र - ज्येष्ठा    28:07:21 रात्रि  तक तत्पश्चात मूल*
🌤️ *योग~ आयुष्मान    06:49:45 तक तत्पश्चात भी सौभाग्य*
🌤️ * करण~    बालव    11:17:28 तक तत्पश्चात     तैतुल*
🌤️ *सूर्योदय -06:31:49*
🌤️ *सूर्यास्त- 06:13:12*
🌤️ *चन्द्र राशि~       वृश्चिक    till 28:07:21*
🌤️ *चन्द्र राशि    ~   धनु    from 28:07:21*
🌤️ *सूर्य राशि~       कन्या*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 03:17 से सुबह 04:45 तक*
   🌤️ *चोघडिया, दिन*🌤️
रोग    06:32 - 07:59    अशुभ
उद्वेग    07:59 - 09:27    अशुभ
चर    09:27 - 10:55    शुभ
लाभ    10:55 - 12:22    शुभ
अमृत    12:22 - 13:50    शुभ
काल    13:50 - 15:17    अशुभ
शुभ    15:17 - 16:45    शुभ
रोग    16:45 - 18:12    अशुभ
    🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
काल    18:12 - 19:45    अशुभ
लाभ    19:45 - 21:17    शुभ
उद्वेग    21:17 - 22:50    अशुभ
शुभ    22:50 - 24:22    शुभ
अमृत    24:22 - 25:55    शुभ
चर    25:55 - 27:28    शुभ
रोग    27:28 - 29:00    अशुभ
काल    29:00- 30:33    अशुभ
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👉 *दिशाशूल - उत्तर  दिशा मे*
👉 *ब्रह्म मुहूर्त    04:53 ए एम से 05:42 ए एम*
👉 * अभिजित मुहूर्त    11:59 ए एम से 12:46 पी एम
👉 * निशिता मुहूर्त    11:58 पी एम से 12:47 ए एम, अक्टूबर 09*
🚩 *⛅ व्रत पर्व विवरण - बिल्व निमन्त्रण, स्कन्द षष्ठी, पंचम नवरात्री*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है व षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *विशेष - ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है.*
 
💥 *स्कंदमाता की उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है :-

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

💥 * देवी दुर्गा का पंचम रूप स्कंदमाता का हैं,श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है,इस विषय में नवरात्रि के पंचम दिन स्कंदमाता की पूजा और आराधना की जाती है,भगवान स्कंद 'कुमार कार्तिकेय' नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे, भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

💥 *स्कंदमाता की पूजन विधि इस प्रकार है
:-
नवरात्र के पांचवें  दिन शुद्ध जल से स्नान कर माँ की पूजा के लिए कुश के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए,देवी स्कंदमाता की दिशा उत्तर है,निवास में वो स्थान जहां पर उपवन या हरियाली हो,स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा पहर। जिस तरह से अपने चारों दिन माँ की पूजा की ठीक वैसे ही पांचवें दिन भी करें अर्थात आत्म पूजा,कलश स्थापना,श्री नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका पूजन करें,स्कंदमाता का षोडशोपचार विधि से पूजन करें  इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें,उसके बाद फिर  शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें,स्कंदमाता की  पूजा चंपा के फूलों से करनी चाहिए। इन्हें मूंग से बने मिष्ठान का भोग लगाएं, मां को केले का भोग अति प्रिय है। इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए,श्रृंगार में इन्हें हरे रंग की चूडियां चढ़ानी चाहिए।

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स्कंदमाता का ध्यान मंत्र -

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥

💥 *माता का स्वरूप इस प्रकार है,स्कंदमाता शेर पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है।

💥 *स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है , इस मृत्युलोक मे ही उसे परम शांति ओर सुख का अनुभव होने लगता है, मोक्ष मिलता है ,सूर्य मंडल की देवी होने के कारण इनका उपासक आलोकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है साधक को अभिस्ट वस्तु की प्राप्ति होती है ओर उसे पुलना रहित महान ऐश्वर्य मिलता है, इनकी उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है, पारिवारिक शांति मिलती है, स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है,इनकी कृपा से ही रोगियों को रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है,वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए ।

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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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